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Health News: आयुर्वेदाचार्य डॉ. शोभना कुमारी ने काले आलू के औषधीय गुण बताए. इसमें एंथोसायनिन एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो कैंसर, मधुमेह और हृदय रोगों में लाभकारी है.

सेहत और आयुर्वेद में रुचि रखने वालों के लिए एक नई जानकारी सामने आई है. आयुर्वेदाचार्य डॉ. शोभना कुमारी ने काले आलू के औषधीय गुणों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह सामान्य आलू की तुलना में कहीं अधिक पोषक तत्वों से भरपूर होता है और कई गंभीर बीमारियों में उपयोगी हो सकता है.

डॉ. शोभना कुमारी के अनुसार, काले आलू में एंथोसायनिन नामक एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो शरीर में फ्री-रेडिकल्स को कम करता है. इससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की रोकथाम में मदद मिलती है. इसके नियमित सेवन से कोशिकाओं की क्षति रुकती है और शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

उन्होंने बताया कि काला आलू मधुमेह रोगियों के लिए भी लाभकारी है, क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है. यह धीरे-धीरे पचता है और रक्त में शुगर का स्तर तेजी से नहीं बढ़ाता. साथ ही यह हृदय संबंधी बीमारियों से बचाव में भी सहायक है क्योंकि यह कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है.

डॉ. शोभना बताती हैं कि काले आलू में फाइबर, आयरन, पोटेशियम और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं, एनीमिया से बचाते हैं और त्वचा को स्वस्थ व चमकदार बनाए रखते हैं. महिलाओं के लिए यह विशेष रूप से उपयोगी माना गया है क्योंकि यह हार्मोन संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होता है.

उन्होंने सुझाव दिया कि काले आलू को उबालकर या भूनकर खाना चाहिए ताकि इसके पोषक तत्व सुरक्षित रहें. इसके अचार, पराठे या सब्जी के रूप में सेवन करना लाभदायक है. डॉ. शोभना कुमारी का मानना है कि यदि काले आलू को नियमित भोजन में शामिल किया जाए, तो यह एक प्राकृतिक औषधि की तरह कार्य कर सकता है और कई बीमारियों से बचा सकता है.

सीतामढ़ी जिले के भैरो कोठी गांव में इसकी खेती भी शुरू हो गई है. किसान भोला बिहारी ने प्रयोग के तौर पर काले आलू की खेती की है और उन्हें अच्छी उपज मिली है. उन्होंने बताया कि इसकी मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है और आयुर्वेद में इसके महत्व को देखते हुए वे इसकी खेती को व्यावसायिक रूप से आगे बढ़ाने की योजना बना रहे हैं.
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