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Monsoon Special Food: झारखंड के बोकारो में मानसून के दौरान उगने वाली ‘बांस करील’ सब्जी काफी लोकप्रिय है. इसके स्वाद के सामने मटन-चिकन भी फेल माना जाता है. साल में कुछ ही दिन मिलने के कारण इसकी मांग काफी रहती है…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • बांस करील सब्जी मानसून में ही मिलती है
  • बांस करील की कीमत 200 रुपये प्रति किलो है
  • बांस करील का स्वाद मटन से भी बेहतर माना जाता है
बोकारोः झारखंड वन संपदाओं से भरपूर राज्य है, जहां के जंगलों में विभिन्न प्रकार के फल, फूल और सब्जियां पाई जाती हैं. यहां के लोग इसे वर्षों से खानपान में इस्तेमाल कर रहे हैं. इन्हीं में से एक है ‘बांस करील’. इसे ‘बांस की कोपल’ भी कहते हैं. जिसे सब्जी के रूप में खाया जाता है. यह केवल बरसात के मौसम में बांस के जंगलों में उगता है. यह सब्जी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है और इन दिनों बोकारो में सड़क किनारे बिकने लगी है.

बोकारो के सेक्टर-1 स्थित सिटी पार्क के सामने बांस करील बेच रहे दुलाल महतो ने बताया कि वह 50 किमी दूर चंदनक्यारी प्रखंड के हरीयाल गोड़ा गांव से यह सब्जी लेकर यहां आते हैं. यह काफी यूनिक आइटम है और केवल मानसून के दौरान ही मिलता है. लोगों की भी काफी मांग रहती है. इसका उपयोग सब्जी के अलावा अचार और मुरब्बा के लिए भी किया जाता है, जिसका स्वाद में बेहद लाजवाब होता है. उन्होंने बताया कि इसकी कीमत 200 रुपये प्रति किलो हैं. रोजाना 15 से 20 किलो बेच बिक जाते हैं.

जानें सब्जी की रेसिपी
बांस करील की सब्जी की रेसिपी को लेकर दुलाल ने बताया कि सबसे पहले इसे अच्छी तरह धोकर और पतली-पतली स्लाइस काट लें. फिर हल्के पानी में हल्दी डालकर उबालें और दो बार पानी बदलकर साफ कर लें. इससे गंध (स्मेल) दूर हो जाती है. फिर कढ़ाई में सरसों का तेल गर्म करें और उसमें जीरा, बारीक कटी हरी मिर्च, लहसुन और प्याज डालकर भूनें. उबली हुई बांस करील डालें और हल्दी, नमक व अन्य मसाले डालकर अच्छी तरह भूनें. आखिर में कटे हुए टमाटर डालें, थोड़ा पानी मिलाएं और धीमी आंच पर पकाएं. इसके बाद चावल या रोटी के साथ गरमा-गरम खा सकते हैं.

वहीं, करील कि सब्जी खरीदने आए ग्राहक कपिल ने बताया कि उनके घर में सालों भर इस सब्जी का बेसब्री से इंतजार रहता है. इसका स्वाद चावल के साथ ऐसा लगता है मानो मटन भी फेल हो. साल में कुछ ही दिनों तक उपलब्ध होने के कारण इसकी मांग काफी रहती है.

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बस मानसून में मिलती है यह सब्जी, जंगलों से बाजार पहुंचते हाथों-हाथ बिक जाती

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