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Rewa Famous Tourist Spot: अगर आप भी अपनी फैमिली के साथ कहीं घूमने का प्लान बना रहें तो आफ इस स्टोरी से आइडिया ले सकते हैं…

UP-Bihar के लोगों का फेवरेट है Mp का ये डेस्टिनेशन, छुट्टी होते ही निकल पड़ते हैं इस लोकेशन की तरफ

क्योटी फॉल<br />क्योटी जलप्रपात भारत का 24वां सबसे ऊंचा झरना है जो शहर से 40 किमी. व सिरमौर से 10 की दूर स्थित है. यह झरना महाना नदी पर बना है. इसकी ऊंचाई करीब 130 मीटर है. क्योटी जलप्रपात अपनी आकर्षक सुंदरता से ट्रैकर्स और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां यूपी बिहार के लोग सबसे ज्यादा आते है.<br />ऐसे पहुंचें- रीवा से सड़क के रास्ते सिरमौर पहुंचकर यहां जा सकते हैं.

पर्यटकों की पहली पसंद है रीवा का ये वाटर फॉल.

पूर्वा फॉल<br />शहर से 25 किलोमीटर व सेमरिया कस्बे से 15 किमी. पहले पूर्वा फॉल टोंस नदी पर स्थित है. इस झरने की ऊंचाई करीब 70 मीटर है. क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता के कारण वर्ष भर हजारों पर्यटक आते हैं. यह स्थान सबसे अच्छे पिकनिक स्थानों में से एक है. हिंदू महाकाव्य रामायण में भी इस झरने का वर्णन मिलता है.<br />सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है.

मध्यप्रदेश का सबसे ऊंचा जलप्रपात है बहुती.

बहुती जलप्रपात<br />रीवा शहर 85 किमी. दूर उत्तर पूर्व की ओर मऊगंज तहसील में बहुती प्रपात स्थित है। यह सेलर नदी पर स्थित है. इसकी ऊंचाई 198 मीटर (650 फीट) है. इस प्रपात की गहराई 465 फुट हैं.<br />ऐसे पहुंचें- ओड्डा नदी, सीतापुर से निकलकर 40 किलोमीटर दूरी के बाद मऊगंज से 15 किलोमीटर दूर बहुत ग्राम के निकट, बहुत जलप्रपात का निर्माण करती है.

मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा झरना है चचाई.

चचाई जलप्रपात<br />चचाई जलप्रपात मध्य प्रदेश के सबसे बड़े झरनों में एक है.<br />यह बीहर नदी में 130 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित हैं.<br />रीवा चचाई जलप्रपात की दूरी 46 किमी. तो सिरमौर से 8 किमी. की दूरी पर स्थित है. बीहर नदी आगे जाकर तमसा नदी से मिलती है. इस झरने की खूबसूरती बरिश के मौसम में ही देखने मिलती है, क्योंकि इस झरने के ऊपर एक डैम बनाया गया है.<br />ऐसे पहुंचें- रीवा से 46 किलोमीटर दूर है। रीवा से सिरमौर से यहां पहुंचा जा सकता है. सिरमौर से 8 किलोमीटर दूर है

विंध्य की पहचान है रीवा किला.

मध्यप्रदेश के रीवा शहर स्थित किला मध्य भारत की प्राचीन और ऐतिहासिक किलों में शुमार है. यह किला ऐतिहासिक महत्व और सुंदरता को लेकर जाना जाता है. यह रीवा में पर्यटकों का मुख्य आकर्षण हैं. इसके पीछे दो नदियां हैं, जो किले को प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करती हैं. इन्ही दो नदियों के संगम पर बना रीवा किला अपने ऐतिहासिक विरासत को संजोए हुए खड़ा हुआ है.इतिहासकार असद खान के अनुसार, इस किले का निर्माण शेर शाह सूरी के बेटे शहजादा जलाल खां के द्वारा शुरू किया गया था, लेकिन पिता की मृत्यु के बाद वह निर्माण कार्य को अधूरा छोड़ कर चला गया था.विक्रमदित्य सिंह ने बांधवगढ़ की राजधानी छोड़कर रीवा को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया. उसके बाद बघेल राजाओं के द्वारा इस किले को नए सिरे से बनाया गया था.<br />सड़कमार्ग, हवाई मार्ग और रेल मार्ग से इस किले तक पहुंचा जा सकता है.

