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Alwar Teej Festival: अलवर में तीज पर्व की धूम देखने को मिल रही है. बाजारों में घेवर की मांग तेजी से बढ़ गई है और मिठाई की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ रही है. महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनकर खरीदारी में जुटी …और पढ़ें
हाइलाइट्स
- घेवर की दुकानों पर उमड़ी भीड़, मिठास में डूबा अलवर
- महिलाएं सजधज कर निकली बाजार, हर ओर दिखा पारंपरिक जोश
- चूड़ी, मेहंदी और परिधानों की बढ़ी बिक्री, तीज ने बढ़ाई रौनक
खैरतल तिजारा जिले के किशनगढ़ बास, खैरथल और कोट कासिम सहित जिले भर में घेवर से दुकानें सज चुकी है. जहां दुकानदारों ने अपनी मिठाई की दुकानों के आगे स्वादिष्ट घेवर को आकर्षक ढंग से सजाया हुआ है. अलवर जिले में घेवर की चार प्रकार की वैरायटी तैयार की जा रही हैं जो अलग-अलग प्रकार के होती हैं.
जिसमें रबड़ी घेवर मार्केट में रबड़ी घेवर, मावा घेवर, पनीर घेवर और दूध घेवर तैयार किया जा रहे है. अगर मूल्य के बात करें तो पनीर घेवर 400 रुपए प्रति किलो, रबड़ी घेवर 360 रुपए, दूध घेवर 260 रुपए प्रति किलो मार्केट में बिक रहा है. जिनकी बाजार में अच्छी डिमांड है और लोग जमकर खरीदारी भी कर रहे हैं. लेकिन जैसे-जैसे त्यौहार नजदीक आएंगे वैसे ही इनकी डिमांड और ज्यादा बढ़ जाएगी.
सामाजिक जुड़ाव और रिश्तों को मजबूत करने का प्रतीक
लेकिन सबसे ज्यादा मवा घेवर, रबड़ी घेवर, केसर घेवर और ड्राई फ्रूट घेवर की विशेष मांग देखी जारही है. इसको तैयार करने के लिए कारीगर दिन-रात बनाने में जुटे हुए हैं. तीज के त्योहार पर घेवर की डिमांड ज्यादा होती है. क्योंकि आज भी 30 से जुड़ी पारंपरिक परंपराएं निभाई जा रही हैं. भाई, पिता और परिवार के अन्य सदस्य अपनी बहन बेटियों के घर तीज का शगुन लेकर जाते हैं, जिसमें मिठाइयों के साथ सुहाग सामग्री भेजना आज भी एक भावनात्मक परंपरा मानी जाती है. यह रिवाज गांव में सामाजिक जुड़ाव और रिश्तो की मिठास को मजबूत करने का प्रतीक है.
ग्रामीण इलाकों की महिलाएं तीज की पूजा के लिए तैयारी में लगी हुई हैं. जिसमें मेहंदी, चूड़ियां, पूजा सामग्री, साड़ियां खरीदारी के लिए बाजारों में पहुंच रहे हैं. बाजार में महिलाओं का तीज के त्यौहार को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है.
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