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विशेषज्ञ डॉ. ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि “परवल एक द्विलिंगीय फसल है. जिसमें नर और मादा पौधे अलग-अलग होते हैं. परवल के पौधें में केवल हाइब्रिड ही पाया जाता है. इसकी खेती से किसान लाखों की कमाई कर सकते हैं.
श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन के विशेषज्ञ डॉ. ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि “परवल एक द्विलिंगीय फसल है. जिसमें नर और मादा पौधे अलग-अलग होते हैं. परवल के पौधें में केवल हाइब्रिड ही पाया जाता है. परवल की किस्म में राजेंद्र 1, राजेंद्र 02 और स्वर्ण रेखा जैसी हाइब्रिड वैरायटी अच्छी मानी जाती हैं. इसकी खेती करने के लिए बीज की जरूरत नहीं पड़ती है, बल्कि लताएं लगाई जाती है. इसके लिए लगभग 2 मीटर लंबी और चौड़ी लता पर्याप्त हैं. इसकी खेती ठंडी और पाला पड़ने वाले क्षेत्रों के तुलना में शुष्क वातावरण में अच्छी होती है.
परवल की खेती में केवल नर पौधे लगाने पर कोई उत्पादन नहीं मिलता है. अतः इसमें हर नौ नर पौधों के साथ एक मादा पौधे लगाने चाहिए. जाकर बंपर पैदावार हो सकती है. इसकी खेती के लिए बलुई या दोमट मिट्टी उपर्युक्त मानी जाती है. परवल विटामिन्स और मिनरल्स का अच्छा स्रोत है. इसका जूस पीने से शुगर और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल हो जाता है. यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मददगार है. परवल की खेती किसानों के लिए ही नहीं बल्कि ग्राहकों के स्वास्थ्य के लिए रामबाण है.
एक एकड़ में 60 क्विंटल तक पैदावार
परवल की खेती से एक एकड़ में लगभग 50 से 60 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती हैं. मिट्टी सही होने के कारण बलिया में परवल की उपज काफी अच्छी होती है. इसको आसानी के साथ बाजार में बेचा जा सकता है, क्योंकि इसकी डिमांड दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. सब्जी के अलावा इसका आचार और मिठाई जैसे अनेकों उत्पाद बनाए जाते हैं. ऐसा दावा किया जा रहा है कि परवल की खेती से किसान लाखों की कमाई कर सकते हैं. दअरसल, बलिया के गंगा और घाघरा नदी के आसपास के क्षेत्रों में परवल का उत्पादन बहुत अच्छा हो रहा है.
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