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IAS Story: गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा को भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में दोषी पाया गया. उन्हें पांच साल की कठोर कैद और ₹10,000 जुर्माने की सजा सुनाई गई है. आइए जानते हैं प्रदीप शर्मा क…और पढ़ें

IAS Officer, IAS Pradeep Sharma: आईएएस प्रदीप शर्मा की कहानी..
हाइलाइट्स
- आईएएस प्रदीप शर्मा को भ्रष्टाचार में दोषी पाया गया.
- शर्मा को पांच साल की कठोर कैद और ₹10,000 जुर्माना.
- मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में भी शर्मा दोषी.
IAS Story: IAS, IPS बनना जितना कठिन होता है इस पद पर काम करना भी उतना ही कठिन. अक्सर हमारे सामने ऐसे उदाहरण सामने आते रहते हैं कि इन नौकरियों में कई बार कुछ ऐसी चुनौतियां आती हैं कि नौकरी के साथ साथ पूरा करियर तबाह हो जाता है. ऐसा ही हुआ गुजरात कैडर के एक अधिकारी के साथ. कभी गुजरात प्रशासनिक सेवा पास करके डिप्टी कलेक्टर बने इस अधिकारी को प्रमोशन देकर आईएएस बनाया गया. और फिर वह एक ऐसे केस में उलझे कि सलाखों के पीछे चले गए…
ये कहानी है गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी रहे प्रदीप शर्मा की. कई वेबसाइटस पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार प्रदीप शर्मा मूल रूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं. प्रदीप शर्मा ने रसायन विज्ञान में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने 1981 में गुजरात प्रशासनिक सेवा (GAS)की परीक्षा पास की और गुजरात में डिप्टी कलेक्टर के रूप में अपना करियर शुरू किया. 1999 में उनका प्रमोशन भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS)के रूप में हो गया. उन्होंने जामनगर, भावनगर, राजकोट, और कच्छ जैसे जिलों में महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया. कच्छ में वह 2003 से 2006 तक कलेक्टर रहे.
2009 में हुई थी गिरफ्तारी
प्रदीप शर्मा को पहली बार वर्ष 2009 में गुजरात पुलिस ने भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार किया था, तब वह भावनगर नगर निगम के आयुक्त थे. इसके बाद वर्ष 2012 में ईडी ने उनके खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के उल्लंघन के आरोप में मामला दर्ज किया था. उन पर मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering)के आरोप लगे. ईडी के आरोपों के मुताबिक जब वर्ष 2003-04 में प्रदीप शर्मा कच्छ जिले के कलेक्टर थे, तब उन्होंने राज्य सरकार की भूमि को कच्छ स्थित वेलस्पन ग्रुप को सस्ते दामों पर बेच दिया, जिससे राज्य को लगभग 1.2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.ईडी का आरोप है कि इसके बदले में वेलस्पन कंपनी ने कथित रूप से शर्मा की अमेरिका में रहने वाली पत्नी को अपनी एक सहयोगी कंपनी में 30 प्रतिशत भागीदारी दे दी, जो पैकेजिंग सामग्री बनाती है. इससे शर्मा के परिवार को करीब 29.5 लाख रुपये का लाभ हुआ. ईडी की जांच के अनुसार, यह राशि सबसे पहले शर्मा की पत्नी के बैंक खाते में जमा हुई और बाद में शर्मा के स्वयं के खाते में ट्रांसफर कर दी गई.
अब हो गया सजा का ऐलान
गुजरात के कच्छ जिले की भुज अदालत ने एक मामले में पूर्व IAS अधिकारी प्रदीप शर्मा और तीन अन्य अधिकारियों को पांच साल की कठोर कैद और ₹10,000 जुर्माने की सजा सुनाई है.यह मामला मुंद्रा में निजी कंपनी को सरकारी जमीन आवंटन प्रक्रिया में धांधली और पद का दुरुपयोग करने से जुड़ा है. स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर एच.बी. जाडेजा ने अदालत से अनुरोध किया कि शर्मा की सजा 2030 में पहले वाली सजा पूरी होने के बाद शुरू की जाए जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया. बता दें कि इससे पहले 20 जनवरी 2025 को अहमदाबाद की सत्र अदालत ने 2004 के एक भ्रष्टाचार मामले में पहले ही पांच साल की सजा और 75,000 रुपये का जुर्माना सुनाया. यह मामला कच्छ जिले के कलेक्टर के रूप में उनके कार्यकाल से जुड़ा है.
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