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क्या है रिहाई का परवाना?
सबसे पहले जान लेते हैं कि रिहाई परवाना क्या होता है. रिहाई परवाना वह आधिकारिक दस्तावेज या ऑर्डर है जो अदालत द्वारा तब जारी किया जाता है जब किसी कैदी को जेल से रिहा करने का आदेश दिया जाता है. यह एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके बाद ही कैदी जेल से बाहर निकल सकते हैं. इसमें अदालत के निर्णय की कॉपी जेल तक पहुंचाई जाती है.
परवाने की कॉपी कोर्ट तक: यह परवाना आमतौर पर अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है या किसी कर्मचारी द्वारा जेल तक पहुंचाया जाता है.
जेल में सत्यापन: जेल अधीक्षक इस परवाने की जांच करता है और यह सत्यापित करता है कि आदेश सही व्यक्ति के लिए है.
कैदी की रिहाई: परवाने के सत्यापन के बाद जेल प्रशासन कैदी को निर्धारित समय के अनुसार रिहा करने की प्रक्रिया शुरू करता है.
सीतापुर जेल में होगी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान की कानूनी मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. शनिवार को सीतापुर जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट आजम खान से शत्रु संपत्ति से जुड़े रिकॉर्ड रूम के कागजात में कथित हेराफेरी मामले में पूछताछ करेगी. इस प्रकरण में उन पर गंभीर धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है.
हालांकि, मौजूदा केस में अदालत ने तीन नई धाराएं जोड़ दी हैं 467, 468 और 201. इन धाराओं के तहत गंभीर अपराधों का प्रावधान है, जिनमें 10 साल की सजा से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकता है. इस वजह से आजम खान को इन मामलों में भी अलग से जमानत करानी होगी. न्यायाधीश शोभित बंसल की एमपी-एमएलए कोर्ट से शनिवार को इन धाराओं के तहत वारंट जारी किए जाएंगे.
इधर, सेशन कोर्ट रामपुर ने आजम खान के पांच अन्य मामलों में दाखिल जमानतियों के सत्यापन का आदेश दिया है. अदालत ने सीतापुर जेल प्रशासन को 53 मुकदमों से जुड़े रिहाई परवानों की विस्तृत जांच करने के निर्देश दिए हैं. ये परवाने डाक और ईमेल दोनों माध्यमों से जेल अधीक्षक को भेजे गए हैं. सेशन कोर्ट एडीजे सेकंड न्यायाधीश डॉक्टर विजय कुमार की अदालत ने भी इन मामलों में जमानतियों की तस्दीक कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. कुल मिलाकर आजम खान की जमानत प्रक्रिया पर कानूनी पेचीदगियां बढ़ गई हैं और उन्हें नए मामलों में जेल से राहत पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है.
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