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Kesaria Kalakand: कोडरमा का केसरिया कलाकंद अपनी मिठास और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है. जिला प्रशासन इसे जीआई टैग देने की प्रक्रिया में है. कन्हैया मिष्ठान के विकास सेठ ने बताया कि इसका स्वाद चखने के बाद लोग प्रभावि…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • कोडरमा का केसरिया कलाकंद जीआई टैग की प्रक्रिया में है
  • केसरिया कलाकंद का स्वाद और मिठास अद्वितीय है
  • कलाकंद चार फ्लेवर में उपलब्ध, केसरिया सबसे लोकप्रिय
कोडरमा. टेक्नोलॉजी के इस दौर में लोकप्रिय वस्तुओं की कॉपी लोग आसानी से कर लेते हैं. लेकिन कुछ ऐसे खास स्वाद होते हैं. जिनका कॉपी करना कठिन होता है. कुछ ऐसा ही स्वाद कोडरमा में मिलने वाले देश-विदेश में प्रसिद्ध केसरिया कलाकंद की है. जिसकी मिठास और स्वाद की आज तक कोडरमा से बाहर कोई कॉपी नहीं कर पाया. कोडरमा जिला प्रशासन अब इस प्रसिद्ध केसरिया कलाकंद को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई टैग) देने की प्रक्रिया में है. इससे मानचित्र पर कोडरमा के केसरिया कलाकंद को एक विशिष्ट पहचान मिलेगी.

दूर-दूर तक स्वाद का चर्चा
झुमरी तिलैया के मुख्य बाजार रांची-पटना रोड में पिछले तीन पीढ़ी से संचालित कन्हैया मिष्ठान के संचालक विकास सेठ ने लोकल 18 से विशेष बातचीत में बताया कि यहां का कलाकंद वर्षो से आपसी संबंधों की मिठास बढ़ाने का भी एक माध्यम बना हुआ है. मुंह में जाने के बाद मलाईदार एवं दानेदार केसरिया कलाकंद मुंह में घुल जाता है और कम मिठास के साथ लोगों को लाजवाब स्वाद देता है. उन्होंने कहा कि चाहे बॉस को खुश करने की बात हो या राजनीतिक पार्टियों के आला नेताओं का स्वागत करना हो, या बात शादी विवाह को लेकर रिश्ते की हो, लोग यहां का कलाकंद अवश्य लेकर जाते हैं. क्योंकि इसका स्वाद चखने के बाद लोग इसे भेंट करनेवाले से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते और तो और अगली मुलाकात में भी लोग कलाकंद लाने की फरमाइश भी कर बैठते है. दुबई, साउथ अफ्रीका समेत अन्य देशों में रह रहे कोडरमा के लोग यहां से कलाकंद अपने साथ विदेश ले जाते हैं और जो भी एक बार इसे चख लेता है वह पूरी तरह से इसका दीवाना हो जाता है.

ऐसे तैयार होता है कलाकंद
उन्होंने बताया कि कलाकंद को तैयार करने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है. दूध को जरूरत के अनुसार धीमी और तेज आंच पर खौला कर गढ़ा किया जाता है. इसके बाद थोड़ी मात्रा में एलम डालकर इसे दानेदार किया जाता है और फिर इसे ट्रे में डालकर ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है. करीब 15 किलो दूध से करीब 4 किलो कलाकंद तैयार होता है. ठंडा होने के बाद इसके ऊपर केसर, बादाम, पिस्ता से गार्निशिंग की जाती है. इसके बाद छोटे-छोटे पीस में काटकर इसे ग्राहक की डिमांड के अनुसार डब्बे में पैक करके उपलब्ध कराया जाता है. उन्होंने बताया कि ठंड के दिनों में कलाकंद 72 घंटे तक पूरी तरह से सुरक्षित रहता है. दूध से बने मिठाई होने की वजह से इसे, अधिक दिनों तक स्टोर नहीं किया जा सकता है.

चार फ्लेवर में है उपलब्ध
विकास सेठ ने बताया कि फिलहाल चार तरह के कलाकंद उपलब्ध हैं. जिनमे सफेद, केसरिया, गुड़ कलाकंद व शुगर फ्री कलाकंद की बिक्री प्रतिदिन व्यापक पैमाने पर होती है. जल्द लोगों को चॉकलेट फ्लेवर के कलाकंद का भी स्वाद मिलेगा. इनमें केसरिया कलाकंद की बिक्री सबसे अधिक होती है. सादा कलाकंद, केसरिया कलाकंद 480 रूपये किलो, शुगर फ्री कलाकंद, गुड वाला कलाकंद 520 रूपये किलो बिक्री की जाती है.

उन्होंने बताया कि कई बार लोगों ने कोडरमा में केसरिया कलाकंद बनाने वाले कारीगरों को दूसरे जिले में ले जाकर केसरिया कलाकंद बनाने की पूरी कोशिश की. लेकिन कोडरमा वाला स्वाद और स्वरूप नहीं मिल पाया. उन्होंने बताया कि इसके पीछे मुख्य वजह कोडरमा का वातावरण, यहां की पानी और दूध शामिल है. उन्होंने बताया कि अब कोडरमा के रास्ते ट्रेन और बस से सफर करने वाले काफी लोग गूगल पर उपलब्ध नंबर के माध्यम से संपर्क कर कलाकंद की आर्डर देते हैं.जिसके बाद उनका स्टाफ कलाकंद को सुरक्षित यात्री तक पहुंचाता है.

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कोडरमा के केसरिया कलाकंद की धूम विदेश तक, कोई नहीं कर पाया कॉपी

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