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Lingaraja temple: महाशिवरात्रि पर भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर में शिव और विष्णु की एक साथ पूजा होती है. आप ये तो जानते ही होंगे कि शिव जी को तुलसी दल चढ़ाने से वे नाराज हो जाते हैं, लेकिन इस मंदिर की खास बात ये …और पढ़ें

Mahashivratri 2025: ये है देश का इकलौता मंदिर जहां शिव के दिल में बसते हैं विष्णु, पूजा में भोलेनाथ को चढ़ती है उनकी नापसंद चीज

ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित है भगवान लिंगराज का मंदिर.

हाइलाइट्स

  • लिंगराज मंदिर में शिव और विष्णु की एक साथ पूजा होती है.
  • इस मंदिर में शिव की पूजा में तुलसी दल का उपयोग होता है.
  • लिंगराज मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में राजा जाजति केशरी ने करवाया था.

Mahashivratri 2025: कल 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन लोग शंकर भगवान और माता पार्वती की पूजा और व्रत श्रद्धा भाव से करते हैं. शिव जी का वास सृष्टि के कण-कण में है. हमारे देश में भोलेनाथ के कई शानदार और पौराणिक मंदिर हैं. इन सभी मंदिरों को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भव्य तरीके से सजाया जाता है. लोग दूर-दूर से यहां पूजा और दर्शन के लिए पहुंचते हैं. महादेव के इन्हीं प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है द्वादश ज्योतिर्लिंग. इन 12 मंदिरों में शक्ति शिवलिंग स्थापित है. शिवलिंग की पूजा में कुछ चीजों का प्रयोग वर्जित माना गया है. इसमें केतकी के फूल, तुलसी दल, श्रृंगार के सामान भोलेनाथ की पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. देश में मौजूद सभी शिव मंदिरों और शिवलिंग में एक ऐसा भी शिवलिंग है, जहां शंकर भगवान के दिल में विष्णु जी बसते हैं. इन्हें द्वादश ज्योतिर्लिंग का राजा कहा जाता है. जानिए महाशिवरात्रि के मौके पर शिव जी के इस विशेष मंदिर के बारे में विस्तार से…

भगवान लिंगराज का मंदिर

ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित है भगवान लिंगराज का मंदिर. इसकी पहचान 12 ज्योतिर्लिंगों के राजा के रूप में होती है. यहां भगवान लिंगराज विराजते हैं. इस मंदिर में महाशिवरात्रि का त्योहार बडे़ ही धूमधाम से मनाया जाता है. इसके प्रांगण में छोटी-बड़ी लगभग 150 मंदिरें हैं. मान्यता है कि मंदिर का निर्माण सोमवंशी राजा ययाति प्रथम ने कराया था. यहां विराजे लिंगराज स्वयंभू हैं. कहा जाता है कि यह दुनिया का अकेला मंदिर है, जहां भगवान शिव को बेलपत्र के साथ तुलसी दल भी अर्पित किया जाता है. ऐसा करने के पीछे कारण ये है कि इस मंदिर में शिव जी और विष्णु भगवान एक साथ विराजते हैं.

लिंगराज के मंदिर और मान्यताएं

कहा जाता है कि लिंगराज मंदिर का निर्माण लगभग 7वीं शताब्दी में राजा ययाति केशरी ने करवाया था. बताया जाता है कि इस मंदिर में प्रत्येक दिन लगभग 6 हजार लोग दर्शन करने आते हैं. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो भी भक्त यहां आकर भगवान शिव का दर्शन करता है, उसका जीवन सफल हो जाता है. उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस मंदिर में गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है. हालांकि, मंदिर के पास एक ऊंचा चबूतरा बना हुआ है, ताकि दूसरे धर्म के लोग भी मंदिर को देख सकें.

मंदिर जहां शिवजी-विष्णुजी की साथ होती है पूजा

देश भर में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां शिव और विष्णु भगवान की पूजा एक साथ होती है. यहां प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग ग्रेनाइट पत्थर का है. यह मंदिर 150 मीटर वर्गाकार में फैला है. मंदिर में 40 मीटर की ऊंचाई पर कलश लगाया गया है. मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व की ओर है, जबकि उत्तर और दक्षिण में अन्य छोटे प्रवेश द्वार हैं.

कुआं है खास आकर्षण का केंद्र

यहां मंदिर के दाईं तरफ एक छोटा सा कुआं हैं, जो खास आकर्षण का केंद्र है. इसे मरीची कुंड के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि यहां स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है. ये भी दावा किया जाता है कि इस मंदिर से होकर एक नदी गुजरती है, जिसके पानी से मंदिर का बिंदुसार सरोवर भर जाता है. जो कोई इस सरोवर में स्नान करता है, उसके शारीरिक और मानसिक कष्ट और रोग दूर हो जाते हैं. मंदिर से होकर गुजरने वाली नदी का पवित्र जल संतों, भक्तों और भिक्षुओं में वितरित किया जाता है.

इसे भी पढ़ें: Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर शंकर भगवान को भांग, धतूरा और बेलपत्र क्यों चढ़ाते हैं? इसके पीछे जुड़ी है ये पौराणिक कथा

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ये है देश का इकलौता मंदिर जहां शिव के दिल में बसते हैं विष्णु जी, जानें खासियत

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