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टेस्ट क्रिकेट में जल्द ही एक हकीकत बन जाएगा टू-टियर सिस्टम टेस्ट खेलने वाले सभी देशों को दो अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जाएगाआईसीसी के अध्यक्ष जय शाह इस महीने के अंत में करने वाले हैं बैठक
Two-tier Test cricket system: टेस्ट क्रिकेट में टू-टियर सिस्टम जल्द ही एक हकीकत बन जाएगा. यह एक ऐसा प्रस्ताव है जिसके तहत टेस्ट खेलने वाले सभी देशों को दो अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जाएगा. इस सिस्टम का उद्देश्य टेस्ट क्रिकेट को और अधिक रोमांचक बनाना और शीर्ष टीमों के बीच अधिक से अधिक मुकाबले कराना है. हाल ही में जो रिपोर्ट्स सामने आई हैं कि उसके अनुसार इस योजना पर एक मेगा मीटिंग जल्द ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के अध्यक्ष जय शाह की अगुआई में होगी. विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के लिए दो-स्तरीय सिस्टम अधिकांश देशों में अपनाये जाने वाले फुटबॉल संरचना की तरह होगा. जहां कुछ टीमों के लिए एक शीर्ष डिवीजन होगा और शेष टीमों के लिए दूसरा डिवीजन होगा.
टेस्ट ढांचे के संभावित विभाजन की बात पहले से ही खबरों में थी, लेकिन यह तब वास्तविकता लगने लगी जब छह जनवरी को मेलबर्न ऐज ने खबर दी कि आईसीसी के अध्यक्ष जय शाह इस महीने के अंत में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख माइक बेयर्ड और इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) के प्रमुख रिचर्ड थॉम्पसन से विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के दो-स्तरीय प्रारूप पर चर्चा करने के लिए मुलाकात करेंगे. ये इसलिए है ताकि बिग थ्री (भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड) एक-दूसरे के खिलाफ ब्लॉकबस्टर सीरीज में अधिक बार खेल सकें. हालांकि फिलहाल कोई स्पष्टता नहीं है कि डब्ल्यूटीसी के लिए आदर्श टू-टियर सिस्टम को किस तरह लागू किया जाएगा.
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टेस्ट क्रिकेट में क्या है टू-टियर सिस्टम?
माना जा कहा है कि इस तरह की संरचना में डब्ल्यूटीसी चक्र के अंत में शीर्ष डिवीजन में सबसे नीचे रहने वाली टीम या टीमों को दूसरे स्तर पर भेज दिया जाएगा. इस बीच, दूसरे डिवीजन में शीर्ष पर रहने वाली टीम या टीमों को शीर्ष स्तर पर पदोन्नति मिलेगी, जिससे एक प्रतिस्पर्धी और गतिशील ढांचा तैयार होगा. रिपोर्टों के अनुसार, भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्रीलंका और न्यूजीलैंड टियर वन का हिस्सा हो सकते हैं, जबकि वेस्टइंडीज, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, आयरलैंड और जिम्बाब्वे को दूसरे टियर में रखा जाएगा. यह भी बताया गया है कि टू-टियर सिस्टम 2027 में वर्तमान भविष्य दौरा कार्यक्रम समाप्त होने के बाद शुरू किया जाएगा. यह वह वर्ष भी है जब एमसीजी में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच 150वीं वर्षगांठ का टेस्ट मैच निर्धारित है.
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क्यों पड़ी टू-टियर सिस्टम की जरूरत?
यह मुख्य रूप से हर देश के क्रिकेट बोर्डों पर पड़ने वाले वित्तीय दबाव के कारण है. टी-20 और विशेष रूप से फ्रेंचाइजी क्रिकेट धीरे-धीरे प्रमुख ताकत बन रहा है. क्रिकेट बोर्डों को अपने खिलाड़ियों पर कंट्रोल रखने के लिए अच्छे रेवेन्यू की जरूरत है. क्योंकि खिलाड़ियों को निजी लीगों से कई साल के करार की पेशकश की जा रही है. हाल ही में, इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) को भी पहली बार अपने शीर्ष खिलाड़ियों को बहु-वर्षीय अनुबंध देने के लिए मजबूर होना पड़ा ताकि वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना बंद न करें. हालांकि, ऐसा करने के लिए ईसीबी को जरूरी रेवेन्यू पैदा करने की जरूरत है.
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ज्यादा रेवन्यू इकट्ठा करने पर है जोर
बीसीसीआई के विपरीत जिसने 2023-24 वित्तीय वर्ष में 20,686 करोड़ रुपये कमाए, ईसीबी या क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य बोर्ड सालाना लगभग 500 करोड़ रुपये कमाते हैं. जब हम छोटी टीमों की बात करते हैं तो यह आंकड़ा काफी कम हो जाती है. ऐसे में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के लिए यह बहुत मायने रखता है कि वे शीर्ष स्तर का हिस्सा बनें और उन्हें भारत के खिलाफ अधिक बार खेलने का मौका मिले. टू-टियर सिस्टम में, एशेज या बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को हर तीन साल में दो बार आयोजित किया जा सकता है, जबकि मौजूदा प्रारूप के तहत हर चार साल में दो बार आयोजित किया जाता है. इस सिस्टम की चर्चाओं ने 2024-25 बार्डर-गावस्कर सीरीज के कारण गति पकड़ी है. इसमें पांच टेस्ट खेले जाते हैं, जो ऑस्ट्रेलिया में चौथी सबसे ज्यादा देखी जाने वाली सीरीज है. इसमें मेलबर्न और सिडनी में रिकॉर्ड भीड़ के साथ-साथ ज्यादा संख्या में टीवी दर्शक भी शामिल हैं.
