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अमेठी के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालय बदहाल हालत में हैं. ताले लटके हैं, सफाई नहीं है, जिससे खासकर महिलाओं को बीमारी और असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने सुधार की म…और पढ़ें

बेहद जर्जर स्तर पर बना शौचालय
आदित्य कृष्ण/ अमेठी– स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों का निर्माण तेजी से किया गया था. इसका उद्देश्य था कि हर नागरिक को शौच की मूलभूत सुविधा मिले और खुले में शौच की प्रथा समाप्त हो. लेकिन आज भी कई गांवों में शौचालय उपयोग लायक स्थिति में नहीं हैं. अमेठी जिले के कई गांवों में या तो शौचालय बंद पड़े हैं, या उनमें कचरा और लकड़ियां भरी हुई हैं.
ताले में बंद शौच घर, कागज पर दर्ज सुविधा
लोकल 18 की टीम ने जब ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया, तो सामने आई तस्वीरें चौंकाने वाली थीं. कहीं शौचालयों में ताले लटके मिले, तो कहीं इन्हें डंपिंग यार्ड के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था. पंचायतीराज विभाग द्वारा दिखाए जा रहे आंकड़े सिर्फ कागजों की शोभा बनकर रह गए हैं. कई स्थानों पर शौचालयों के केयरटेकर केवल नाम मात्र के लिए वेतन ले रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हो रहा है.
महिलाएं परेशान, सुरक्षा और स्वास्थ्य दोनों पर खतरा
गांव की एक महिला जगरानी देवी ने बताया कि शौचालय इस कदर खराब हैं कि उनका इस्तेमाल करना मुमकिन ही नहीं है. उन्होंने बताया कि डर के बावजूद भी बाहर जाना मजबूरी है. वहीं एक अन्य युवती ने बताया कि जो सामुदायिक शौचालय बने हैं, वे हमेशा बंद रहते हैं, ताले लटके रहते हैं और साफ-सफाई का मूल इंतजाम भी नहीं है,
सरकारी योजनाएं कागजों तक सीमित
स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन अमेठी जैसे जिलों में हालात इस बात की गवाही देते हैं कि योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच पाया. अब सवाल यह उठता है कि यदि महिलाओं को आज भी स्वच्छता और सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधा नहीं मिल पा रही, तो योजना की सफलता पर सवाल उठना लाजमी है.
ग्रामीणों की गुहार, “शौचालय बनवाइए, तो हाल सुधारिए”
ग्रामीणों ने एक स्वर में मांग की है कि शौचालय बना है तो इतनी सुविधा तो उपलब्ध करा दें कि शौचालय इस्तेमाल करने के लायक हो जाए. गांववालों ने शासन प्रशासन से इन शौचालयों की देखरेख के लिए उचित व्यवस्था करने की भी गुहार लगाई है. खासकर महिलाओं ने इस बात पर जोर दिया कि नागरिक होने के नाते स्वस्थ जीवन और सम्मान के साथ जीने का अधिकार तो है.
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