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Gorakhpur news in hindi : शुरुआत में उनका काम धीमा चला, लेकिन उनके हाथों का स्वाद लोगों को इतना पसंद आया कि धीरे-धीरे भीड़ बढ़ने लगी और काम चल पड़ा. उनकी लिट्टी और छोले-चावल की थाली में जादू है.

आज आलम ये है कि शहर के कुछ बड़े अधिकारी भी उनके ग्राहक बन चुके हैं.
हाइलाइट्स
- दिनेश ने ठेकेदारी छोड़कर फूड स्टार्टअप शुरू किया.
- उनकी लिट्टी, पनीर, छोले-चावल की थाली मशहूर.
- अब वे हर दिन 100-150 प्लेट तक खाना बेच रहे हैं.
गोरखपुर. जब हालात हाथ से निकलने लगे तो हार मानने की बजाय नया रास्ता चुना. कभी ठेकेदारी के जरिए दूसरों के लिए आलीशान मकान बनवाने वाले गोरखपुर के दिनेश मौर्य बुरे दिनोंं से बाहर आ चुके हैं. उनका छोटा सा फूड स्टार्टअप अब गोरखपुर की यूनिवर्सिटी रोड पर स्वाद का नया पता बन चुका है. करीब 5 साल तक ठेकेदारी करने वाले दिनेश को जब लगातार घाटा होने लगा तो उन्होंने ठेकेदारी छोड़ने का कठिन फैसला लिया. लोन लेकर एक ई-रिक्शा खरीदा और पत्नी के साथ मिलकर घर पर लिट्टी, पनीर, छोले और चावल बनाने का काम शुरू किया. इसके बाद वे इसे बेचने के लिए यूनिवर्सिटी रोड पर खड़े होने लगे.
इतने रुपये की एक थाली
शुरुआत में काम धीमा था, लेकिन उनके बनाए खाने का स्वाद लोगों को इतना पसंद आया कि धीरे-धीरे वहां भीड़ लगने लगी. खासतौर पर उनकी लिट्टी में पनीर और छोले-चावल की खास थाली ने ग्राहकों को बांधे रखा. आज आलम ये है कि शहर के कुछ बड़े अधिकारी भी उनके ग्राहक बन चुके हैं और पैक कराकर खाना ले जाना आम बात हो गई है. दिनेश बताते हैं कि वे हर दिन 100 से 150 प्लेट तक खाना बेच लेते हैं. जिसमें पनीर की थाली 40 रुपये और छोले-चावल की 30 रुपये में बिकती है.
खास मसालों का यूज
ये कमाई अब उनके पूरे परिवार का मुख्य सहारा बन चुकी है. उनके दो बच्चे हैं, जो पढ़ाई करते हैं. इस छोटे से बिज़नेस से ही अब पूरा खर्च आसानी से निकल रहा है. दिनेश को भरोसा है कि आने वाले समय में उनका ये स्टॉल और बेहतर तरीके से चलेगा और कमाई भी बढ़ेगी. वे इसे एक स्थायी दुकान में बदलने की योजना भी बना रहे हैं. दिनेश की पत्नी इन शानदार खानों को बनाने में अपने कुछ खास मसाले का भी इस्तेमाल करती हैं.
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