Latest Posts:
Search for:

[ad_1]

बलिया: आज की तेज़ भागती ज़िंदगी और बदलती जीवनशैली के चलते कम उम्र में ही लोग कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. लोग पहले एलोपैथिक इलाज आज़माते हैं, लेकिन जब वहां से राहत नहीं मिलती तो आयुर्वेद की ओर रुख करते हैं. माना जाता है कि भले ही असर धीरे हो, लेकिन आयुर्वेद कई बार गंभीर बीमारियों को जड़ से खत्म करने में कारगर साबित होता है. ऐसे ही आयुर्वेद की एक खास विधि है – नस्य विधि, जो पंचकर्म की पांच प्रमुख प्रक्रियाओं में से एक मानी जाती है. इसे आयुर्वेद में बेहद गुणकारी और रामबाण इलाज माना गया है. खास बात ये है कि यह इलाज बिना किसी ऑपरेशन या दवा के सिर्फ नाक के रास्ते औषधीय तेल या तरल को शरीर में डालकर किया जाता है.

क्या होती है नस्य विधि?
नस्य विधि आयुर्वेद की एक पारंपरिक प्रक्रिया है जिसमें औषधीय तेल या विशेष तरल को नाक के ज़रिए शरीर के अंदर पहुंचाया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, नाक को मस्तिष्क का दरवाज़ा माना गया है. इसी सिद्धांत पर आधारित नस्य विधि मस्तिष्क और शरीर के ऊपरी हिस्से के रोगों में राहत देती है.

राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नगर बलिया के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. सुभाष चंद्र यादव, जो इस क्षेत्र में पिछले 15 सालों से सेवा दे रहे हैं, बताते हैं कि “आयुर्वेद में कहा गया है – ‘नासा ही शिरसो द्वारम्’, यानी नाक मस्तिष्क तक पहुंचने का रास्ता है.” इसीलिए नस्य विधि का प्रयोग सिर, गर्दन और श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारियों में बहुत प्रभावी होता है.

कैसे की जाती है नस्य विधि?
इस प्रक्रिया को शुरू करने से पहले मरीज़ को शांत और स्थिर अवस्था में बैठाया जाता है. फिर सिर को हल्का पीछे झुकाया जाता है ताकि नाक से डाला गया तेल आसानी से अंदर पहुंच सके. रोग और उम्र के अनुसार चिकित्सक औषधीय तेल का चयन करते हैं, जिसमें अनुतैल, तिल तेल, या ब्राह्मी घृत प्रमुख हैं. दोनों नथुनों में आमतौर पर 2 से 5 बूंद तेल डाला जाता है.

तेल डालने के बाद मरीज़ को कुछ समय तक हल्की सांस लेने और विश्राम करने के लिए कहा जाता है. इसके बाद सिर और गर्दन की हल्की मालिश की जाती है जिससे तेल सही दिशा में मस्तिष्क तक पहुंचे और अपना असर दिखाए.

किन बीमारियों में असरदार है नस्य विधि?
नस्य विधि का उपयोग खासकर सिर, गर्दन और नाक से जुड़ी बीमारियों में किया जाता है. इससे साइनस, सिरदर्द, एलर्जी, नाक बंद रहना, खांसी-जुकाम, त्वचा संबंधी समस्याएं और बाल झड़ने जैसी परेशानियों में लाभ होता है. इसके अलावा मानसिक तनाव, बेचैनी और नींद से जुड़ी समस्याओं में भी यह कारगर है.

यह विधि शरीर को अंदर से साफ करने में मदद करती है और विषैले तत्वों को बाहर निकालने का काम करती है. साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है, जिससे व्यक्ति बार-बार बीमार नहीं पड़ता.

नस्य विधि अपनाने से पहले क्या सावधानियां बरतें?
नस्य विधि एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है, लेकिन इसे कभी भी बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं करना चाहिए. गलत तरीके से किया गया नस्य नुकसान पहुंचा सकता है. हर व्यक्ति की उम्र, बीमारी और शारीरिक स्थिति अलग होती है, इसलिए यह जरूरी है कि नस्य विधि का सही प्रकार केवल प्रशिक्षित आयुर्वेदाचार्य से ही तय कराया जाए.

[ad_2]

Source link

Author

Write A Comment