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इस मान्यता के पीछे एक ऐतिहासिक घटना और एक महिला का वरदान जुड़ा है, जिसे आज तक यहां के लोग पूरी श्रद्धा से मानते आ रहे हैं. आइए जाते हैं इस चमत्कार की पूरी कहानी.
बलिया जनपद के परिखरा गांव में चंदेल वंशज जयप्रकाश नारायण सिंह बताते हैं कि उनके परिवार की एक बेटी रामवती देवी, जिन्हें लोग नाग माता के नाम से जानते हैं, की मृत्यु सांप के काटने से हुई थी. वो मिट्टी के बने घर में अनाज निकालने गई थीं, तभी उन्हें सांप ने डस लिया था.
मान्यता है कि मरने से पहले नाग माता ने कहा था — “आज के बाद इस गांव में किसी की भी मौत सांप के काटने से नहीं होगी.” इसके बाद गांव में एक अनोखी परंपरा शुरू हुई. यहां अगर किसी को सांप दिखता है, तो लोग नाग माता का नाम लेकर एक रुपये के सिक्के से उसके चारों ओर घेरा बना देते हैं. हैरानी की बात है कि सांप उस घेरे से बाहर नहीं निकलता. बाद में उसे डंडे या लकड़ी से पकड़कर बाहर छोड़ दिया जाता है. कोई भी उसे मारता नहीं है.
सर्पदंश से नहीं हुई कोई मौत
गांव के बुजुर्गों और इतिहासकारों का दावा है कि अब तक इस गांव में सर्पदंश से किसी की भी मौत नहीं हुई है. पहले नाग माता की पूजा केवल चंदेल वंश के लोग करते थे, लेकिन अब पूरा गांव श्रद्धा से उनकी पूजा करता है. पहले उनकी पूजा घर में होती थी, लेकिन अब गांव के शिवाला स्थान पर उनका मंदिर बना दिया गया है.
चश्मदीदों की जुबानी गांव की महिमा
गांव के 65 वर्षीय बुजुर्ग दयानंद मिश्रा बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में कभी भी गांव में किसी की मौत सांप के डसने से नहीं देखी. गांव का क्षेत्रफल लगभग 1600 बीघा है, और पूरा इलाका इस मान्यता को पूरी तरह मानता है.
इतिहासकार ने भी माना मान्यता का महत्व
बलिया के प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय का कहना है कि यह परंपरा चंदेल वंश की बेटी नाग माता से जुड़ी हुई है. उनकी मृत्यु सांप के काटने से हुई थी, लेकिन मरते वक्त उन्होंने गांव को वरदान दिया कि अब किसी को सर्पदंश से नुकसान नहीं होगा.
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