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नई दिल्ली (Health Alert, Delhi Private Schools). इन दिनों बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं. बदलती लाइफस्टाइल और पैकेज्ड फूड का बढ़ता इनटेक इसके बड़े कारण हैं. सीबीएसई ने हाल ही में सभी स्कूलों को शुगर बोर्ड लगाने और कैंटीन में हेल्दी फूड रखने के आदेश भी जारी किए हैं. अब एम्स की एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करने वाले बच्चों में मोटापा और हाइपरटेंशन (हाई बीपी) जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं.

दिल्ली के सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में पेट की चर्बी (Abdominal Obesity), हाई बीपी (High Blood Pressure) और ‘छिपा मोटापा’ तेजी से बढ़ रहा है. एम्स और आईसीएमआर की रिसर्च रिपोर्ट चिंताजनक है. इसमें चेतावनी दी गई है कि ये लक्षण आगे चलकर डायबिटीज और दिल की बीमारियों का कारण बन सकते हैं. यह रिसर्च 6 से 19 साल के 3,888 बच्चों पर की गई थी. इसमें जो आंकड़े आए हैं, वे काफी हैरान करने वाले हैं.

34% बच्चों में मिले लक्षण

एम्स की चिल्ड्रेन ओबेसिटी रिसर्च रिपोर्ट में पाया गया कि मोटापा, डिसलिपिडेमिया और ब्लड प्रेशर जैसे लक्षण निजी स्कूलों के स्टूडेंट्स में ज्यादा हैं. लेकिन ऐसा नही है कि सरकारी स्कूल के बच्चे इससे अछूते रह गए हैं. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में भी मोटापे और हाई बीपी जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. करीब 34% बच्चों में डिसलिपिडेमिया पाया गया यानी फैट ज्यादा है लेकिन मसल्स कम. इस रिसर्च में 1,985 छात्र सरकारी स्कूलों के और 1,903 निजी स्कूलों से थे.

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सेहत बिगड़ने की वजह क्या है?

इन दिनों ज्यादातर बच्चे सस्ते ब्रांडेड स्नैक्स और तला-भुना स्ट्रीट फूड खाते हैं. सिर्फ यही नहीं, अधिकतर स्टूडेंट्स को मोबाइल की लत लग चुकी है, जिसकी वजह से उनकी फिजिकल एक्टिविटी कम होती जा रही है. बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ गया है, वे बाहर का खाना खाते हैं और कैलोरी खर्च नहीं कर पा रहे हैं. इस वजह से फैट शरीर के विभिन्न अंगों के आस-पास जमने लगा है. इन दिनों ज्यादातर बच्चों की लाइफस्टाइल कम उम्र से ही बिगड़ने लगी है.

डरावने हैं रिसर्च के आंकड़े

इस रिसर्च की मुख्य शोधकर्ता डॉ. एम. कलैवानी हैं. उनका कहना है कि संपन्न परिवारों के वे बच्चे जो निजी स्कूलों में पढ़ते हैं, उनमें 2006 में औसत मोटापा 5 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 23 प्रतिशत हो गया है. एम्स की डॉ. कलैवानी का कहना है कि निजी स्कूलों के बच्चों के साथ ही सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में भी मोटापा पांव पसारने लगा है. उनका कहना है कि मिड-डे मील में ज्यादा प्रोटीन और फाइबर को शामिल करना जरूरी है. बच्चों की दिनचर्या में फिजिकल एक्टिवटी भी बढ़ा देनी चाहिए.

इसके साथ ही पेरेंट्स को भी बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. उन्हें बच्चों की डाइट और स्क्रीन टाइम पर कंट्रोल करना चाहिए वर्ना आगे जाकर समस्या बढ़ सकती है.

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