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Azamgarh news in hindi : डॉ. प्रजापति ‘पंचगव्य चिकित्सा’ नाम से क्लीनिक चलाते हैं. उनकी चौखट ऐसी मरीजों की अंतिम शरणस्थली है जो एलोपैथिक इलाज से थक चुके हैं और उन्हें कोई फायदा होता नहीं दिख रहा.

प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र
हाइलाइट्स
- डॉ. प्रजापति पंचगव्य चिकित्सा से मरीजों का इलाज करते हैं.
- कैंसर और किडनी के मरीज भी पंचगव्य चिकित्सा से ठीक हुए हैं.
- मरीज राम नारायण लकवे से ठीक होकर चलने-फिरने लगे हैं.
Panchgavya Therapy/आजमगढ़. जड़ी बूटियों और आयुर्वेदिक पद्धति का उपयोग सदियों से किया जाता रहा है. पुराने समय में वैद्य नाडी देखकर बड़े-बड़े रोगों को भांप कर मरीजों का चुटकियों में इलाज कर देते थे. समय के साथ-साथ इस चिकित्सा पद्धति की जगह एलोपैथिक दवाएं और मेडिकल साइंस ने ले ली. लेकिन आज भी कुछ जगहों पर कुछ चिकित्सक ऐसे हैं जो इसी पद्धति से लोगों का इलाज कर रहे हैं. इसी आयुर्वेदिक पद्धति से आजमगढ़ एक डॉक्टर इलाज करने में जुटे हैं. हम बात कर रहे हैं आजमगढ़ के मुजफ्फरपुर गांव के रहने वाले डॉक्टर आरबी प्रजापति की. डॉ. प्रजापति अपनी क्लीनिक के साथ-साथ अपने घर पर भी मरीज को देखते हैं. वे इलाज के लिए देसी गायों से उत्पन्न होने वाले उत्पादों का उपयोग करते हैं. देसी गाय के दूध, दही, घी, गोबर और गोमूत्र को मिलाकर पंचगव्य तैयार किया जाता है. इसी पंचगव्य को आधार बनाकर डॉ. प्रजापति अपने हाथों से तरह-तरह के रोगों के इलाज के लिए जड़ी बूटियां तैयार करते हैं.
डॉ. प्रजापति आजमगढ़ में ‘पंचगव्य चिकित्सा’ नाम से एक छोटी सी क्लीनिक चलाते हैं, जहां पर ऐसे मरीजों का इलाज करते हैं, जो एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल से थक-हार चुके हैं और उन्हें फायदा नहीं मिल रहा. डॉ. प्रजापति के क्लीनिक पर कई ऐसे मरीज भी आते हैं जो चलने फिरने में असमर्थ हैं. उन्हें व्हीलचेयर से यहां ले आना पड़ता है. इलाज के बाद कुछ दिनों में ही वे अपने पैरों पर चलकर घर वापस जाते हैं. मरीज को सही चिकित्सा उपलब्ध कराने और जड़ी बूटियां तैयार करने के लिए उन्होंने अपने घर पर ही गौशाला बना रखी है. जहां से उन्हें पंचगव्य बनाने के लिए देसी गायों से दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर मिलता है.
Local 18 से बातचीत में डॉ. प्रजापति बताते हैं कि इस विधि से वे हर तरह के रोगों का इलाज कर रहे हैं. वे दावा करते हैं कि इस चिकित्सा पद्धति से उन्होंने कैंसर के मरीजों को भी ठीक किया है. कई ऐसे मरीज भी यहां से ठीक होकर गए हैं, जिनका पूरा शरीर लकवा का शिकार हो चुका था. डॉ. प्रजापति का दावा है कि उन्होंने कई किडनी के मरीज का भी इलाज किया है, जिनकी डायलिसिस हो रही थी. अब वे बिल्कुल स्वस्थ हैं.
मरीज ने बताई आपबीती
डॉ. प्रजापति से इलाज करा रहे राम नारायण प्रजापति बताते हैं कि वे एक महीने से इस चिकित्सा पद्धति से इलाज करा रहे हैं. यहां आने से पहले उनका पूरा शरीर लकवे का शिकार था. वे यहां तक व्हीलचेयर से पहुंचे थे. इसके पहले वे शहर के कई बड़े डॉक्टरों के यहां अपना इलाज करा चुके थे. पैसे भी खूब खर्च हुआ और बीमारी से निजात भी नहीं मिली. यहां इलाज कराने के बाद वे अपने पैरों पर चलने-फिरने लगे हैं. धीरे-धीरे उनका शरीर भी स्वस्थ होने लगा है.
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