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Deen Dayal Upadhyay Gorakhpur University: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने 1 करोड़ रुपये से Apple iMac लैब बनाई है. यहां 36 iMac सिस्टम्स पर Swift प्रोग्रामिंग, Xcode प्लेटफॉर्म और ऐप डेवलपमेंट की ट्रे…और पढ़ें

गोरखपुर यूनिवर्सिटी
हाइलाइट्स
- गोरखपुर विश्वविद्यालय में बनेगी अत्याधुनिक Apple लैब
- 36 iMac सिस्टम्स पर Swift प्रोग्रामिंग और ऐप डेवलपमेंट की ट्रेनिंग
- छात्रों को इंटरनेशनल टेक्नोलॉजी और रियल वर्ल्ड प्रोजेक्ट्स का एक्सपोजर मिलेगा
गोरखपुर: अगर आप टेक्नोलॉजी में करियर बनाने का सपना देख रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए है. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय अब छात्रों को डिजिटल दुनिया की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए बड़ा कदम उठा रहा है. पीएम-उषा योजना के तहत यूनिवर्सिटी को मिले 100 करोड़ रुपये में से लगभग 1 करोड़ रुपये से एक एप्पल iMac लैब बनाई जा रही है. इस हाईटेक लैब की शुरुआत कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट में की जाएगी और इसे इंजीनियरिंग फैकल्टी के तहत डेवलप किया जाएगा.
क्या खास होगा इस iMac लैब में?
यह लैब पूरी तरह से अत्याधुनिक तकनीक से लैस होगी. यहां 36 एडवांस्ड Apple iMac सिस्टम लगाए जाएंगे. स्टूडेंट्स को Swift प्रोग्रामिंग, Xcode प्लेटफॉर्म, UI/UX डिजाइन और ऐप डेवलपमेंट जैसे टॉप डिजिटल स्किल्स की ट्रेनिंग दी जाएगी. यूनिवर्सिटी की योजना इसे आगे चलकर Apple Authorized Training Center for Education (AATCE) बनाने की है, जहां से स्टूडेंट्स को Apple सर्टिफाइड कोर्स करने का मौका मिलेगा.
ग्लोबल लेवल की ट्रेनिंग, इंटरनेशनल करियर की तैयारी
इस लैब के जरिए स्टूडेंट्स को इंटरनेशनल टेक्नोलॉजी और रियल वर्ल्ड प्रोजेक्ट्स पर काम करने का एक्सपोजर मिलेगा. प्रोजेक्ट-बेस्ड लर्निंग के जरिए छात्र इंडस्ट्री रेडी स्किल्स सीखेंगे और उन्हें ग्लोबल जॉब मार्केट में बेहतर मौका मिलेगा. कुलपति प्रो. पूनम टंडन के मुताबिक, यह पहल इनोवेशन और टेक्नोलॉजी की दिशा में यूनिवर्सिटी का क्रांतिकारी कदम है
लैब की खासियत
अब यूनिवर्सिटी के छात्र सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उन्हें टेक्नोलॉजी की दुनिया में अपने हुनर को चमकाने का पूरा मौका मिलेगा. इस iMac लैब की सबसे खास बात ये है कि इसमें 36 हाई-परफॉर्मेंस Apple iMac सिस्टम होंगे. स्टूडेंट्स को यहां Swift और Xcode जैसे ऑफिशियल Apple टूल्स पर काम करने का मौका मिलेगा. लैब में लगाए गए Retina डिस्प्ले सिस्टम्स आंखों को आराम देने वाली तकनीक से लैस होंगे. यहां ट्रेनिंग पूरी तरह प्रोजेक्ट बेस्ड होगी, यानी छात्र रियल वर्ल्ड प्रॉब्लम्स पर काम करते हुए तकनीकी स्किल्स सीखेंगे. साथ ही, लैब में डाटा सिक्योरिटी और प्रोसेसिंग के दौरान पूरी गोपनीयता का भी ध्यान रखा जाएगा.
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