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सेंटर काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस के अनुसार, ब्लड प्रेशर को हाई तब कहा जाता है जब: सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 140 एमएम एचजी या उससे ज़्यादा हो, या डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 90 एमएम एचजी या उससे ज़्यादा हो. यदि उच्च रक्तचाप का उचित इलाज नहीं किया जाए, तो यह हृदय रोग, स्ट्रोक, किडनी डैमेज और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं.
नेशनल हेल्थ मिशन ने भी हाई बीपी के बारे में जागरूकता फैलाई है. इसकी जानकारी अनुसार, अगर आपको तेज सिरदर्द, तनाव या घबराहट, छाती में दर्द, नाक से खून आना, चक्कर आना, असामान्य हार्ट रिदम (दिल की अनियमित धड़कनें), या सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. जब ऐसे लक्षण दिखते हैं, तो इसका मतलब रक्तचाप का बढ़ना हो सकता है और यह आपके अंगों पर बुरा असर डाल रहा है. खासकर 30 साल की उम्र के बाद नियमित तौर पर उच्च रक्तचाप के लिए अपनी जांच कराते रहना चाहिए.
असल में जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी धमनियां भी स्वाभाविक रूप से थोड़ी कम लचीली हो जाती हैं और रक्तचाप बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. सेंटर काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस के अनुसार हाइपरटेंशन का एक बड़ा कारण लाइफस्टाइल से जुड़ा है. जैसे कि अधिक तनाव लेना, शराब, तंबाकू, चाय, कॉफी का अत्यधिक सेवन करना, रात में जागने की आदत और दिन में सोना आदि ऐसी चीजें हैं जो हमारी गलत जीवनशैली से जुड़ी हैं और उच्च रक्तचाप को बढ़ावा देती हैं. इसके अलावा गलत खानपान, अधिक कोलेस्ट्रॉल डाइट, मोटापा, कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट्स और परिवार में उच्च रक्तचाप का इतिहास रहना भी हाइपरटेंशन के होने का बड़ा कारण है.
हाइपरटेंशन से बचने के उपाय
– अपनी जीवनशैली में सुधार करें- मेडिटेशन करें, प्राणायाम, योगासन, शवासन, हल्की एक्सरसाइज, सकारात्मक रहें, अगर मोटापा है तो वजन कम करें साथ ही यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि क्या न करें- मल-मूत्र त्यागने को जबरदस्ती न रोकें, तनाव से दूर रहें.
– हाई ब्लड प्रेशर को कुछ आयुर्वेदिक हर्ब्स के जरिए भी मैनेज किया जाता है- जैसे सर्पगंधा, शंखपुष्पी, ब्राह्मी, जटामांसी आदि.
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