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देहरादून: उत्तराखंड की रसोई सिर्फ स्वाद की नहीं, बल्कि परंपरा और भावनाओं की भी कहानी कहती है. यहां हर त्योहार, हर मांगलिक अवसर (Traditional sweet) और हर खास पल के साथ एक विशेष व्यंजन जुड़ा होता है और जब मिठास की बात हो, तो ‘अरसा’ (Arsa) का नाम सबसे पहले लिया जाता है. गुड़ और चावल से तैयार यह मीठा पकवान ना सिर्फ स्वाद में बेजोड़ होता है, बल्कि इसके पीछे छुपी परंपरा और संस्कृति की खुशबू इसे और खास बना देती है.
अरसा उत्तराखंड की रसोई में सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि एक संस्कार है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है. खासतौर पर कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में अरसा को मांगलिक कार्यों का अभिन्न हिस्सा माना जाता है. शादी-ब्याह हो या त्योहार, घर की रसोई में जब गुड़ की चाशनी में (Uttarakhand’s Festive Kitchen) चावल घुलते हैं, तो उसमें सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि मां की ममता, दादी की कहानियां और पूरे घर की खुशियां भी पिघलती हैं. आइए, प्रियंका खाली से जानते हैं उत्तराखंड की इस मिठास भरी रेसिपी को बनाने का आसान तरीका.
अरसा बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
अरसा बनाने के लिए आपको ज्यादा चीज़ों की जरूरत नहीं होती, लेकिन सही मात्रा और संतुलन ज़रूरी है. सबसे पहले, आपको चाहिए 2 कप चावल, जिन्हें 5 से 6 घंटे तक पानी में भिगोना (Ingredients) होगा ताकि वे अच्छे से नरम हो जाएं और पीसने में आसानी हो. इसके बाद, मिठास के लिए 1 कप गुड़ लें. आप गुड़ को कद्दूकस कर सकते हैं या छोटे टुकड़ों में काटकर इस्तेमाल कर सकते हैं. यदि आप चाहें तो स्वाद और खुशबू के लिए 1 छोटा चम्मच सौंफ भी मिला सकते हैं, हालांकि यह वैकल्पिक है. तलने के लिए आपको घी या तेल की जरूरत होगी, जो भी आपको पसंद हो या उपलब्ध हो और अंत में, चावल पीसते और गुड़ घोलते समय जरूरत के अनुसार पानी का इस्तेमाल किया जाएगा.
1. चावल का पेस्ट तैयार करें
2. गुड़ की चाशनी बनाएं
कढ़ाही में घी या तेल गरम करें. जब तेल मीडियम गरम हो जाए, तब अरसे के आकार की छोटी टिक्की (छोटे पकोड़े जैसे) हाथ या चम्मच से डालें. धीमी आंच पर सुनहरा होने तक तलें ताकि बाहर से कुरकुरा और अंदर से नरम रहें. टिशू पेपर पर निकालें ताकि अतिरिक्त तेल निकल जाए. इसे ठंडा होने पर परोसें या एयरटाइट डिब्बे में स्टोर कर लें. कई दिनों तक खराब नहीं होता और स्वाद बना रहता है.
इन बातों का भी रखेंगे ख़ास ध्यान
अरसा बनाते समय घोल न ज्यादा पतला हो और न ज्यादा गाढ़ा. तलते समय आंच धीमी रखें ताकि अरसे अंदर तक अच्छे से पकें. गुड़ की जगह शक्कर का प्रयोग भी किया जा सकता है, लेकिन पारंपरिक स्वाद गुड़ से ही आता है. उत्तराखंडी व्यंजनों में अरसे की मिठास सिर्फ स्वाद तक सीमित नहीं, यह एक परंपरा है जो पीढ़ियों से घर-घर में संजोई गई है.
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