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Pilibhit News In Hindi : पीलीभीत की जामा मस्जिद, जो दिल्ली की जामा मस्जिद की तर्ज पर 250 साल पहले हाफिज रहमत खान द्वारा बनाई गई थी, अब उपेक्षा का शिकार हो रही है. इसे स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए बनाया ग…और पढ़ें

शहर स्थित जामा मस्जिद.
हाइलाइट्स
- जामा मस्जिद का निर्माण 1767 में हुआ था.
- मस्जिद का निर्माण रोजगार देने के लिए किया गया था.
- संरक्षित इमारत होने के बावजूद मस्जिद बदहाल है.
पीलीभीत : उत्तर प्रदेश के पीलीभीत शहर में स्थित जामा मस्जिद हूबहू दिल्ली की जामा मस्जिद की तर्ज पर बनाई गई है. इस मस्जिद का इतिहास लगभग 250 साल पुराना है. इसे रोहिल्ला सरदार हाफिज रहमत खान ने बनवाया था. इतिहासकारों के अनुसार यह मस्जिद धार्मिक महत्व के साथ-साथ इंसानियत की मिसाल भी मानी जाती है.
गौरतलब है कि पीलीभीत और आसपास के इलाकों में लंबे समय तक रोहिल्लाओं शासकों का राज था, जिसके कारण यह इलाका रोहिलखंड कहलाया. माना जाता है कि पीलीभीत शहर को मूल रूप से बंजारों ने बसाया था, जिनकी संख्या बहुत कम थी. रोहिल्लाओं के शासन के दौरान यहां हाफिज रहमत खान का राज था, जिसके चलते उस समय पीलीभीत को हाफिजाबाद के नाम से जाना जाता था. हाफिज रहमत खान ने अपने शासनकाल में कई निर्माण कार्य कराए, जिनमें जामा मस्जिद सबसे प्रमुख है.
क्यों हुआ था जामा मस्जिद का निर्माण?
जामा मस्जिद के इतिहास पर अधिक जानकारी देते हुए वरिष्ठ पत्रकार डॉ. अमिताभ अग्निहोत्री बताते हैं कि बुजुर्गों और जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी के सदस्यों से मिली जानकारी के अनुसार, जिस स्थान पर आज जामा मस्जिद है, वहां कभी एक तालाब हुआ करता था. एक समय इलाके में भुखमरी के हालात पैदा हो गए थे. तब हाफिज रहमत खान ने जामा मस्जिद का निर्माण कराया ताकि निर्माण कार्य के साथ-साथ स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके.
उपेक्षा का शिकार हो रही जामा मस्जिद
मस्जिद में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इसका निर्माण सन 1767 में कराया गया था. यह पीलीभीत और रोहिलखंड की महत्वपूर्ण धरोहरों में से एक है. इसी कारण पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे संरक्षित इमारतों की सूची में शामिल किया है. हालांकि, विभाग की ओर से यहां कोई संरक्षण कार्य नहीं कराया गया है. यहां तक कि संरक्षित इमारत होने का साइनबोर्ड भी नहीं लगाया गया है.
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