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Success Story, Career in Music: अक्सर तमाम लोग BA, B.Sc करके अपना करियर बनाते हैं, लेकिन यह कहानी एक ऐसे युवा की है, जिसने इन कोर्सेज को छोड़कर म्यूजिक को चुना और इसी में अपना करियर बनाया.

Success Story, Career in Music, Alok Pandey: गायक आलोक पांडेय ने म्यूजिक में कैसे बनाया करियर.
हाइलाइट्स
- आलोक पांडेय ने BHU से संगीत सीखा.
- आलोक ने भोजपुरी गायन में नाम कमाया.
- आलोक को विद्यापीठ से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली.
Success Story, Career in Music: कहते हैं, अगर आपके अंदर प्रतिभा है, तो आप अपना मुकाम बना ही लेते हैं. पढ़ाई चाहे किसी भी विषय की हो, पढ़ने और सीखने वाले अपने क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल कर ही लेते हैं. जैसे दूसरे विषयों की पढ़ाई होती है, वैसे ही संगीत और अन्य आर्ट्स के भी कोर्स होते हैं. इन कोर्सेज को करने के साथ-साथ अपनी प्रतिभा को निखारना भी जरूरी होता है. यह कहानी भी एक ऐसे ही प्रतिभावान व्यक्ति की है, जिसने न केवल अपनी प्रतिभा को पहचाना, बल्कि उसी विधा में अपना करियर भी बनाया और खूब नाम कमाया.
बिहार के सीवान जिले के आलोक पांडेय गोपाल के पिता पंडित रामेश्वर पांडेय एक शास्त्रीय गायक थे. पिता को गाता-बजाता देखकर बेटे के मन में भी संगीत के प्रति लगाव हो गया. लिहाजा, आलोक ने भी अपने पिता से संगीत की ताल और सुर को समझना और सीखना शुरू किया. इस काम में उनकी मां आरती देवी ने भी उनका पूरा साथ दिया और आलोक को लगातार इसके लिए प्रेरित किया. प्रारंभिक शिक्षा के बाद आलोक ने यह सोच लिया कि बीटेक, बीए, बीएससी करने की बजाय वह संगीत में ही करियर बनाएंगे.
लिहाजा, आलोक पांडेय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के म्यूजिक कोर्स में दाखिला लिया और यहां से संगीत की बारीकियां सीखीं. इसके बाद उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDU) से हिंदी में एम.ए. किया. फिर उन्होंने प्रयाग संगीत समिति से संगीत प्रभाकर (बी.एड) किया और प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ से भास्कर (एम.ए. वोकल) की उपाधियां प्राप्त कीं. इस तरह उन्होंने संगीत की दुनिया में अपनी पहचान बनाना शुरू कर दिया. देखते ही देखते भोजपुरी गायन में आलोक ने अपनी जगह बना ली और अब वह एक जाने-माने लोकगायक बन गए हैं. हाल ही में विद्यापीठ ने उन्हें विद्या वाचस्पति (डॉक्टरेट) की मानद उपाधि से सम्मानित किया है.
फिल्मों में किया काम
आलोक पांडेय गोपाल ने बनारसी अंदाज के साथ-साथ पूरबी, निर्गुण, कजरी, चैती, होली और अन्य शैलियों में कई गीत गाए. इसके अलावा उन्होंने लहू के दो रंग, कच्चे धागे, नागिन और नागना, इच्छाधारी और गंवार दूल्हा जैसी कई भोजपुरी फिल्मों में भी काम किया है. गोपाल पांडेय बताते हैं कि करियर कोई अच्छा खराब नही होता सबसे जरूरी होता है कि आपने जिस फील्ड को चुना है उसमें पूरी लगन मेहनत के साथ जुट जाएं.
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