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IPL 2025: राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट में मेरठ के बल्ले की धूम देखने को मिल रही है. कुछ इसी तरह का नजारा आईपीएल में देखने को मिल रहा है. महेंद्र सिंह धोनी, रिंकू सिंह, समीर रिजवी, भुवनेश्वर कुमार…और पढ़ें

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IPL में इन बल्लों से खेलना पसंद करते हैं खिलाड़ी, UP में यहां होते हैं तैयार, जानिए खासियत

 बैट के साथ खिलाड़ी 

हाइलाइट्स

  • आईपीएल में मेरठ के बल्ले का उपयोग करते हैं खिलाड़ी.
  • 85% से अधिक खिलाड़ी मेरठ एसजी और एसएस के बैट से खेलते हैं.
  • खिलाड़ियों को इंग्लिश विलो के बल्ले से खेलना पसंद है.

विशाल भटनागर/ मेरठ : आईपीएल 2025 में भारतीय खिलाड़ियों के साथ-साथ विदेशी खिलाड़ी भी बेहतर परफॉर्म के साथ धमाल मचाते हुए नजर आ रहे हैं. ऐसे में सभी के मन में यही सवाल रहता है आखिर यह कहां के बल्ले से खेलते हैं. जो इतने अच्छे-अच्छे शॉर्ट् लगाते हुए नजर आते हैं. इन्हीं सभी बातों का खास ध्यान रखते हुए लोकल-18 की टीम द्वारा मेरठ के स्पोर्ट्स मार्केट के व्यापारियों से बेट्स को लेकर खास बातचीत की.

भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी खिलाड़ियों को भी पसंद है मेरठ के बल्ले

स्पोर्ट्स व्यापारी दीपक तलवार ने बताया कि आईपीएल में भारतीय खिलाड़ियों के साथ-साथ अगर विदेशी खिलाड़ियों की भी बात की जाए तो 85% से अधिक खिलाड़ी मेरठ एसजी एवं एसएस के बैट से ही खेलते हुए नजर आते हैं. उन्होंने बताया भारतीय खिलाड़ियों की बात की जाए, तो रिंकू सिंह, केएल राहुल, महेंद्र सिंह धोनी, भुवनेश्वर कुमार, समीर रिजवी सहित विभिन्न ऐसे खिलाड़ी हैं, जो कि मेरठ के बल्ले से ही आईपीएल खेल रहे हैं. उन्होंने बताया खास बात यह है कि आईपीएल शुरू होने से पहले ही काफी ऐसे खिलाड़ी हैं, जो खुद मेरठ में आकर अपने पसंद के बल्ले तैयार करवाते हैं. जिसमें महेंद्र सिंह धोनी द्वारा भी छह बल्ले मेरठ में आईपीएल से पहले ही तैयार कर लिए थे. वहीं रिंकू सिंह, केएल राहुल, सहित विभिन्न खिलाड़ी भी समय-समय पर विजिट कर चुके हैं.

इंग्लिश विलो के बल्ले से खेलना है पसंद

यूं तो आपको स्पोर्ट्स मार्केट में विभिन्न प्रकार के बैट दिखाई देंगे. जो कि कश्मीरी विलो एवं अन्य प्रकार की विलो से बने हुए होते हैं. लेकिन राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट में खिलाड़ी इंग्लिश विलों के बल्ले से खेलना ही पसंद करते हैं. क्योंकि इस बल्ले की अगर खासियत की बात की जाए तो अन्य विलो के मुकाबले इसके बैट का वजन भी हल्का रहता है. शॉर्ट करने में भी आसानी रहती है. इसीलिए खिलाड़ी आपको इंग्लिश विलो के बल्ले से ही खेलते हुए नजर आएगे.

ऐसे हुई थी शुरुआत

बताते चलें कि वर्ष 1947 में भारत पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान के सियालकोट से मेरठ आए कुछ रिफ्यूजी परिवारों द्वारा अपने आजीविका चलाने के लिए क्रिकेट बैट सहित अन्य सामान बनाने की शुरुआत की थी. धीरे-धीरे इससे मेरठ के व्यापारी जुड़ते गए. आज हजारों की संख्या में इसी क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं. लेकिन सबसे ज्यादा से एसजी, एसएस कंपनी के बैट की डिमांड राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट में देखने को मिलती है.

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IPL में इन बल्लों से खेलना पसंद करते हैं खिलाड़ी, UP में यहां होते हैं तैयार

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