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Champions Trophy: भारत को चैंपियंस ट्रॉफी में अपने सारे मैच दुबई में खेलने हैं, जहां पिच धीमी और ओस का असर रहेगा. भारत ने पांच स्पिनर चुने हैं, जबकि पाकिस्तान ने एक. बुमराह की अनुपस्थिति में ओस से निपटना चुनौती…और पढ़ें

Champions Trophy: दुबई की पिच पर भारत का जुआ, 5 स्पिनर-3 सीमर, कितना सही फैसला

Champions Trophy: भारत को चैंपियंस ट्रॉफी में अपने सारे मैच दुबई में खेलने हैं.

हाइलाइट्स

  • चैंपियंस ट्रॉफी में अपने सारे मैच दुबई में खेलेगा भारत
  • पांच स्पिनर्स और तीन सीमर्स की रणनीति कितनी सही?
  • दुबई में खेलते वक्त ध्यान में रखने पड़ते हैं कई फैक्टर्स

नई दिल्ली: स्टेडियम की परछाई, दिन में धीमी पिच, रात में हल्की ओस, थोड़ी सी घास और काफी हद तक बैटिंग के लिए माकूल हालात…ये दुबई के कुछ अहम फैक्टर्स हैं, जिन्हें भारत को ध्यान में रखना होगा. 19 फवरी से शुरू हो रही चैंपियंस ट्रॉफी में भारत को अपने सारे मैच दुबई में खेलने हैं. भारत इस टूर्नामेंट में अपना पहला मैच बांग्लादेश के खिलाफ खेलेगा, 20 फरवरी को होने वाले इस मुकाबले में सिर्फ एक हफ्ते का ही समय बचा है. इस बीच जो एक कॉमन सवाल निकलकर आ रहा है, वो है- क्या भारत ने दुबई की पिच के लिए पांच स्पिनर और सिर्फ तीन सीमर को शामिल करके कोई जुआ खेला है?

दुबई को समझना आसान नहीं
मेजबान पाकिस्तान जो संभवत: 23 फरवरी को भारत के खिलाफ ग्रुप मैच सहित दो मैच खेल सकता है, वह दुबई के हालातों से बेहतर है. पाकिस्तान ने अपनी टीम में सिर्फ एक स्पेशलिस्ट स्पिनर रखा है. संयुक्त अरब अमीरात में शारजाह, दुबई और अबू धाबी तीनों मैदान के अपने अलग-अलग चैलेंज हैं. दुबई इंटरनेशल क्रिकेट स्टेडियम अपनी बनावट के कारण अनोखा है. दुबई में पिच का मैच पर बहुत प्रभाव पड़ता है. सूरज की रोशनी के एंगल और स्टेडियम की संरचना के कारण मैदान के अलग-अलग हिस्सों पर अलग-अलग असर है. बाउंड्री के पास की पिच धीमी होती है क्योंकि उसे देर तक धूप नहीं मिलती.

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पेसर्स या स्पिनर्स?
आईएलटी20 में दुबई कैपिटल्स के कोच रहे हेमांग बदानी ने बताया कि उन्हें टूर्नामेंट के दूसरे भाग में परिस्थितियों के हिसाब से अपनी रणनीति बदलनी पड़ी. शुरुआत में चार तेज गेंदबाजों के साथ खेलने के बाद पिच धीमी होने पर उन्हें एक एक एक्सट्रा स्पिनर को शामिल करना पड़ा.

ओस का फैक्टर कितना अहम?
दुबई में ओस का असर भी अहम है. शुरुआती ओस स्पिनरों के लिए मददगार होती है, लेकिन बाद में ओस के कारण बल्लेबाजी आसान हो जाती है. यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत बुमराह की अनुपस्थिति में ओस से कैसे निपटता है. दो कलाई के स्पिनरों को खिलाना जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन एक स्पिनर के साथ जाने से गेंदबाजी आक्रमण कमजोर हो सकता है.

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शमी जैसे लाइन-लैंथ वाले बॉलर को मदद
दुबई का स्टेडियम तेज गेंदबाजों के लिए मददगार माना जाता है. पूर्व भारतीय क्रिकेटर और यूएई के कोच रह चुके रॉबिन सिंह के अनुसार, शमी जैसे गेंदबाज जो सही लाइन और लेंथ से गेंदबाजी करते हैं, उन्हें दुबई में सफलता मिल सकती है.

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टॉस जीतकर बैटिंग या बॉलिंग?
मैच दोपहर में शुरू होने के कारण शुरुआत में गेंदबाजों को मदद मिलने की उम्मीद है. टूर्नामेंट के लिए पिच को विशेष रूप से तैयार किया गया है ताकि वे अच्छी बल्लेबाजी विकेट प्रदान कर सकें. फिर भी, दुबई में दूसरे नंबर पर बल्लेबाजी करना हमेशा फायदेमंद होता है क्योंकि ओस के कारण बाद में बल्लेबाजी आसान हो जाती है. हालांकि पिच धीमी हो सकती है, लेकिन स्पिनरों को टर्न की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.

दुबई में कितना स्कोर डिफेंडेबल?
रॉबिन सिंह का मानना ​​है कि दुबई में 300 का स्कोर एक बड़ा स्कोर होगा और बल्लेबाजी में गहराई होना महत्वपूर्ण होगा. वरुण चक्रवर्ती को टीम में शामिल करना इस बात का संकेत है कि भारत अपनी बल्लेबाजी को मजबूत करना चाहता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि कुलदीप और वरुण में से किसे प्लेइंग इलेवन में जगह मिलती है और अन्य स्पिन विकल्पों को कैसे चुना जाता है.

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