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NEET 2025, MBBS Admission: राजस्थान हाई कोर्ट ने नीट यूजी 2023 में दूसरों की जगह परीक्षा देने के आरोप में सस्पेंड एमबीबीएस स्टूडेंट्स का सस्पेंशन रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कॉलेजों को इन्हें क्लास और एग्जाम देने…और पढ़ें

NEET Exam, NEET Topper, MBBS Student, mbbs admission: एमबीबीएस स्टूडेंटस को हाईकोर्ट से राहत.
हाइलाइट्स
- राजस्थान हाई कोर्ट ने MBBS स्टूडेंट्स का सस्पेंशन रद्द किया.
- कोर्ट ने स्टूडेंट्स को क्लास और एग्जाम देने की अनुमति दी.
- स्टूडेंट्स अब डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर सकते हैं.
NEET 2025, MBBS Admission: राजस्थान हाई कोर्ट ने एमबीबीएस स्टूडेंट्स को दी बड़ी राहत! जिन स्टूडेंट्स पर नीट यूजी 2023 में दूसरों की जगह परीक्षा देने के आरोप लगे थे, उनका सस्पेंशन को कोर्ट ने रद्द कर दिया है.कोर्ट ने कॉलेजों को आदेश दिया है कि इन स्टूडेंट्स को क्लास अटेंड करने और एग्जाम देने की इजाजत दी जाए. ये खबर उन स्टूडेंट्स के लिए किसी खुशखबरी से कम नहीं है,जिनके सपनों पर सस्पेंशन की तलवार लटक रही थी.
क्या है पूरा मामला?
बात 2023 की नीट यूजी परीक्षा की है.कुछ एमबीबीएस स्टूडेंट्स पर इल्जाम लगा कि उन्होंने दूसरों की जगह परीक्षा दी यानी डमी कैंडिडेट बनकर पेपर दिया. इस वजह से नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) ने इन स्टूडेंट्स को सस्पेंड कर दिया. FIR भी दर्ज हुई और इनका करियर अधर में लटक गया, लेकिन अब राजस्थान हाई कोर्ट की सिंगल बेंच में जस्टिस दिनेश मेहता ने इन स्टूडेंट्स के सस्पेंशन को गलत ठहराया. कोर्ट का कहना था कि NMC के पास ऐसा कोई नियम या कानून नहीं है, जो बिना ठोस सबूत के स्टूडेंट्स को सस्पेंड करने की इजाजत देता हो.
सस्पेंशन को बताया गैरकानूनी
जस्टिस मेहता ने साफ कहा कि ये सस्पेंशन न सिर्फ गैरकानूनी था, बल्कि स्टूडेंट्स के संवैधानिक अधिकारों (आर्टिकल 19(1)(g) और 21) का भी उल्लंघन था.कोर्ट ने ये भी साफ किया कि स्टूडेंट्स पर जो आरोप है, वो ये नहीं कि उन्होंने किसी और से अपनी जगह परीक्षा दिलवाई,बल्कि ये है कि उन्होंने दूसरों के लिए पेपर दिया. इस मामले में अभी ट्रायल बाकी है और बिना सबूत के सजा देना गलत है.
NMC ने क्या तर्क दिया?
NMC ने कोर्ट में दलील दी कि उनके पास मेडिकल एजुकेशन में ऊंचे स्टैंडर्ड बनाए रखने की जिम्मेदारी है. उन्होंने 2019 के नेशनल मेडिकल कमिशन एक्ट और 2024 के पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट का हवाला दिया. NMC का कहना था कि स्टूडेंट्स का काम ऑर्गनाइज्ड क्राइम और अनफेयर मीन्स की कैटेगरी में आता है, लेकिन कोर्ट ने उनकी दलील को खारिज कर दिया. जस्टिस मेहता ने कहा कि इन एक्ट्स में सस्पेंशन का कोई प्रावधान नहीं है और ये तय करना कि स्टूडेंट्स दोषी हैं या नहीं, ट्रायल के बाद ही होगा.
कोर्ट का फैसला क्यों है खास
कोर्ट का ये फैसला उन स्टूडेंट्स के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया. अब वो अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं और डॉक्टर बनने के अपने सपने को हकीकत में बदल सकते हैं. ये फैसला न सिर्फ इन स्टूडेंट्स के लिए,बल्कि उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा है,जो मुश्किलों के बावजूद अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं.

न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य…और पढ़ें
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य… और पढ़ें
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