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Benefits Of Story Telling: कभी पुराने ज़माने में जब न मोबाइल थे, न टीवी का इतना क्रेज़, तब रात को दादी-नानी की कहानियों में ही हमारी नींद आती थी. वो कहानियां सिर्फ नींद लाने का ज़रिया नहीं थीं, बल्कि उनमें छिपे होते थे जीवन के बड़े-बड़े सबक. बीरबल की चालाकी, पंचतंत्र की सीख, या फिर राजा-विक्रम और बेताल की बातें – हर कहानी में कुछ ऐसा होता था जो दिमाग में बस जाता था. आज के दौर में जब बच्चे मोबाइल, टैबलेट और कार्टून की दुनिया में खो गए हैं, तो कहानी सुनने की आदत धीरे-धीरे गायब होती जा रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं, सोने से पहले कहानी सुनना बच्चे के मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए बेहद फायदेमंद होता है? कहानी बच्चे के दिमाग को सुकून देती है, उसकी सोच को दिशा देती है और उसे कल्पनाशील बनाती है. यही नहीं, जब माता-पिता बच्चे को खुद कहानी सुनाते हैं, तो उस वक्त बनने वाला जुड़ाव बच्चे के आत्मविश्वास को और मज़बूत करता है. चलिए जानते हैं, आखिर बच्चों को कहानी सुनाने के क्या-क्या फायदे होते हैं.
कहानी सुनना बच्चों की भाषा सुधारने का सबसे आसान और असरदार तरीका है. जब बच्चा ध्यान से कहानी सुनता है, तो उसके शब्दों का भंडार बढ़ता है. वो नई-नई बातें समझने लगता है और धीरे-धीरे खुद भी साफ बोलने लगता है. जिन बच्चों को शुरू से कहानियां सुनाई जाती हैं, उनकी बोलने की क्षमता और उच्चारण बाकी बच्चों के मुकाबले बेहतर होता है.
2. भावनात्मक समझ बढ़ती है
कहानी के किरदारों से बच्चे खुद को जोड़ लेते हैं, अगर कहानी में दुख होता है, तो बच्चा भी भावुक हो जाता है, और अगर खुशी होती है तो मुस्कुराने लगता है. इससे वो दूसरों की भावनाओं को महसूस करना सीखता है. ऐसे बच्चे बड़े होकर दूसरों के प्रति ज़्यादा संवेदनशील और समझदार बनते हैं.
3. सुनने की आदत विकसित होती है
आजकल ज़्यादातर बच्चे बोलना तो जानते हैं, पर सुनने में उतना धैर्य नहीं रखते. कहानी सुनाने की आदत से उनमें ध्यान से सुनने का गुण आता है. जब बच्चा रोज़ कहानी सुनता है, तो वो किसी की बात को ध्यान से समझने और उसका मतलब निकालने की कोशिश करता है. इससे उसकी एकाग्रता भी बढ़ती है.
4. कल्पनाशक्ति और रचनात्मकता बढ़ती है
कहानी सुनते वक्त बच्चे के दिमाग में किरदार, जगहें और घटनाएं खुद-ब-खुद बनती चली जाती हैं, ये उसकी कल्पनाशक्ति को मजबूत करती है. ऐसे बच्चे आगे चलकर पढ़ाई में भी ज़्यादा बेहतर प्रदर्शन करते हैं क्योंकि वो हर चीज़ को सोचकर, समझकर सीखते हैं.
5. संस्कृति और मूल्यों की समझ
दादी-नानी की कहानियां सिर्फ मनोरंजन नहीं करतीं, बल्कि उनमें संस्कार भी छिपे होते हैं. जब बच्चे पौराणिक, ऐतिहासिक या नैतिक कहानियां सुनते हैं, तो उन्हें अपने देश, परिवार और समाज के मूल्यों की जानकारी मिलती है. वो जान पाते हैं कि पहले लोग कैसे रहते थे, क्या सोचते थे और क्या सही या गलत माना जाता था. इससे उनमें अपने संस्कारों के प्रति जुड़ाव पैदा होता है.
6. माता-पिता और बच्चे का रिश्ता मज़बूत होता है
कहानी सुनाने का वक्त सिर्फ कहानी का नहीं, बल्कि एक खूबसूरत रिश्ता बनाने का भी वक्त होता है. जब माता-पिता खुद बच्चे को कहानी सुनाते हैं, तो बच्चा खुद को सुरक्षित और प्यार से घिरा महसूस करता है. इससे उसकी आत्मविश्वास और भावनात्मक जुड़ाव दोनों में इज़ाफा होता है.
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