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Ghaziabad news in hindi : प्रशासन ने देहात क्षेत्र के 13 गांवों को चिन्हित किया है, जहां से नालों का पानी सीधा नदी में गिरता है. ये कदम न सिर्फ पर्यावरण के लिए बल्कि लोगों की सेहत के लिए भी अहम माना जा रहा है.

गाजियाबाद के 13 गांवों में लगेगा STP, हिंडन नदी को मिलेगा स्वच्छ जल
हाइलाइट्स
- गाजियाबाद में हिंडन नदी में बिना ट्रीटमेंट पानी नहीं जाएगा.
- 13 गांवों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे.
- छह महीनों में परियोजना का प्रभाव दिखने लगेगा.
गाजियाबाद. हिंडन नदी में फैलते प्रदूषण को रोकने की दिशा में यूपी के गाजियाबाद जिला प्रशासन ने एक अहम कदम उठाया है. अब जिले के ग्रामीण इलाकों से बहकर आने वाले नालों के पानी को बिना ट्रीट किए सीधे नदी में नहीं छोड़ा जाएगा. इसके लिए प्रशासन ने देहात क्षेत्र के 13 गांवों को चिन्हित किया है, जहां से नालों का पानी हिंडन नदी में गिरता है. इन नालों के पानी को पहले ट्रीट किया जाएगा ताकि प्रदूषित जल नदी में न पहुंचे और जल-जीवन संतुलन बना रहे. यह कदम न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में है, बल्कि स्थानीय लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए भी अहम माना जा रहा है.
गांवों में लगाया जाएगा प्लांट
प्रशासन की ओर से जिन 13 गांवों की पहचान की गई है, उनमें लोनी, निवाड़ी, दादरी क्षेत्र के कुछ गांव प्रमुख हैं. इन गांवों से निकलने वाले घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट सीधे नालों के माध्यम से हिंडन नदी में मिलते रहे हैं. इससे न सिर्फ नदी का जल प्रदूषित हो रहा है, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में दुर्गंध और बीमारियों का खतरा भी बना रहता है. जिला प्रशासन की योजना के अनुसार, इन गांवों में छोटे स्तर के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) लगाए जाएंगे. इन प्लांट्स के जरिये नालों के गंदे पानी को पहले साफ किया जाएगा और फिर उसे नदी में छोड़ा जाएगा. कई स्थानों पर मौजूदा ड्रेनेज सिस्टम को भी अपग्रेड किया जाएगा ताकि पानी का बहाव नियंत्रित हो सके और अव्यवस्था न फैले.
समझाए जाएंगे ग्रामीण
गाजियाबाद के मुख्य विकास अधिकारी अभिनव गोपाल ने संबंधित विभागों के साथ मिलकर योजना की रूपरेखा तैयार की है. हाल ही में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में उन्होंने साफ निर्देश दिए कि कार्य में किसी भी प्रकार की ढिलाई न हो. जल निगम, नगर निगम, ग्राम पंचायतें और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आपसी समन्वय से कार्य को समयबद्ध तरीके से पूरा करेंगे. प्रशासन इस योजना के साथ-साथ गांवों में जन जागरूकता अभियान भी चलाएगा. ग्रामीणों को समझाया जाएगा कि साफ-सफाई और जलस्रोतों की रक्षा कैसे की जा सकती है. उन्हें यह भी बताया जाएगा कि नालों में घरेलू कचरा और प्लास्टिक न फेंके, ताकि एसटीपी की क्षमता पर अतिरिक्त दबाव न पड़े.
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कब दिखेगा असर
प्रशासन का दावा है कि आगामी छह महीनों में इस परियोजना का प्रभाव दिखने लगेगा. जल की गुणवत्ता में सुधार और जल जनित बीमारियों में भी कमी आएगी. नदी किनारे की भूमि पर हरियाली बढ़ाने की योजना भी तैयार की जा रही है. गाजियाबाद प्रशासन की ये पहल उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के लिए एक मॉडल बन सकती है, जहां से होकर हिंडन नदी गुजरती है. अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो भविष्य में इसे बड़े स्तर पर लागू किया जा सकता है.
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