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पूर्व क्रिकेटर क्यों कर रहे विरोध
टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग ने ‘द टेलीग्राफ’ में अपने कॉलम में चेतावनी दी, “टू टियर सिस्टम समझ में आती है, लेकिन शीर्ष देशों को निचले ब्रैकेट में आने वालों के दौरे के लिए जगह बनानी चाहिए. अन्यथा छोटे देश गायब हो जाएंगे.” होल्डिंग के पूर्व कप्तान क्लाइव लॉयड ने भी अपनी बेचैनी व्यक्त की. उनका मानना था, “इसके बजाय प्रयासों को यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि संघर्षरत टीमों को शीर्ष टीमों के खिलाफ खेलने के अधिक अवसर मिलें. मुझे लगता है कि यह उन सभी देशों के लिए गलत होगा जिन्होंने टेस्ट दर्जा हासिल करने के लिए इतनी मेहनत की है. अब वे निचले वर्ग में आपस में खेलने के लिए मजबूर हो जाएंगे. वे शीर्ष पर कैसे पहुंचेंगे? (केवल) बेहतर टीमों के खिलाफ खेलकर.” 80 वर्षीय क्लाइव लॉयड ने कहा, “ईमानदारी से कहूं तो टू-टियर सिस्टम नहीं होना चाहिए. यह आदर्श नहीं है क्योंकि केवल शीर्ष तीन टीमें ही अधिक रेवेन्यू अर्जित करेंगी.”
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ये कदम टेस्ट को बचाने के लिए जरूरी
टू टियर सिस्टम के समर्थक भी हैं. सिडनी में पांचवें टेस्ट के दौरान एसइएन रेडियो पर टिप्पणी करते हुए, भारत के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने व्यस्त शेड्यूल पर चिंता व्यक्त की, और टेस्ट क्रिकेट में अधिक ‘सर्वश्रेष्ठ बनाम सर्वश्रेष्ठ’ मैचों की वकालत की. शास्त्री ने कहा, “मेरा हमेशा से मानना रहा है कि अगर आप टेस्ट क्रिकेट को जीवित रखना चाहते हैं और आगे बढ़ना चाहते हैं, तो यही तरीका है. शीर्ष टीमों को एक-दूसरे के साथ अधिक बार खेलना चाहिए, जिससे प्रतिस्पर्धा पैदा हो.”
यूएई के वर्तमान मुख्य कोच लालचंद राजपूत ने कहा, “यह बहुत अच्छा विचार है. अगर आपके पास टियर वन में छह शीर्ष क्रिकेट देश और टियर टू में छह हो सकते हैं, तो यह अच्छा काम कर सकता है. उदाहरण के लिए, जिम्बाब्वे जैसी निचली रैंक वाली टीम, अगर भारत या ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलती है तो उसे हार का सामना करना पड़ेगा. इसका मतलब यह होगा कि सभी डब्ल्यूटीसी मैचों में खेलने के लिए कुछ न कुछ होगा.” इंग्लैंड के पूर्व कप्तान वॉन दो-स्तरीय टेस्ट प्रणाली का समर्थन करने वाले सबसे प्रमुख नामों में से एक हैं. उन्होंने हाल ही में कहा कि दो-स्तरीय प्रणाली टेस्ट क्रिकेट को प्रासंगिक बनाए रखेगी और बेमेल मैचों से बचने में मदद करेगी.
2024 में टेस्ट में आए अप्रत्याशित रिजल्ट
इस सारी उठपटक के बीच यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 2024 टेस्ट क्रिकेट में अप्रत्याशित परिणामों का साल था. इन रिजल्ट से लाल गेंद के प्रारूप को असामान्य रूप से रोमांचक बना दिया. इसमें वेस्टइंडीज ने ब्रिस्बेन के गाबा में गुलाबी गेंद के टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को चौंका दिया और पिछले हफ्ते बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत की 3-1 से हार शामिल थी. इस मामले में कई लोग तर्क देते हैं कि पिछले साल टेस्ट क्रिकेट का पुनर्जन्म हुआ है. क्योंकि कुछ साल पहले 2022 में, बांग्लादेश ने माउंट माउंगानुई में न्यूजीलैंड में अपनी पहली टेस्ट जीत हासिल की थी. इसलिए हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि टेस्ट क्रिकेट जीवित और रोमांचक बना रहे. यह शायद उसी दिशा में एक पहल हो सकती है.
Tags: BCCI Cricket, ICC Cricket News, Jay Shah, Test cricket
FIRST PUBLISHED : January 9, 2025, 16:54 IST
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