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Lal Chawal ki Kheer Recipe: उत्तराखंड के बागेश्वर में लाल चावल की खीर लोकप्रिय है. यह चावल औषधीय गुणों वाला होता है और जैविक तरीकों से उगाया जाता है. खीर स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है, खास मौकों पर बनाई जाती है.

हाइलाइट्स

  • लाल चावल की खीर बागेश्वर में लोकप्रिय है.
  • यह खीर स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है.
  • खीर त्योहारों और खास मौकों पर बनाई जाती है.
Lal Chawal ki Kheer Uttarakhand: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में सिर्फ सुंदर नज़ारे ही नहीं, बल्कि ऐसे पारंपरिक खाने भी मिलते हैं जो स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं. इन्हीं में से एक है लाल चावल से बनने वाली खीर. यह स्वादिष्ट और पौष्टिक मिठाई खासतौर पर बागेश्वर और आसपास के इलाकों में बहुत लोकप्रिय है. यहां लाल चावल को औषधीय गुणों वाला माना जाता है. यह चावल खास पारंपरिक और जैविक तरीकों से उगाया जाता है, जिसमें किसी तरह के रसायनों या कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं होता.

बागेश्वर जैसे पहाड़ी जिलों में यह चावल सीढ़ीदार खेतों में उगाया जाता है. यहां की ठंडी जलवायु और साफ-सुथरा पानी इसे और भी खास बना देता है. यह लाल चावल सामान्य चावल के मुकाबले थोड़ा मोटा होता है. पकने के बाद इसका स्वाद बेहद लाजवाब होता है. इसकी खुशबू और मिठास से खीर का स्वाद दोगुना हो जाता है.

खीर बनाने की पारंपरिक विधि
लाल चावल की खीर बनाने के लिए चावल को पहले कुछ घंटों तक हल्के गुनगुने पानी में भिगोया जाता है. इससे चावल मुलायम हो जाता है. इसके बाद इसे देसी गाय के दूध में धीमी आंच पर पकाया जाता है. धीमी आंच पर पकने से चावल की मिठास और स्वाद दूध में पूरी तरह घुल जाते हैं. मिठास बढ़ाने के लिए इसमें गुड़ या देशी कच्ची शक्कर डाली जाती है. पारंपरिक स्वाद के शौकीन लोग इसमें देसी घी और कुटी हुई इलायची भी डालते हैं. कुछ लोग इसमें काजू, बादाम और नारियल का बुरादा भी मिलाते हैं. पकने के बाद यह खीर बेहद स्वादिष्ट और खुशबूदार होती है.

सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद
लाल चावल फाइबर, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है. यह शरीर को ऊर्जा देने के साथ पाचन को भी मजबूत करता है. यह खीर खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है. यह न सिर्फ पेट के लिए हल्की होती है, बल्कि शरीर को पोषण भी देती है.

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