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नई द‍िल्‍ली. क्या आपने कभी रात के आसमान की ओर देखा है और सोचा है कि आपके ऊपर क्या उड़ रहा है? मई 2025 तक, पृथ्वी के चारों ओर 11,700 से अधिक एक्‍ट‍िव सैटेलाइट घूम रहे हैं और इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है. Live Science के अनुसार सिर्फ 2024 में ही 2,800 से अधिक नए सैटेलाइट कक्षा में भेजे गए. इसका मतलब है कि हर 34 घंटे में लगभग एक रॉकेट लॉन्च हुआ. इस उपग्रह विस्फोट का अधिकांश हिस्सा निजी अंतरिक्ष कंपनियों द्वारा किया जा रहा है, खासकर SpaceX द्वारा. कंपनी के Starlink प्रोजेक्ट ने अब तक 7,400 से अधिक उपग्रह भेजे हैं, जो आज के सभी सक्रिय उपग्रहों का लगभग 60% है.

इतने सारे सैटेलाइट क्यों लॉन्च हो रहे हैं?

मुख्य कारण है ‘मेगा कॉन्स्टेलेशन्स’ का उदय, जो विशाल सैटेलाइट नेटवर्क हैं जिनका उद्देश्य पूरी दुनिया में इंटरनेट और संचार सेवाएं प्रदान करना है. SpaceX के Starlink के अलावा, अन्य प्रमुख खिलाड़ी हैं:

Amazon का Project Kuiper
OneWeb
कई चीनी कंपनियां

ये कंपनियां वैश्विक इंटरनेट कवरेज को सुधारना चाहती हैं, खासकर दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में. लेकिन इस बेहतर कनेक्टिविटी की कोशिश के साथ गंभीर जोखिम भी आते हैं.

अंतरिक्ष कितने सैटेलाइट संभाल सकता है?
विशेषज्ञों का कहना है कि निम्न-पृथ्वी कक्षा (LEO), जो जमीन से 2,000 किमी तक का क्षेत्र है, की एक ‘कैरींग कैपेसिटी’ है. यह वह अधिकतम संख्या है जितने सैटेलाइट सुरक्षित रूप से वहां हो सकते हैं बिना बड़े समस्याओं के.

वैज्ञानिकों के अनुसार, यह संख्या लगभग 100,000 सक्रिय सैटेलाइट्स है. वर्तमान लॉन्च दर को देखते हुए, हम 2050 से पहले इस सीमा तक पहुंच सकते हैं. कुल मिलाकर, मृत और निष्क्रिय सैटेलाइट्स को मिलाकर, अंतरिक्ष में लगभग 14,900 सैटेलाइट्स हैं, ऐसा हार्वर्ड और स्मिथसोनियन के खगोलशास्त्री जोनाथन मैकडॉवेल का कहना है.

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