सफेद बाघों शहर है रीवा.

मुकुंदपुर में दुनिया की पहली टाइगर सफारी<br />रीवा संभाग के सतना जिले के मुकुंदपुर में दुनिया की पहली व्हाइट टाइगर सफारी है. यहां वर्षभर पर्यटक आते है. दो सफेद बाघ, पीले बाघ, बब्बर शेर, तेंदुआ, भालू, जंगली बिल्ली सहित अन्य जानवर पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है. रीवा से मुकुंदपुर की दूरी 15 KM वहीं सतना-मुकुंदपुर की दूरी 51 KM, रीवा- मुकुंदपुर की दूरी 18 KM, सीधी-मुकुंदपुर की दूरी 87 KM, प्रयागराज-मुकुंदपुर की दूरी 150 KM है.<br />सड़क मार्ग से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है.

रीवा का रानी तालाब इतिहास की देता गवाही.

रानी तालाब के बारे में<br />रानी तालाब मेयर मध्य प्रदेश में घूमने के लिए महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है क्योंकि यह शहर के सबसे पुराने पानी के कुओं में से एक है. कुएं का पानी सिंचाई, खेती, मछली पालन और घरेलू कामों से लेकर कई तरह के कामों में काम आता है. इस प्रतिष्ठित जलाशय को पवित्र माना जाता है क्योंकि यह शहर के दक्षिणी हिस्से में स्थित है और इसके पश्चिमी छोर पर देवी काली के मंदिर के काफी करीब है.<br />यह मानव निर्मित झील शुभ अवसरों पर भक्तों से भरी रहती है, खास तौर पर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय. किनारे पर स्थित भैरव और काली मंदिर जैसे मंदिरों तक नाव से पहुंचा जा सकता है.<br />समय : 24 घंटे; सूर्योदय और सूर्यास्त के समय के बीच जाना हमेशा बेहतर होता है.<br />प्रवेश शुल्क : निःशुल्क.<br />स्थान : देवी काली मंदिर भी है.<br />आवश्यक समय : 1 से 2 घंटे.<br />रीवा बस स्टैंड से दूरी : लगभग 5 किमी. सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है.

पांच हजार साल पुराना है यह बौद्ध स्तूप.

देउर कोठार के बारे में<br />इस पुरातात्विक स्थल में प्राचीन बौद्ध स्तूपों के साथ एक महान इतिहास है जो आपको यहाँ मिलेंगे. वर्ष 1982 में खोजे गए ये स्तूप लगभग दो हज़ार साल पुराने हैं और अशोक के शासनकाल के हैं. आपको मिट्टी की ईंटों से बने तीन बड़े स्तूप और 46 अलग-अलग पत्थरों से बने कई छोटे स्तूप मिलेंगे.<br />देउर कोठार में पांच हजार साल पुरानी चट्टानी गुफाएँ भी हैं जो दिखने में निश्चित रूप से बहुत ही आकर्षक हैं. अशोक के काल में विंध्य क्षेत्र में बौद्ध धर्म को फैलाने के प्रयास के रूप में, भगवान बुद्ध के अवशेषों को इन स्तूपों को बनाने के लिए वितरित किया गया था. देउर कोठार रीवा के प्रतिष्ठित पर्यटन स्थलों में से एक पुरातात्विक स्थल है जहाँ बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने इस स्थल के पाए जाने के बाद स्तूपों का निर्माण किया है.<br />प्रवेश शुल्क : निःशुल्क.<br />आवश्यक समय : 1 से 2 घंटे.<br />रीवा बस स्टैंड से दूरी : लगभग 64 किमी.<br />सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है.

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UP-Bihar के लोगों का फेवरेट है Mp का ये डेस्टिनेशन, छुट्टी होते ही निकल पड़ते

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