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Kailash Mansarovar Yatra : कैलाश मानसरोवर यात्रा सनातनियों के लिए पवित्र धार्मिक यात्रा है, जिसमें कैलाश पर्वत की परिक्रमा और मानसरोवर झील में स्नान शामिल है. यात्रा के लिए शारीरिक तैयारी, आवश्यक परमिट और विभि…और पढ़ें

Kailash Mansarovar Yatra: जाना चाहते हैं कैलाश मानसरोवर यात्रा पर तो अभी से शुरू कर दें तैयारी! यहां जान लें पूरा प्रॉसेस

यात्रा के दौरान यम द्वार और गौरी कुंड जैसे आकर्षण देखे जा सकते हैं.

हाइलाइट्स

  • कैलाश मानसरोवर यात्रा में कैलाश पर्वत की परिक्रमा और स्नान शामिल है.
  • यात्रा के लिए शारीरिक तैयारी और आवश्यक परमिट की जरूरत होती है.
  • यात्रा के दौरान यम द्वार और गौरी कुंड जैसे आकर्षण देखे जा सकते हैं.

Kailash Mansarovar Yatra  : कैलाश मानसरोवर यात्रा सनातनियों के लिए एक पवित्र धार्मिक यात्रा है. इस यात्रा में कैलाश पर्वत की परिक्रमा की जाती है एवं मानसरोवर झील में स्नान किया जाता है. इस यात्रा में लगभग दो से तीन सप्ताह तक समय लगता है. इस यात्रा में कैलाश पर्वत की परिक्रमा एवं मानसरोवर झील में स्नान किया जाता है.यात्रा के दौरान ध्यान सत्र आयोजित किये जाते हैं.यात्रा के दौरान यम द्वार और गौरी कुंड जैसे आकर्षण देखने को मिलते हैं.यात्रा के लिए ऑनलाइन बुकिंग की जाती है.

कैलाश मानसरोवर यात्रा की तैयारी: ताकत और स्टेमिना बढ़ाने वाले व्यायाम करने चाहिए.योग मुद्राएं और स्ट्रेचिंग व्यायाम करने चाहिए.जिससे शरीर में स्फूर्ति रहे एवं ऑक्सीजन लेवल मेंटेन रहे. ट, लंज, प्लैंक, पुश-अप और वेट लिफ़्टिंग जैसे व्यायाम करने चाहिए.

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कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रास्ते : भारत सरकार ने इस यात्रा को आसान बनाने के लिए ‘लिपुलेख मार्ग’ बनाया था.इसके अलावा नेपाल की राजधानी काठमांडू के रास्ते भी कैलाश मानसरोवर पहुंचा जा सकता है. कैलाश मानसरोवर यात्रा, उत्तराखंड, सिक्किम, और तिब्बत के रास्ते से की जा सकती है.

उत्तराखंड से कैलाश मानसरोवर यात्रा : लिपुलेख दर्रे से शुरू होकर हेलीकॉप्टर से कैलाश पर्वत के दर्शन किए जा सकते हैं. पिथौरागढ़ से गुंजी तक हेलीकॉप्टर से जाया जा सकता है. गुंजी से वाहन से आगे बढ़कर कैलाश पर्वत के शानदार दृश्य देखे जा सकते हैं. उत्तराखंड के धारचूला में लिपुलेख चोटी पर एक जगह विकसित की गई है. जहां से कैलाश पर्वत साफ़ दिखाई देता है.

कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये दस्तावेज : कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए यात्रा परमिट की आवश्यकता होती है. साथ ही चीनी वीजा और तिब्बत यात्रा परमिट, बल्कि अन्य यात्रा दस्तावेज, जैसे एलाइन की यात्रा परमिट, विदेशी मामलों का परमिट और सैन्य परमिट के अलावा सभी पहचान एवं नागरिकता सम्बन्धी कागजात आवश्यक हैं.

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कैलाश मानसरोवर की स्थिति: कैलाश पर्वत, चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में है. कैलाश पर्वत हिमालय श्रृंखला का हिस्सा है. कैलाश पर्वत की ऊंचाई करीब 6,638 मीटर है.मानसरोवर झील, तिब्बत के पठार पर है. मानसरोवर झील की परिधि 90 किलोमीटर है. मानसरोवर झील की गहराई 90 मीटर है. मानसरोवर झील का कुल क्षेत्रफल 320 वर्ग किलोमीटर है. कैलाश मानसरोवर यात्रा में कैलाश पर्वत के चारों ओर पैदल करीब 55 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. इसके अलावा, मानसरोवर झील की परिक्रमा भी करनी पड़ती है.

कैलाश मानसरोवर यात्रा की जानकारी: भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा हर साल जून से सितंबर के बीच मानसरोवर यात्रा का आयोजन करता है. कैलाश मानसरोवर यात्रा, हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र तीर्थयात्राओं में से एक है. कैलाश पर्वत पर अब तक कोई भी व्यक्ति नहीं चढ़ पाया है. माना जाता है कि 11वीं सदी में तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने ही कैलाश पर्वत पर चढ़ाई की थी. वह ऐसा करने वाले दुनिया के एकमात्र व्यक्ति माने गए हैं.

कैलाश पर्वत पर चढ़ने में मुश्किलें: कैलाश मानसरोवर की ऊंचाई माउंट एवरेस्ट से कम है, लेकिन इसके बाबजूद फिर भी यहां चढ़ाई करना बहुत जटिल है. कैलाश पर्वत के ऊपर हेलीकॉप्टर या विमान उड़ने की अनुमति नहीं है. यहां मौसम की वजह से भी चढ़ाई करना मुश्किल है. यहां मौसम का हाल सदैव ही ख़राब रहता है और इसका पूर्वनुमान भी मुश्किल है.यहां अक्सर दिशाभ्रम हो जाते है. जिसकी बजह से भी चढ़ाई करना मुश्किल है.मान्यता है कि कैलाश पर्वत पर शिव जी निवास करते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत पर थोड़ा सा ऊपर चढ़ते ही व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है.

ये लोग ना करें कैलाश मानसरोवर यात्रा : जिन लोगों को किसी तरह की विशेष स्वास्थ्य समस्या जैसे हार्ट रोग, शुगर, गठिया, ऑक्सीजन लेवल डाउन, स्टेमिना में कमी के अलावा जल्दी थकान होने वाले लोगों एवं जिन्हें पैदल चलने एवं ट्रेकिंग में समस्या हो उन्हें मानसरोवर यात्रा नहीं करनी चाहिए.

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जाना चाहते हैं कैलाश मानसरोवर यात्रा पर तो अभी से शुरू कर दें तैयारी

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