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Murrah breed buffalo : मुर्रा नस्ल की भैंस 1 दिन में लगभग 22 से 25 लीटर तक दूध देती है. इसीलिए इसे बेहद अधिक दुग्ध उत्पादन वाली भैंस माना जाता है. यही कारण है इसे काला सोना भी कहते हैं. 

रायबरेली. पशुपालन समृद्धि का द्वार खोलने के साथ ही स्वरोजगार में महती भूमिका निभा रहा है. पशुपालन का काम करके लोग अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. अब ग्रामीण अंचल से लेकर शहरी क्षेत्र के लोग और पढ़े-लिखे युवा भी इसके जरिए अपनी तकदीर बदल रहे हैं. वे गाय, भैंस और बकरी का पालन बड़े स्तर पर कर रहे हैं. भैंस पालन करने वाले पशुपालकों को उन्नत नस्ल की जानकारी न होने के कारण उन्हें काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. इसीलिए आज हम उन्हें भैंस की एक खास उन्नत नस्ल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका पालन करके कोई भी अच्छा मुनाफा कमा सकता है.

क्या है बड़ी खूबियां

लोकल 18 से बात करते हुए रायबरेली के राजकीय पशु चिकित्सालय शिवगढ़ के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. इंद्रजीत वर्मा (एमवीएससी वेटनरी) बताते हैं कि मुर्रा नस्ल की भैंस दूसरी भैंसों की तुलना में काफी अलग होती है. इसे दुनिया की सबसे दुधारू नस्ल की भैंस कहा जाता है. मुर्रा नस्ल की भैंस के जलेबी आकर के छोटे सींग होते हैं. जिनमें नुकीलापन भी रहता है. इनके सिर, पूंछ और पैरों के बाल का रंग सुनहरा, गर्दन और सिर पतला, स्तन भारी और लंबे होते हैं. नाक घुमावदार होती है, जो इसे दूसरी नस्ल की भैंसों से अलग पहचान दिलाती है.

इंद्रजीत वर्मा बताते हैं कि मुर्रा नस्ल की भैंस की उत्पत्ति मुख्य रूप से हरियाणा को माना जाता है. बढ़ते पशुपालन व्यवसाय की वजह से पंजाब, राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश में भी मुर्रा नस्ल की भैंस का पालन किसान करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. बाजारों में ये भैंस लगभग 60 हजार रुपए से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक मिलती है.

मुर्रा नस्ल की भैंस 1 दिन में लगभग 22 से 25 लीटर तक दूध देती है इसीलिए इसे बेहद अधिक दुग्ध उत्पादन वाली भैंस माना जाता है. जो एक ब्यांत में लगभग 2800 से 3000 हजार लीटर तक का दुग्ध उत्पादन करती है. यही कारण है कि इसे काला सोना भी कहा जाता है. इसे अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग नाम जैसे खुंडी और डेली के नाम से भी जाना जाता है.

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