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जब भरत श्री राम को मनाने के लिए चित्रकूट आए थे, तब भरत और श्री राम यहां मिले थे. उनके मिलने के दौरान दो प्रक्रियाएं हुईं – जो जड़ था, वह चेतन हो गया और जो चेतन था, वह जड़ में बदल गया. मिलन के दौरान जब भरत जी यहां गिर जाते हैं, तब प्रभु श्री राम अपने आप को भूलकर उन्हें उठाने लगते हैं.
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