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NEET पास करके MBBS में एडमिशन लेने पहुंची लड़की, कॉलेज ने लगाया अड़ंगा, और फ‍िर…

NEET Exam, MBBS Admission: मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन के लिए होने वाली नीट परीक्षा के लिए लाखों स्टूडेंट्स दिन-रात एक कर देते हैं. तब जाकर किसी तरह नीट परीक्षा में अच्छी रैंकिंग आती है और उन्हें एमबीबीएस में एडमिशन का मौका मिलता है, लेकिन ज़रा सोचिए, किसी ने इतनी मेहनत से नीट की परीक्षा पास की हो और जब एमबीबीएस में एडमिशन लेने पहुंचे तो कॉलेज उसे एडमिशन देने से इनकार कर दे, तो भला क्या होगा? कुछ ऐसा ही हुआ एक लड़की के साथ. नीट परीक्षा पास करने वाली इस लड़की को कुछ कागजातों में कमी के कारण कॉलेज ने एडमिशन देने से मना कर दिया. मामला कोर्ट तक पहुंच गया और अब कोर्ट ने इस स्टूडेंट को राहत दी है.

MBBS Admission Case: यह मामला है बॉम्बे हाईकोर्ट का. यहां एमबीबीएस एडमिशन को लेकर एक फैसला सामने आया है. 19 साल की एक स्टूडेंट, आर्या संदीप तातार ने नीट की परीक्षा दी थी. उन्होंने काफी मेहनत से परीक्षा पास की. अच्छी रैंकिंग की वजह से उन्हें एमबीबीएस सीट मिल गई, लेकिन जब कॉलेज में एडमिशन लेने पहुंची, तो मेडिकल कॉलेज ने एडमिशन देने से मना कर दिया.

MBBS Admission News: यहां फंसा था पेंच
असल में आर्या संदीप तातार ने एमबीबीएस में दाखिले के लिए मेडिकल कॉलेज को जो डॉक्यूमेंट्स दिए थे, उसमें एक पेंच फंस गया. आर्या ने कॉलेज में दो जाति प्रमाण पत्र जमा किए थे, जिनकी जन्मतिथियों में अंतर पाया गया. कॉलेज की ओर से जांच में पाया गया कि दोनों पर अलग-अलग तिथियां अंकित हैं. असल में आर्या ने 19 अक्टूबर 2022 को जारी जाति वैधता प्रमाण पत्र के अलावा 8 अगस्त 2024 को जारी एक प्रमाण पत्र भी जमा किया था. इसके बाद कॉलेज ने यह कहकर आर्या को दाखिला देने से इनकार कर दिया कि उनके जाति प्रमाण पत्र और जाति वैधता प्रमाण पत्र की तिथियां आपस में मेल नहीं खा रही हैं.

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Bombay High Court order: कोर्ट पहुंच गया मामला
नीट परीक्षा पास होने के बाद भी एडमिशन नहीं मिलने से निराश आर्या संदीप तातार ने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की. याचिकाकर्ता के वकील प्रियल सारदा ने कोर्ट में यह दलील पेश की कि जाति वैधता प्रमाण पत्र एक सक्षम प्राधिकारी ने जारी किया था, जिससे अभ्यर्थी की जाति का पता चल सके. इधर, कॉलेज के वकील का कहना था कि एडमिशन देने की तिथि समाप्त होने के बाद कोई सीट उपलब्ध न होने के कारण उम्मीदवार का एडमिशन नहीं हो सका. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस ए.एस. चंदुरकर और जस्टिस राजेश एस. पाटिल की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि जो कुछ भी हुआ उसमें याचिकाकर्ता की कोई गलती नहीं थी. इसलिए न्याय के तहत पीड़िता को राहत मिलनी चाहिए. बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेज को अतिरिक्त सीट बनाकर आर्या को एडमिशन देने के निर्देश दिए. आर्या की यह घटना उन तमाम युवाओं के लिए एक सबक है, जो एडमिशन के समय डॉक्यूमेंट्स जमा करते समय जल्दबाजी दिखाते हैं.

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Tags: Admission Guidelines, MBBS student, NEET, Neet exam, NEET Topper, NEET UG 2023

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