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Dehradun news in hindi : ये मल्टीविटामिन टैबलेट की तरह काम करता है. इसमें विटामिन ए, विटामिन बी कांप्लेक्स और विटामिन सी समेत कई रामबाण तत्व समाए हैं. इसके जीवाणुनाशक गुण हैरान करने वाले हैं.

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Dehradun News : हैजा और पीलिया का काल, दुधारू पशुओं के लिए अमृत…वरदान है ये पहाड़ी फल

बेहद गुणकारी है उत्तराखंड के पहाड़ों पर पाया जाने वाला फल ‘तिमला’

हाइलाइट्स

  • तिमला में विटामिन ए, बी, सी, डी, ई प्रचुर मात्रा में होते हैं.
  • तिमला हैजा और पीलिया जैसी बीमारियों में फायदेमंद.
  • तिमला की पत्तियां मवेशियों के लिए भी गुणकारी होती हैं.

Timla benefits/देहरादून. उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में कई सारी हर्ब्स पाई जाती हैं. इनमें से कई ऐसी भी होती हैं जिन्हें सब्जी के रूप में खाया जाता है और ये हर्ब्स की तरह ही गुणों से भरपूर होती हैं. ऐसी ही एक चीज तिमला है, जिसकी न खेती होती है और न ही उत्पादन होता है. ये जंगलों में होता है, जिसमें कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं. पहाड़ में इसे सब्जी और अचार बनाकर खाया जाता है. यह घाव भरने से लेकर हैजा और पीलिया जैसी बीमारी में फायदेमंद माना जाता है. देहरादून के आयुर्वेदिक चिकित्सक सिराज सिद्दीकी लोकल 18 से कहते हैं कि तिमला एक मल्टीविटामिन टैबलेट की तरह है, क्योंकि इसमें कई सारे पोषक तत्व होते हैं. इसमें विटामिन ए, विटामिन बी कांप्लेक्स, विटामिन सी, विटामिन ई और विटामिन डी अच्छी मात्रा में पाया जाता है.

चीज एक, फायदे अनेक

डॉ. सिद्दीकी के अनुसार, तिमला में कैल्शियम, जिंक, मैग्नीशियम और कॉपर की भी प्रचुर मात्रा पाई जाती है. इसमें विटामिन बी कांप्लेक्स पाया जाता है, जो नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाता है. इसमें पाया जाने वाला विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाता है. बाल और त्वचा को बेहतर बनाने के लिए तिमला में विटामिन ए पाया जाता है. कुल मिलाकर यह बहुत ही अच्छी हर्ब है. इसे पहाड़ में तिमिल, तिमल, तिमलु जैसे कई नामों से जाना जाता है. यह उत्तराखंड के पहाड़ों पर  अप्रैल से जून में आसानी से उपलब्ध हो जाता है. इसे सब्जी, अचार और रायते के रूप में लोग खाते हैं. यह ब्लड प्रेशर और शुगर को कंट्रोल करता है. इसमें जीवाणुनाशक गुण पाए जाते हैं.

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दुधारू पशुओं की जान

तिमला का फल तो हमारे लिए बहुत फायदेमंद होता ही है, इसकी पत्तियां मवेशियों के लिए बहुत गुणकारी होती हैं. 20 से 25 सेमी चौड़ी तिमले की पत्तियों को गाय भैंसों के लिए चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. स्थानीय लोग मानते हैं कि इसके पत्ते खाकर दुधारू जानवरों का दूध भी बढ़ जाता है.

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हैजा और पीलिया का काल, दुधारू पशुओं के लिए अमृत…वरदान है ये पहाड़ी फल

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