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Talaq in islam : इस्लाम में शादी को बहुत पवित्र माना गया है, लेकिन जब साथ रहना मुश्किल हो जाए, तो अलग भी हो सकते हैं. हालांकि तलाक इस्लाम में सबसे नापसंद अमल बताया गया है. सिर्फ मजबूरी में इसकी इजाजत है. इसके भी कई प्रकार हैं.
अलीगढ़. इस्लाम में शादी को बहुत पवित्र और मजबूत रिश्ता माना गया है, लेकिन जब पति-पत्नी के बीच आपसी मतभेद इतना बढ़ जाए कि साथ रहना मुश्किल हो, तब शरीअत तलाक का रास्ता खुला रखती है. हालांकि तलाक इस्लाम में सबसे नापसंद अमल बताया गया है, इसे सिर्फ मजबूरी की स्थिति में अपनाने की इजाजत दी गई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि तलाक भी एक नहीं बल्कि 6 तरह का होता है. चलिए जानते हैं तलाक के बारे मे क्या कहते हैं मुस्लिम धर्मगुरु. अलीगढ़ के मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना इफराहीम हुसैन बताते हैं कि इस्लाम में तलाक एक बेहद नापसंदीदा लेकिन मजबूरी की स्थिति में अपनाया जाने वाला अमल माना गया है. कुरान में तलाक देने की एक तय प्रक्रिया बताई गई है, जिसके तहत पति-पत्नी दोनों के अधिकारों और आसानियों का ध्यान रखा गया है. तलाक को कभी भी हल्के में लेने या जल्दबाजी में करने की अनुमति नहीं दी गई है. यह कदम तब उठाया जाता है जब आपसी मतभेद और रिश्ते को बचाने की सभी कोशिशें नाकाम हो जाती हैं.
मौलाना इफराहीम हुसैन कहते हैं कि इस्लामी शरीअत के मुताबिक तलाक के कुल छह तरीके बताए गए हैं. तलाक-ए-अहसन, तलाक-ए-हसन, तलाक-ए-बिदअत, तफवीज़, खुला और मुबारात. इनमें सबसे बेहतर और पसंदीदा तरीका तलाक-ए-अहसन माना गया है. इसमें पति एक बार तलाक देता है और तीन महीने तक रुजू यानी दोबारा साथ आने का मौका रहता है. अगर इस अवधि में पति-पत्नी सुलह कर लेते हैं, तो तलाक खत्म हो जाता है. दूसरा तरीका तलाक-ए-हसन है, जिसमें तीन अलग-अलग समय या महीने में तीन बार तलाक कहा जाता है. पहले दो बार के बाद रुजू की गुंजाइश रहती है, लेकिन तीसरी बार तलाक कहने के बाद रिश्ता खत्म हो जाता है. तीसरा तरीका तलाक-ए-बिदअत है, जिसमें तीनों तलाक एक ही वक्त में दे दिया जाता है. इसे इस्लाम में बहुत नापसंद और गुनाह माना गया है क्योंकि यह शरीअत के बताए तरीकों के खिलाफ है.
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बाकी के लिए ये जरूरी
मौलाना इफराहीम हुसैन के मुताबिक, कुछ तलाक आपसी समझौते या अधिकार के आधार पर भी होते हैं. तलाक-ए-तफवीज में पति अपनी पत्नी को तलाक देने का अधिकार दे देता है. खुला वह प्रक्रिया है जिसमें पत्नी अपने मेहर को वापस करके पति से अलग होने की अनुमति लेती है. मुबारात में पति और पत्नी दोनों की आपसी रजामंदी से अलग होने का फैसला किया जाता है. इस तरह इस्लाम में तलाक के छह तरीके बताए गए हैं, लेकिन इनमें से केवल अहसन और हसन को शरीअत के मुताबिक सही और पसंदीदा माना गया है. जबकि बाकी तरीकों को मजबूरी या आपसी सहमति की स्थिति में ही स्वीकार किया जाता है.
Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें
Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu… और पढ़ें
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