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प्रयागराज. शहर के प्रतिष्ठित बॉयज हाई स्कूल के कार्यवाहक प्रिंसिपल डेविड लुक के खिलाफ फर्जी डिग्री के मामले में सिविल लाइंस थाने में एक FIR दर्ज की गई है. यह स्कूल वही है जहां सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने अपनी शिक्षा ग्रहण की थी. डेविड लुक, उनके बड़े बेटे और एक अज्ञात दोस्त के खिलाफ यह FIR बिशप डायसिस ऑफ लखनऊ, चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया के मरिस एडगर दान ने दर्ज कराई है. उन पर IPC की धारा(Ref) 419, 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत जालसाजी, कूट रचना और धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं.
FIR के अनुसार, डेविड लुक को 2010 में बॉयज हाई स्कूल का कार्यवाहक प्रिंसिपल नियुक्त किया गया था. 2012 में स्कूल ने प्रिंसिपल पद के लिए विज्ञापन निकाला, जिसमें डेविड लुक सहित कई अभ्यर्थियों ने आवेदन किया. सभी अभ्यर्थियों ने अपने प्रमाणपत्र सेल्फ अटेस्टेड कर जमा किए थे, जिसमें डेविड लुक ने भी अपनी एमए की डिग्री प्रस्तुत की. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने 2007 में छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी, कानपुर से अंग्रेजी विषय में प्रथम श्रेणी के साथ एमए पास किया है. हालांकि, शिकायतकर्ता मरिस एडगर दान ने आरोप लगाया कि यह डिग्री फर्जी है और डेविड लुक ने जालसाजी कर यह मार्कशीट बनवाई है.
डेविड लुक पर झूठ बोलने का आरोप
शिकायतकर्ता के पास डेविड लुक के ओरिजिनल हस्ताक्षर वाली सेल्फ अटेस्टेड प्रमाणपत्रों की मूल प्रतियां मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक जांच से सारी सच्चाई सामने आ जाएगी और वे जांच के लिए मूल दस्तावेज सील बंद लिफाफे में जांच अधिकारी को सौंपने के लिए तैयार हैं. FIR में यह भी कहा गया है कि डेविड लुक लगातार झूठ बोल रहे हैं और यह दावा कर रहे हैं कि मार्कशीट उनकी नहीं है, जबकि उन्होंने साक्षात्कार के दौरान इसी मार्कशीट को प्रस्तुत किया था.
बीएड डिग्री पर भी सवाल
डेविड लुक पर एक और गंभीर आरोप यह है कि उन्होंने अपनी बीएड डिग्री को लेकर भी जालसाजी की है. FIR के अनुसार, डेविड ने बीएड की अंक तालिका में संस्थागत परीक्षार्थी के रूप में पास होना दिखाया है, लेकिन उस सत्र के दौरान उन्होंने कभी छुट्टी नहीं ली. वह स्कूल में नियमित रूप से उपस्थित रहे, रजिस्टर में हस्ताक्षर किए और वेतन भी लिया. शिकायतकर्ता का कहना है कि प्रिंसिपल के पद पर रहते हुए संस्थागत परीक्षार्थी के रूप में बीएड परीक्षा पास करना कूट रचना और जालसाजी का स्पष्ट मामला है.
2012 में प्रिंसिपल पद के लिए दिया था इंटरव्यू
2012 में प्रिंसिपल पद के लिए इंटरव्यू समिति में पांच सदस्य शामिल थे: मरिस एडगर दान (अध्यक्ष), इविंग क्रिश्चियन कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर मार्विन मैंसी, पूर्व प्रिंसिपल डॉक्टर एस डी चंद, क्राइस्ट चर्च कॉलेज के प्रिंसिपल आरके चत्री और इलाहाबाद हाई स्कूल समिति के तत्कालीन सचिव एचआर मल. इस समिति ने सभी अभ्यर्थियों का शैक्षिक चार्ट तैयार किया था, जिसमें डेविड लुक ने 2007 में छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में एमए पास करने का दावा किया था. इस चार्ट पर समिति के सभी पांच सदस्यों के हस्ताक्षर मौजूद हैं. समिति के सदस्य इस बात की गवाही और हलफनामा देने को तैयार हैं कि डेविड ने साक्षात्कार के दौरान यही मार्कशीट प्रस्तुत की थी.
एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट में भी गड़बड़ी का आरोप
FIR में यह भी आरोप लगाया गया है कि डेविड लुक ने प्रिंसिपल पद के लिए आवेदन करते समय अपने अनुभव में गलत जानकारी दी. उन्होंने दावा किया कि उनके पास 11वीं और 12वीं कक्षा को पढ़ाने का 10 साल का अनुभव है. लेकिन अगर यह सही है, तो उन्हें 2002 तक एमए पास होना चाहिए था, जबकि उन्होंने 2007 की मार्कशीट प्रस्तुत की. शिकायतकर्ता का कहना है कि यह गड़बड़ी जालसाजी का हिस्सा है और डेविड ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्रिंसिपल की नौकरी हासिल की.
डेविड लुक के बेटे और दोस्त पर भी आरोप
FIR में डेविड लुक के बड़े बेटे और उसके एक अज्ञात दोस्त को भी सह-अभियुक्त बनाया गया है. आरोप है कि फर्जी अंक तालिका तैयार करने में इन दोनों की मिलीभगत थी. शिकायतकर्ता ने मांग की है कि इस मामले की गहन जांच की जाए और सभी तथ्यों की पड़ताल की जाए.
डेविड लुक की बढ़ती मुश्किलें
डेविड लुक ने इस मामले में बार-बार यह दावा किया है कि मार्कशीट उनकी नहीं है, लेकिन वे अपनी एमए की किसी भी अंक तालिका का विवरण सार्वजनिक मंच पर नहीं दे रहे हैं. शिकायतकर्ता ने उन्हें “जालसाज” करार देते हुए कहा कि डेविड लगातार झूठ बोल रहे हैं और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्रिंसिपल की नौकरी कर रहे हैं. इस मामले की जांच शुरू होने के साथ ही डेविड लुक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
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