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बघेलखंड की पारंपरिक चिकित्सा में घमीरा पौधा महत्वपूर्ण है. यह चोट और घावों के इलाज में कारगर है. विशेषज्ञ रामचरण दहिया के अनुसार, घमीरा प्राकृतिक टिटनस ट्रीटमेंट की तरह काम करता है.
हाइलाइट्स
- घमीरा चोट और घावों के इलाज में कारगर है
- घमीरा प्राकृतिक टिटनस ट्रीटमेंट की तरह काम करता है
- घमीरा को पीसकर सीधे घाव पर लगाने से राहत मिलती है
घमीरा खेतों, मेड़ों और तालाबों के किनारे मिलता है
यह पौधा ज़्यादातर घास के बीच, खेतों की मेड़ पर, तालाब के किनारों या नमी वाली जगहों पर आसानी से उग आता है. ग्रामीण अंचलों में यह पौधा किसी डॉक्टर से कम नहीं माना जाता. लोकल 18 से बातचीत में जड़ी-बूटी विशेषज्ञ रामचरण दहिया बताते हैं कि घमीरा को पीसकर सीधे चोट या घाव पर लगाने से घाव दो से तीन दिनों में भरने लगता है.
आगे बताया, यह पौधा सिर्फ छोटे-मोटे कट या छिलन में ही नहीं, बल्कि लोहे और कांच जैसी धारदार चीजों से लगी गंभीर चोटों में भी राहत देता है. पुराने जमाने में जब टिटनस के इंजेक्शन तक की पहुंच नहीं थी, तब घमीरा को ही एक प्रकार के प्राकृतिक टिटनस ट्रीटमेंट के रूप में उपयोग किया जाता था. यह पौधा एक असरदार एंटीसेप्टिक की तरह काम करता है.
प्राकृतिक विरासत को संभालने की जरूरत
आज जब एलोपैथी और महंगे इलाज की दौड़ है, उसके बाद भी बघेलखंड में यह पारंपरिक देसी इलाज लोगों की पहली पसंद बना हुआ है. आदिवासियों या ग्रामीणों के लिए यह पौधा एक चलती-फिरती दवा की तरह है, जिसे वे पीसकर पट्टी के साथ बांध देते हैं. घाव कुछ ही दिनों में भर जाता है. इस पौधे का आकार आधे हाथ तक बड़ा हो सकता है. इसमें छोटे हल्के रंग के फूल भी निकलते हैं. ऐसे देसी ज्ञान को संरक्षित करने और अगली पीढ़ी तक पहुंचाने की आवश्यकता है, ताकि प्राकृतिक औषधियों की इस धरोहर को समय रहते भूला न दिया जाए.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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