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गाजियाबाद कमिश्नर जे रविन्द्र गौड़ ने बीट प्रणाली को नए ढंग से लागू किया है, जिसमें 2,096 बीटों पर 717 उपनिरीक्षक निगरानी रखेंगे. पुलिस जनसंपर्क, साइबर अपराध, और अवैध गतिविधियों पर सख्ती से नजर रखेगी.

गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर जे रविन्द्र गौड़.
गाजियाबाद. यूपी के गाजियाबाद कमिश्नर जे रविन्द्र गौड़ ने कहा कानून-व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने के लिए बीट प्रणाली को नए ढंग से लागू किया गया है. अब हर बीट का जिम्मा एक तयशुदा पुलिस टीम को सौंपा गया है, जो न केवल गश्त करेगी, बल्कि आमजन से सीधा संवाद भी बनाएगी. बीट प्रणाली का उद्देश्य है हर क्षेत्र में एक पुलिस ऑफिसर की स्पष्ट जिम्मेदारी तय करना. अब गाजियाबाद कमिश्नरेट में कुल 2,096 बीटों का गठन किया गया है, जिन पर 717 बीट उपनिरीक्षक निगरानी रखेंगे.
प्रत्येक बीट में मुख्य आरक्षी/आरक्षी को बीट पुलिस ऑफिसर यानी बीपीओ नियुक्त किया गया है. ये अधिकारी वर्दी में रहकर बीट के बाजार, मॉल्स, रेलवे स्टेशन, धार्मिक स्थल और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सक्रिय रहेंगे. जनसंपर्क को मजबूत करने के साथ-साथ अब बीट ऑफिसर पासपोर्ट, किरायेदार, शस्त्र लाइसेंस और वारंट जैसे मामलों में भी सक्रिय भागीदारी करेंगे.
गाजियाबाद पुलिस ने “जीरो टॉलरेंस नीति” को सख्ती से लागू करने की बात कही है. जुआ, सट्टेबाजी, अवैध नशीले पदार्थों की तस्करी और अवैध हथियार रखने वालों पर विशेष अभियान चलाया जाएगा. साइबर अपराधों से निपटने के लिए भी गाजियाबाद पुलिस ने पुख्ता इंतजाम किए हैं. अब प्रत्येक थाने में साइबर सेल का गठन हो चुका है और जनपद स्तर पर साइबर थाना कार्यरत है.
शिकायतों के त्वरित निस्तारण से अब तक 25% धनराशि पीड़ितों को वापस भी दिलाई जा चुकी है. साइबर अपराध की शिकायत के लिए 1930 हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है. भ्रष्टाचार और पुलिस दुर्व्यवहार के मामलों में भी आमजन को सीधे पुलिस अधिकारियों से जुड़ने का अवसर दिया गया है. अब कोई भी नागरिक पुलिस आयुक्त से लेकर उपायुक्त स्तर तक सीधे संपर्क कर सकता है. सभी अधिकारियों के मोबाइल नंबर 24×7 शिकायतों के लिए जारी किए गए हैं.
जनता की सुरक्षा और विश्वास कायम रखने की दिशा में गाजियाबाद पुलिस का यह कदम, निश्चित ही कानून-व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाएगा. महिला सुरक्षा के लिए 1090, यातायात हेल्प के लिए 9643322904, और अन्य आपातकालीन सेवाओं के लिए डायल 112 जैसी हेल्पलाइन सेवाएं भी पूरी तरह सक्रिय हैं. समुदाय और पुलिस के बीच सेतु बनाने वाली यह बीट प्रणाली, गाजियाबाद को एक सुरक्षित और जागरूक शहर के रूप में विकसित करने की दिशा में एक अहम कदम है.
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