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मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के गोवर्धन धाम में इन दिनों श्रद्धा, साधना और समर्पण का अद्वितीय संगम देखने को मिल रहा है. यहां गिरिराज महाराज की दंडवती परिक्रमा करने के लिए दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. कोई नंगे पांव परिक्रमा कर रहा है तो कोई हर दो कदम पर दंडवत कर रहा है. लेकिन इस सबके बीच एक साधक ऐसा भी है, जिसने 1161 बार दंडवत लगाकर एक कदम बढ़ाने का संकल्प लिया है. उसकी साधना तब पूरी होगी, जब वह लगभग 2 करोड़ 85 लाख 300 बार दंडवत करेगा.

गिरिराज पर्वत की परिक्रमा लगभग 21 किलोमीटर लंबी है, जिसे पूरा करने में सामान्य भक्त को 6 से 8 घंटे लगते हैं. लेकिन जो दंडवती परिक्रमा करते हैं, उन्हें एक-एक कदम के लिए सैकड़ों बार लेटना होता है. यह केवल शारीरिक तप नहीं, बल्कि आत्मा से भगवान को समर्पण की चरम सीमा होती है.

भक्ति का दूसरा नाम है गोवर्धन परिक्रमा
लोकल18 से बातचीत में केशव देव नाम के एक भक्त ने बताया, “जिस पर भगवान गिरिराज महाराज की कृपा होती है, वही इस दिव्य परिक्रमा के लिए खिंचकर गोवर्धन आता है. भगवान की राज जब शरीर पर लगती है, तो तन-मन दोनों पवित्र हो जाते हैं. सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं.”

उन्होंने कहा कि इस परिक्रमा को पूरा करने में तकरीबन एक हफ्ता लग जाता है. लेकिन इस हफ्ते में जो आत्मिक आनंद मिलता है, वो किसी शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता.

1161 बार दंडवत कर आगे बढ़ता है यह मौन साधक
लोकल18 की टीम ने जब इस साधक से बात करनी चाही, तो उन्होंने किसी से कोई संवाद नहीं किया. बस ज़मीन पर “1161” लिख दिया. यह संख्या उनके हर कदम की तपस्या का प्रतीक थी. इस मौन साधक की यह साधना देखकर आसपास के श्रद्धालु भी अभिभूत हो गए.

गिरिराज की महिमा
दंडवती परिक्रमा करना सिर्फ एक धार्मिक रिवाज नहीं है. यह एक ऐसी भक्ति यात्रा है, जो इंसान को सांसारिक बंधनों से मुक्त करती है. भक्तों का मानना है कि दंडवती परिक्रमा करने वाला व्यक्ति कभी भी सुख, वैभव और समृद्धि से दूर नहीं होता.

गोलोकवास के बाद मिलता है बैकुंठ
मान्यता है कि जो श्रद्धालु गोवर्धन की सच्चे मन से परिक्रमा करते हैं, उन्हें मृत्यु के बाद गोलोकधाम और फिर बैकुंठ की प्राप्ति होती है. भगवान कृष्ण स्वयं इस पर्वत की पूजा करते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं.

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