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IGI Airport: घने कोहरे के चलते एयरपोर्ट्स से फ्लाइट्स का डिले होना और पैसेंजर्स का दिक्‍कत में आना हर साल की बात है. दिक्‍कत उस वक्‍त बड़ी हो जाती है, जब एयरलाइंस पैसेंजर्स को प्‍लेन में बोर्ड करा दे और प्‍लेन घंटों वहीं खड़ा रह जाए. दिक्‍कत इससे भी अधिक तब हो जाती है, जब एयरलाइंस पैसेंजर्स को प्‍लेन से डिबोर्ड कराकर टर्मिनल के एसएचए में लाने का फैसला कर ले. लेकिन अब इन दिक्‍कतों के बारे में आपको ज्‍यादा सोचने की जरूरत नहीं है.

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और दिल्‍ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) ने साथ मिलकर इस बार कुछ ऐसे इंतजाम किए हैं, जिनकी मदद से आपको एयरपोर्ट होने वाली दिक्‍कतों से निजात मिल जाएगी. दरअसल, बीते सालों में यह कई बार ऐसा देखा गया है कि प्‍लेन की बोर्डिंग पूरा होते ही रन-वे पर घना कोहरा आ गया और विजिबिलिटी रेंज (आरवीआर) 125 मीटर से नीचे चला गया. ऐसे स्थिति में प्‍लेन रन-वे से टेकऑफ करना लगभग असंभव सा था.

दोनों विकल्‍प पैसेंजर्स को देते हैं तकलीफ
ऐसी स्थिति में फ्लाइट के कैप्‍टन और एयरलाइंस के पास दो विकल्‍प बचते हैं, पहला- कोहरा छटने का इंतजार किया जाए और पैसेंजर्स को प्‍लेन में ही बैठे रहने दिया जाए. दूसरा – प्‍लेन से पैसेंजर को डिबोर्ड कर टर्मिनल के सिक्‍योरिटी होल्‍ड एरिया (एसएचए) में वापस ले जाया जाए. दूसरा विकल्‍प कहने और सुनने में तो बहुत अच्‍छा लगता है, पर इससे गुजरना पैसेंजर्स व एयरलाइंस दोनों के लिए काफी जद्दोजहद भरा होता है. लिहाजा, एयरलाइंस दूसरा विकल्‍प चुनने से कतराती हैं.

दूसरे विकल्‍प के अंतर्गत निर्धारित व्‍यवस्‍था के तहत, प्‍लेन से डिबोर्ड कराने के बाद पैसेंजर्स को अराइवल टर्मिनल के रास्‍ते एयरपोर्ट से बाहर लाया जाता है. इसके बाद, उन्‍हें डिपार्चर इंट्री गेट के रास्‍ते एक बार फिर टर्मिनल के अंदर लाया जाता है. यहां पर पैसेंजर्स की फिर से पूरी सुरक्षा जांच की जाती है और सामान का एक्‍स-रे किया जाता है. इसके बाद, ही पैसेंजर्स को एसएचए में जाने की इजाजत दी जाती है. इस प्रक्रिया में कम से कम दो से तीन घंटे का समय लग जाता है.

DAIL-CISF ने निकाला दिक्‍कतों का नया तोड़
पैसेंजर्स की सहूलियत के लिए इस बार डायल और सीआईएसएफ ने कुछ ऐसे इंतजाम किए हैं, जिससे अब दूसरे विकल्‍प को आसानी से न केवल चुना जा सकेगा, बल्कि पैसेंजर्स को बिना परेशानी एसएचए तक पहुंचाया जा सकेगा. नई व्‍यवस्‍था के तहत, डायल ने T-1, T-2 और T-3 के एयरसाइड में स्‍पेशल इनक्‍लोजर्स बनाए हैं. T-3 में यह इनक्लोजर बस बोर्डिंग गेट और कुछ एयरोब्रिज के पास बनाए गए हैं. वहीं, T-2 में ट्रांसफर एरिया और T-1 में बस बोर्डिंग गेट के पास बनाए गए.

डायल के अनुसार, प्रत्‍येक इन्‍क्‍लोजर का साइज करीब 250 वर्ग मीअर से 450 वर्ग मीटर के बीच है, जिसमें 55 से 120 पैसेंजर्स को एक साथ फैसिलिटेट किया जा सकता है. इन इन्‍क्‍लोजर्स का इस्‍तेमाल डोमेस्टिक पैसेंजर्स के साथ-साथ इंटरनेशनल पैसेंजर भी कर सकेंगे. वहीं, सीआईएसएफ ने इन इन्‍क्‍लोजर्स में डीएफएमडी और एक्‍स-रे इंस्‍टॉल कर दिए हैं, जिससे पैसेंजर्स की सुरक्षा जांच यही पर पूरी की जा सके और उन्‍हें यही से सीधे एसएचए में भेजा जा सके.

एयरलाइंस को एस्कॉर्ट कर लाना होगा पैसेंजर
एयरपोर्ट सुरक्षा से जुड़े सीनियर ऑफिसर के अनुसार, स्‍पेशल इन्‍क्‍लोजर्स में उन्‍हीं पैसेंजर्स को दाखिल होने की इजाजत दी जाएगी, जिन्‍हें एयरलाइंस स्‍टाफ द्वारा एस्‍कॉर्ट करके लाया जाएगा. इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेश (ICAO) के दिशानिर्देशों को ध्‍यान में रखते हुए इन्‍क्‍लोजर में दाखिल होते वाले पैसेंजर का बोर्डिंग पास और आईकार्ड चेक होगा. इसके अलावा, डीएफएमडी-एचएचएमडी की मदद से सुरक्षा जांच होगी. हैंड बैग का एक बार फिर एक्‍सरे किया जाएगा.

Tags: Airport Diaries, CISF, Delhi airport, Delhi news, IGI airport

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