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India Turkey Trade Relations: तुर्की और भारत के व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ा है. व्यापारी ललित ठकराल ने तुर्की के पाकिस्तान समर्थन पर नाराजगी जताई और कहा भारतीय गारमेंट्स की क्वालिटी बेहतरीन है.

तुर्की से नाराज भारतीय व्यापारी, बोले गारमेंट्स क्वालिटी में हम बेजोड़ हैं
हाइलाइट्स
- तुर्की के पाकिस्तान समर्थन पर भारतीय व्यापारी नाराज.
- भारतीय गारमेंट्स की क्वालिटी बेहतरीन है.
- तुर्की को भारत से गारमेंट्स की जरूरत है.
सुमित राजपूत/नोएडा: तुर्की और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों में हाल के दिनों में ठंडापन देखने को मिल रहा है, खासकर गारमेंट्स और टेक्सटाइल्स के क्षेत्र में. जहां तुर्की हर साल भारत से लगभग 60 से 65 मिलियन रुपये के गारमेंट्स का आयात करता है, वहीं उत्तर प्रदेश से इसका योगदान लगभग 8 से 10 मिलियन रुपये का होता है. लेकिन हाल ही में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान तुर्की के पाकिस्तान को समर्थन देने और हथियार बेचने की घटना से भारतीयों में नाराजगी बढ़ गई है.
बीते साल 66 मिलियन रुपये का रहा कारोबार
नोएडा के प्रमुख गारमेंट्स (टेक्सटाइल्स) व्यापारी ललित ठकराल ने इस मुद्दे पर नाराजगी जताते हुए कहा, “भारत ने हमेशा तुर्की की मदद की है, लेकिन इस बार उन्होंने पाकिस्तान का साथ देकर जो किया, वह बेहद निंदनीय है. यह पहली बार है जब तुर्की ने हमें नजरअंदाज किया है. यह व्यवहार भारत के आत्मसम्मान के खिलाफ है. अगर हम बीते साल 2024-25 की बात करें तो हमारा कारोबार 66 मिलियन रुपये का था. और अगर यह बंद होता है तो हमें खास फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन तुर्की को बड़ा नुकसान होगा.”
भारत में कई उत्पाद होते हैं निर्यात के लिए
ठकराल ने आगे बताया कि भारत के गारमेंट्स और टेक्सटाइल्स की गुणवत्ता पूरी दुनिया में सराही जाती है. अगर तुर्की हमें नजरअंदाज करता है, तो इसका ज्यादा असर हमें नहीं होगा. हमारी गुणवत्ता ऐसी है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग बनी रहेगी. तुर्की को हमारे गारमेंट्स खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, गुणवत्ता की वजह से.
उन्होंने यह भी कहा कि तुर्की खुद भारत से स्टील, स्टोन और केमिकल्स जैसी कई वस्तुएं आयात करता है, जिससे उसे भारत की जरूरत है.
भारत-पाक युद्ध के दौरान तुर्की की असलियत सामने आई
वहीं, ललित ठकराल ने बताया कि बीते सालों में एक सुनामी के दौरान भारत ने तुर्की की मदद की थी, लेकिन जब साथ खड़े होने की बारी आई तो तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया. हम यह नहीं चाहते थे कि तुर्की हमारा साथ दे, लेकिन वह न्यूट्रल रहता. इसके बजाय उसने अपने ड्रोन पाकिस्तान को सप्लाई किए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब पाकिस्तान का एयरस्पेस बंद था, तब तुर्की के विमान पाकिस्तान के एयरपोर्ट पर लैंड करते हुए देखे गए थे, जो एक गलत और निराशाजनक कदम था.
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