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Ghoomer Movie Review: क्रिकेट और सिनेमा हमेशा ही दर्शकों को खींचने का काम करते रहे हैं. लेकिन जब भी सिनेमा में क्रिकेट की कहानियां दिखाई जाती हैं, वो हमेशा ही दर्शकों के बीच जबरदस्त सिक्सर मार कर तारीफें लूटें ये जरूरी नहीं. निर्देशक आर. बाल्कि अभिषेक बच्चन और सयामी खेर के कॉम्बिनेशन वाली ऐसी ही ‘घूमर’ जाए हैं, जो एक फीमेल क्रिएटर की कहानी है. ‘घूमर’ विश्वास, भरोसे और क्रिकेट के फ्लेवर से सजी एक खूबसूरत कहानी है, जो एंटरटेनमेंट का डोस साथ लेकर आई है. आइए बताते हैं कि इस फिल्म में आपके लिए क्या खास है.
क्या कहती है कहानी: ये कहानी है अनीना दीक्षित (सयामी खेर) की, जो एक जबरदस्त बैटर है और इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने के लिए पूरी तरह तैयार है. अनीना अपना ये सफर तय करने ही वाली थी कि तभी उसकी जिंदगी एक दुर्घटना से पूरी तरह बदल जाती है. अपनी हर आस तोड़ चुकी अनीना की जिंदगी में एंट्री होती है पद्म सिंह सोढ़ी यानी पैडी सर (अभिषेक बच्चन) की, जो न केवल उसके खोए हुए आत्मविश्वास को वापस लाते हैं बल्कि देश के लिए खेलना के उसके सपने को पूरा करने में भी उसकी मदद करते हैं. लेकिन कैसे, ये आपको कहानी में देखने को मिलेगा.
घूमर, क्रिकेट की फिल्मी कहानियों से अलग है
सबसे पहले कहानी की बात करें तो हमने इससे पहले ‘इकबाल’ देखी है, जिसमें एक गूंगा लड़का बॉलिंग के जरिए नीली जर्सी हांसिल करता है और देश के लिए खेलता है. इससे पहले भी क्रिकेट की असाधारण कहानियां हम देख चुके हैं. लेकिन निर्देशक आर. बाल्कि की ये कहानी जेंटलमेंस खेल में एक लड़की के जगह बनाने, उसके जीतने की कहानी पर्दे पर लाती है. लेकिन ‘घूमर’ अब तक की किसी भी महिला स्पोर्ट्स फिल्म से अलग और आगे की बात करती है. लड़की क्रिकेट खेल रही है, उसके घरवाले नहीं मान रहे या उसे जगह-जगह ताने मिल रहे हैं, उसे सलेक्शन के बाद पॉलीटिक्स का शिकार होना पड़ रहा है… ‘घूमर’ इनमें से किसी बात को छेड़ती तक नहीं है.
‘घूमर’ में अभिषेक और सयामी के साथ शबाना आजमी भी नजर आएंगी.
कहानी की शुरुआत में अनीना की दादी यानी शबाना आजमी उसके साथ हर मैच में उसका स्कोर कवर कर रही हैं और दूसरी तरफ घर पर अनीना के पिता अपने 2 बेटों और एक बेटी के लिए खाना बना रहे हैं. ‘घूमर’ की यही बातें इस फिल्म को खास और अलग बनाती हैं. अक्सर स्पोर्ट्स पर आधारित फिल्में एक पॉइंट के बाद बिलकुल एक जैसी हो जाती हैं, पर ‘घूमर’ शुरू से आखिर तक बांधे रखने का माद्दा रखती है.
कान नहीं फोड़ता बैकग्राउंड म्यूजिक
फिल्म का फर्स्ट हाफ में जहां कहानी को पकाने का काम करता है, वहीं सेकंड हाफ में काफी हाई पॉइंट्स हैं. सेकंड हाफ काफी मजेदार है. फिल्म की सबसे अच्छी बात ये है कि पूरी फिल्म में आपको कान फोड बैकग्राउंड म्यूजिक कहीं नहीं मिलेगा. कहानी के किसी भी हिस्से में जबरदस्ती बेचारगी न तो दिखाई गई है और न BGM के जरिए वो कानों में उड़ेलने की कोशिश है.
अभिषेक दिल जीत लेंगे, गारंटी है
एक्टिंग की बात करें तो अनीना के किरदार में सयामी खैर बेहतरीन रही हैं. वो खुद एक क्रिकेटर हैं और इसलिए क्रिकेटर की बॉडीलेग्वेज उन्होंने बखूबी पकड़ी है. फिल्म में दिल जीतने का काम किया है पैडी सर बने अभिषेक बच्चन ने, जो जब भी स्क्रीन पर नजर आते हैं, आप गौर से उनकी कही हर बात सुनते हैं. फिल्म में अभिषेक ने जिंदगी के लॉजिक और मैजिक पर एक जबरदस्त मोनोलॉग दिया है. इसे सुनने के बाद बार-बार दिल से बस एक ही आवाज आती है, अभिषेक आप और ज्यादा फिल्में करो यार… टॉर्चर करने वाला कोच और उसे झेलना प्लेयर ये फिल्मों का काफी पसंदीदा कॉम्बिनेशन है, लेकिन अभिषेक ने इस अंदाज को बखूबी निभाया है. अभिषेक ने इस फिल्म में अपने अभिनय से जान फूंक दूी है. वहीं शबाना आजमी ने ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ से इतर इस फिल्म में एक सशक्त महिला के किरदार में नजर आई हैं, जिनकी क्रिकेट की नॉलेज उनके घर के किसी भी मर्द से कहीं ज्यादा है.
‘घूमर’ की एक और सबसे बड़ी विशेषता है फिल्म के डायलॉग, जो कहानी में जान भर देते हैं. फिल्म के वन-लाइनर्स बेहद मजेदार हैं. कहानी को जितना आगे बढ़ाने और दिलचस्प बनाने का काम परफॉर्मेंसेस ने किया है, उतना ही कमाल फिल्म की राइटिंग में भी है, जो कहानी के हर हिस्से में आपको हंसने और भावुक होने का पूरा-पूरा मौका देती है. हालांकि कहानी के सेकंड हाफ में दिखाए गए मैच को पूरी तरह फिल्मी दिखाया गया है. मेरी तरफ से इस फिल्म को 4 स्टार.
डिटेल्ड रेटिंग
कहानी | : | |
स्क्रिनप्ल | : | |
डायरेक्शन | : | |
संगीत | : |
अमित त्रिवेदी/5 |
Tags: Abhishek bachchan, Movie review
FIRST PUBLISHED : August 18, 2023, 07:40 IST
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