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नई दिल्ली. फिल्म ‘जिगरा’ आखिरकार सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. जब से इस फिल्म का ट्रेलर आया है, तब से इस फिल्म की खूब चर्चा हो रही थी. ट्रेलर में आलिया भट्ट को जिस तरह से पेश किया गया है, उसे देखने के बाद से ही मैं इस फिल्म का इंतजार कर रहा था और आखिरकार आज मैंने यह फिल्म देख ही ली. पूरी फिल्म देखने के बाद मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि आलिया की प्रतिभा को पहचान पाना आसान नहीं है और यह बात मुझे उनकी फिल्म ‘राजी’ देखने के बाद ही समझ में आ गई थी. वह अपने दम पर फिल्म को हिट कराने का साहस रखती हैं.
कहानी
फिल्म ‘जिगरा’ की कहानी एक अनाथ भाई-बहन पर आधारित है. माता-पिता की मौत के बाद सत्या (आलिया भट्ट) अपने छोटे भाई अंकुर (वेदांग रैना) का ख्याल रखती है. सत्या बचपन से ही अपने छोटे भाई अंकुर को लेकर काफी पजेसिव रही है. वो उसका बहुत अच्छे से ख्याल भी रखती है. सत्या अपने बड़े पापा (आकाश दीप- दूर का रिश्तेदार) के बिजनेस में उनकी मदद करती है और दोनों उनके घर में ही रहते हैं. एक दिन आलिया के बड़े पापा अंकुर को बिजनेस के लिए अपने बेटे कबीर के साथ विदेश भेज देते हैं, जहां कबीर ड्रग्स केस में फंस जाता है, लेकिन उसके साथ पुलिस अंकुर को भी हिरासत में ले लेती है. आलिया के बड़े पापा अपने बेटे कबीर को बचा लेते हैं, लेकिन अंकुर को हर चीज के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उसे वहीं छोड़ देते हैं, जहां अंकुर को मौत की सजा सुनाई जाती है. आलिया सब समझ जाती है और अपने भाई को बचाने के लिए निकल पड़ती है. क्या सत्या अपने भाई को बचा पाएगी? ये जानने के लिए आपको पूरी फिल्म देखनी पड़ेगी.
रोचक क्या है?
फिल्म में आलिया और वेदांग की जोड़ी आपका दिल जीत लेगी. भाई-बहन के रिश्ते को नए अंदाज में दिखाया गया है, जहां दिखाया गया है कि हमेशा भाई ही अपनी बहन की रक्षा नहीं कर सकता, जरूरत पड़ने पर बहन भी अपने भाई की रक्षा कर सकती है. फिल्म पूरी तरह से पारिवारिक फिल्म है, जिसे आप अपने पूरे परिवार के साथ जाकर देख सकते हैं. फिल्म में आलिया को सुपरवुमन के तौर पर नहीं दिखाया गया है, बल्कि उन्हें एक साधारण लड़की की तरह पेश किया गया है. फिल्म में सत्या कराटे सीखी है, इसलिए वो थोड़ी-बहुत फाइट कर लेती है, ज्यादा एक्शन भी नहीं दिखाया गया है. इसलिए आलिया का किरदार ज्यादा बनावटी नहीं लगता.
कमियां
फिल्म का पहला भाग तो ठीक चलता है, लेकिन दूसरे भाग में आपको थोड़ी बोरियत महसूस हो सकती है, क्योंकि फिल्म की गति थोड़ी धीमी हो जाती है. आलिया के विदेश पहुंचते ही फिल्म थोड़ी धीमी हो जाती है. ऐसा लगता है जैसे फिल्म को जबरदस्ती खींचा जा रहा है. अगर फिल्म की अवधि थोड़ी कम कर दी जाती तो यह परफेक्ट होती. हालांकि, क्लाइमैक्स तक आते-आते फिल्म अपनी गति पकड़ लेती है. फिल्म शुरू से लेकर आखिर तक गंभीर मोड में रहती है, जहां थोड़ा ब्रेक लिया जाना चाहिए था. ये कमियां फिल्म की रेटिंग को प्रभावित करती हैं.
डायरेक्शन और म्यूजिक
फिल्म ‘जिगरा’ में वासन बाला अपने निर्देशन का जादू चलाया है. उन्होंने हर एंगल से फिल्म को बेहतर बनाने की कोशिश की है. आलिया और वेदांग के बीच रिश्तों को जिस तरह से उन्होंने अपने कैमरे में कैद करवाया है, वो काफी शानदार है. बस एक चीज है जो फिल्म अखर रही है वो है एक ही मोड में फिल्म का चलते रहना. शुरू से लेकर आखिरी तक फिल्म काफी सीरियस रही. अगर बीच में इसे थोड़ा लाइट कर दिया जाता तो शायद यह और अच्छा होता. अचिंत ठक्कर और मनप्रीत सिंह के संगीत ने भी कमाल किया है. ‘फूलों का तारों का..’ गाने को उन्होंने बहुत ही शानदार तरीके से प्रजेंट किया है.
देखें या न देखें?
मैंने अपना रिव्यू तो आपको बता दिया है. फिल्म एक बार देखी जा सकती है, लेकिन यह तय करना आपके ऊपर है कि आप किस तरह की फिल्में पसंद करते हैं. इस फिल्म में न तो आपको कॉमेडी देखने को मिलेगा और न ही एक्शन. अगर आप रिश्तों पर बेस्ड फिल्म पसंद करते हैं तो यह आपके लिए एक अच्छा च्वाइस हो सकती है.
रेटिंग
मेरी ओर से आलिया भट्ट की इस फिल्म को 3 स्टार.
डिटेल्ड रेटिंग
कहानी | : | |
स्क्रिनप्ल | : | |
डायरेक्शन | : | |
संगीत | : |
Tags: Alia Bhatt, Bollywood news, Film review
FIRST PUBLISHED : October 11, 2024, 17:53 IST
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