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Mathura News: मथुरा के वृन्दावन स्थित बांके बिहारी मंदिर के पुजारियों ने प्रस्तावित कॉरिडोर के विरोध में बड़ा ऐलान किया है. मंदिर के पुजारी अब बीजेपी नेताओं और स्थानीय अधिकारियों को प्रसाद नहीं देंगे.

बीजेपी नेताओं और अधिकारियों को नहीं मिलेगा बांके बिहारी का प्रसाद, जानें क्योंबांके बिहारी का मंदिर.

हाइलाइट्स

  • बांके बिहारी मंदिर के पुजारियों का बड़ा ऐलान
  • बीजेपी नेताओं और अधिकारियों को नहीं देंगे प्रसाद
  • प्रस्तावित कॉरिडोर के विरोध में पुजारियों ने लिया फैसला
मथुरा. उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन में स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के पुजारियों ने प्रस्तावित बांके बिहारी कॉरिडोर परियोजना के विरोध में एक बड़ा फैसला लिया है. पुजारियों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं और स्थानीय अधिकारियों को मंदिर का प्रसाद न देने की घोषणा की है. यह कदम कॉरिडोर परियोजना के खिलाफ चल रहे विरोध को और तेज करने के लिए उठाया गया है, जिसे स्थानीय लोग और गोस्वामी समुदाय वृंदावन की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के लिए खतरा मानते हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित बांके बिहारी कॉरिडोर परियोजना का उद्देश्य मंदिर के आसपास 5 एकड़ भूमि पर एक भव्य परिसर का निर्माण करना है, ताकि श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को समायोजित किया जा सके और दर्शन को सुगम बनाया जा सके. सरकार का कहना है कि यह परियोजना काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर बनाई जाएगी, जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. हालांकि, स्थानीय निवासियों, पुजारियों और व्यापारियों का मानना है कि इस परियोजना से वृंदावन की ऐतिहासिक संकरी गलियां, जो भगवान कृष्ण और राधा की लीलाओं से जुड़ी हैं, नष्ट हो जाएंगी. इसके अलावा, करीब 300 परिवारों के विस्थापन और सैकड़ों दुकानदारों की आजीविका पर संकट का खतरा मंडरा रहा है.
गोस्वामी समुदाय के एक पुजारी, घनश्याम गोस्वामी ने कहा, “हमारी परंपराएं और मंदिर की प्रबंधन व्यवस्था सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है. सरकार इस कॉरिडोर के बहाने मंदिर के धन और प्रबंधन पर नियंत्रण करना चाहती है. हम इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे.”

पुजारियों का कड़ा रुख: प्रसाद पर रोक

19 जुलाई को उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा को बांके बिहारी के दर्शन करने से रोका गया और उन्हें प्रसाद भी नहीं दिया गया. सेवायतों ने मंदिर में पर्दे डाल दिए और मंत्री को पटका पहनाने से भी इनकार कर दिया. इस घटना ने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी और कॉरिडोर के खिलाफ विरोध को नई गति दी. गोस्वामी समुदाय के एक अन्य सदस्य, राजत गोस्वामी ने कहा, “हमने फैसला किया है कि जब तक कॉरिडोर परियोजना को रद्द नहीं किया जाता, बीजेपी नेताओं और स्थानीय अधिकारियों को प्रसाद नहीं दिया जाएगा. यह हमारा शांतिपूर्ण विरोध है, जिसके जरिए हम अपनी भावनाओं को व्यक्त करना चाहते हैं.” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो वे बांके बिहारी की मूर्ति को मंदिर से दूसरी जगह स्थानांतरित करने पर विचार करेंगे.

बीजेपी और सरकार का पक्ष

बीजेपी नेताओं और स्थानीय प्रशासन का कहना है कि कॉरिडोर परियोजना श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए जरूरी है. मथुरा की सांसद हेमा मालिनी ने पहले कहा था कि यह परियोजना अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देगी और श्रद्धालुओं को बिना किसी परेशानी के दर्शन करने में मदद करेगी. हालांकि, हाल ही में उनके एक पुराने वीडियो, जिसमें उन्होंने कहा था कि “विरोध करने वालों को कहीं और स्थानांतरित किया जा सकता है,” के फिर से सामने आने के बाद विवाद और गहरा गया है. बीजेपी ने सफाई दी कि यह वीडियो 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले का है और इसे गलत संदर्भ में पेश किया गया है. मथुरा के जिला मजिस्ट्रेट चंद्र प्रकाश सिंह ने दावा किया कि अधिकांश स्थानीय लोग परियोजना के समर्थन में हैं और प्रशासन सभी वास्तविक चिंताओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, “हम विस्थापित परिवारों के लिए रुक्मिणी विहार में 350 फ्लैट्स की योजना बना रहे हैं और दुकानदारों को नए कॉरिडोर में दुकानें आवंटित की जाएंगी.”

विपक्ष का समर्थन

कॉरिडोर परियोजना को लेकर विपक्षी दलों ने भी गोस्वामी समुदाय का समर्थन किया है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने मंदिर का दौरा कर सेवायतों को समर्थन देने का वादा किया और सरकार पर धरोहर को नष्ट करने का आरोप लगाया. समाजवादी पार्टी के नेता संजय लाठर ने सवाल उठाया कि यदि ऐसी परियोजनाएं जरूरी हैं, तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखनाथ मंदिर में ऐसी योजना क्यों नहीं लागू की जा रही है.

Amit Tiwariवरिष्ठ संवाददाता

Principal Correspondent, Lucknow

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बीजेपी नेताओं और अधिकारियों को नहीं मिलेगा बांके बिहारी का प्रसाद, जानें क्यों

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