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Corona Virus New Research: भारत में कोविड के मामले बढ़ रहे हैं, 1200 से ज्यादा एक्टिव केस हैं. अमेरिका में की गई एक नई रिसर्च में पता चला कि 15 प्रतिशत छोटे बच्चे लॉन्ग कोविड से प्रभावित हो रहे हैं. बच्चों में …और पढ़ें

जब कोविड के लक्षण 3 महीने तक रहें, तो इसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है.
हाइलाइट्स
- कोविड संक्रमण का खतरा बच्चों को वयस्कों की तुलना में ज्यादा होता है.
- एक हालिया स्टडी में पता चला है कि 15% बच्चे लॉन्ग कोविड से जूझ रहे हैं.
- लॉन्ग कोविड बच्चों की ग्रोथ से लेकर लाइफ क्वालिटी को बिगाड़ सकता है.
New Study on Covid Infection: भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. देश में 1200 से ज्यादा कोविड के एक्टिव केसेस हैं और एक्सपर्ट्स ने लोगों को कोविड प्रोटोकॉल्स फॉलो करने की सलाह दी है. कोविड के बढ़ते खतरे के बीच इसे लेकर एक नई रिसर्च सामने आई है, जो बच्चों से जुड़ी हुई है. इस नई स्टडी में पता चला है कि करीब 15 प्रतिशत छोटे बच्चे लॉन्ग कोविड से प्रभावित हो रहे हैं. लॉन्ग कोविड का मतलब है कि बच्चे में कोविड संक्रमण के बाद कम से कम तीन महीने तक कुछ लक्षण लगातार बने रहें. यह लक्षण उनकी उम्र के हिसाब से अलग-अलग होते हैं.
यह स्टडी मार्च 2022 से जुलाई 2024 के बीच की गई थी और इसमें कुल 1011 बच्चों को शामिल किया गया था. इनमें से दो साल से छोटे 278 बच्चों में से 14 प्रतिशत और तीन से पांच साल के 399 बच्चों में से 15 प्रतिशत में लॉन्ग कोविड के लक्षण देखे गए. इससे साफ है कि हर आयु वर्ग के छोटे बच्चों में यह समस्या देखी जा रही है. अध्ययन में यह भी पाया गया कि लॉन्ग कोविड के लक्षण उम्र के अनुसार अलग-अलग होते हैं. दो साल से कम उम्र के बच्चों में मुख्य लक्षण नींद में परेशानी, चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, बंद नाक और खांसी जैसे थे. वहीं तीन से पांच साल के बच्चों में सूखी खांसी और दिन में थकान या ऊर्जा की कमी ज्यादा देखी गई. कुल मिलाकर 74 प्रतिशत प्रीस्कूल बच्चों ने खांसी की शिकायत की.
बड़े बच्चों में लॉन्ग कोविड के लक्षण छोटे बच्चों से काफी अलग होते हैं. स्कूल जाने वाले बच्चों में अधिकतर न्यूरोलॉजिकल समस्याएं होती हैं, जैसे – ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, नींद में परेशानी, चक्कर आना, साथ ही सिरदर्द, पेट दर्द, उल्टी या पीठ और गर्दन में दर्द जैसे शारीरिक लक्षण भी सामने आते हैं. कुछ मामलों में व्यवहार में बदलाव भी देखने को मिलते हैं. अमेरिका के मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के रिसर्चर डॉ. टोनी थावेथाई ने बताया कि यह अध्ययन इसलिए अहम है क्योंकि यह दिखाता है कि छोटे बच्चों में लॉन्ग कोविड के लक्षण बड़े बच्चों और वयस्कों से अलग होते हैं.
एक्सपर्ट ने कहा कि छोटे बच्चे खुद अपनी परेशानी बयान नहीं कर पाते, इसलिए उनके लक्षणों को उनके देखभाल करने वालों के अवलोकन के आधार पर समझा जाता है. ऐसे लक्षण बच्चों के स्वास्थ्य, जीवन की गुणवत्ता और विकास को प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए छोटे बच्चों पर कोविड के प्रभाव को लेकर अधिक शोध की जरूरत है. दरअसल बच्चों की इम्यूनिटी पूरी तरह डेवलप नहीं हो पाती है और यही वजह है कि कोविड इंफेक्शन का खतरा कम उम्र के बच्चों को ज्यादा होता है. डॉक्टर्स इन बच्चों का खास खयाल रखने की सलाह देते हैं.
अब सवाल है कि छोटे बच्चों को कोविड संक्रमण से कैसे बचाया जाए? इस पर डॉक्टर्स का कहना है कि छोटे बच्चों को कोविड संक्रमण से बचाने के लिए साफ-सफाई और सावधानी बेहद जरूरी है. बच्चों के हाथ बार-बार साबुन से धोएं और उन्हें आंख, नाक और मुंह छूने से रोकें. भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचाएं. घर में यदि कोई बीमार है, तो उसे बच्चे से दूरी बनाकर रखें. बच्चों के खिलौने और आसपास की चीजें साफ रखें. संतुलित आहार दें ताकि उनकी इम्यूनिटी मजबूत रहे. खांसी, बुखार या सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें.

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें
अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें
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