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Health News: हाई रिस्क प्रेग्नेंसी जैसे खतरे और उसके कारण महिलाओं की मौत होने से रोकने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तराखंड में गर्भवती महिलाओं को जागरूक करने का काम कर रहा है.

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के खतरे
हाइलाइट्स
- हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से महिलाओं की जान को खतरा
- उत्तराखंड में गर्भवती महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है
- गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर कम करने के प्रयास
देहरादून: एनीमिया, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के चलते गर्भवती महिलाओं को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का सामना करना पड़ता है. क़ई बार तो महिलाओं की जान भी चली जाती है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तराखंड में उच्च जोखिम गर्भावस्था यानी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी को चिन्हित करने और महिलाओं को जागरूक कर उनके मार्गदर्शन का काम कर रहा है.
इस बारे में देहरादून के सीएमओ यानी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा, कि कई बार देखा जाता है कि गर्भवती महिलाओं में कई तरह की परेशानियां होती हैं, जिनको नजरअंदाज करने से महिलाओं को मुश्किल भी हो सकती है. उन्होंने कहा, कि स्वास्थ्य विभाग राज्य में गर्भवती महिला मृत्यु दर में कमी के लिए लगातार प्रयास करता रहता है. इसी कड़ी में हाल ही में एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें हाई रिस्क प्रेग्नेंसी और बचाव के तरीकों पर चर्चा की गई थी. आगे वे बताते हैं, इसके लिए हमने हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की पहचान कराने के लिए सभी ब्लॉक अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सभी एएनएम सेंटरों, सरकारी अस्पतालों में ग्लूकोमीटर, हीमोग्लोबिन मीटर के साथ सभी जरूरी उपकरण और पेशाब की जांच की व्यवस्था की जाए.
वहीं अस्पतालों और सामुदायिक केंद्रों में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के 10 मुख्य बिंदुओं को पोस्टर आदि के जरिए दर्शाने के निर्देश दिए गए हैं जिससे गर्भवती महिलाएं जान पाएंगी, कि गर्भावस्था के दौरान कहीं वह हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का शिकार तो नहीं हो रहीं हैं. ऐसे में सही समय पर गर्भवती महिलाओं का चेकअप हो पाएगा और उन्हें इलाज मिल पाएगा. इसी के साथ ही गर्भवती महिलाओं के प्रसव के दौरान मौतों को रोका जा सकेगा और उनकी मृत्यु दर में भी कमी आएगी.
इस स्थिति में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा
गर्भावस्था के दौरान महिला को डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, पीसीओएस, थायरॉइड, प्लेसेंटा प्रिविया, प्रीक्लेम्पसिया जैसी बीमारियां होती हैं, तो बच्चा होने तक चिकित्सक की निगरानी में रहना जरूरी है, वरना मां के साथ-साथ बच्चे की जान को भी खतरा हो जाता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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