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UP Latest News : सिद्धार्थनगर में नगर पालिका बांसी में मंगल बाजार में रहने वाले कई परिवारों और दर्जनों दुकानदारों ने खुद से अपना आशियाना उजाड़ना शुरू कर दिया है. यहां रह रहे परिवारों के पास 1946 कि फसली रसीद भी …और पढ़ें

UP News : इस जिले में खुद से अपना घर तोड़ रहे लोग, रह रहे थे 1946 से, पीड़ित बोले – ‘जमीन तो परदादाओं की है लेकिन..’

सिद्धार्थनगर में नगर पालिका बांसी में मंगल बाजार में चार पुश्तों से रह रहे कई परिवार खुद से तोड़ रहे अपना घर…

हाइलाइट्स

  • सिद्धार्थनगर में परिवारों को घर खाली करने का आदेश.
  • रामलीला समिति ने जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत की.
  • 1946 से रह रहे परिवारों को प्रशासन ने अवैध घोषित किया.

सिद्धार्थ नगर. चार पुश्तों से रह रहे कई परिवारों को उनके मकान को सरकारी जमीन बताकर उसे खाली करने का फरमान सिद्धार्थनगर जिला प्रशासन ने जारी किया है. मामला सिद्धार्थनगर जिले के नगर पालिका बांसी के मंगल बाजार का है. यहां रहने वाले कई परिवारों और दर्जनों दुकानदारों को नगर पालिका ने इस जगह को 48 घंटे में खाली करने का नोटिस दिया है. कहीं सुनवाई न होने से परेशान लोगों ने अपने आशियाने को उजाड़ना भी शुरू कर दिया है. बांसी नगर पालिका के बीचो-बीच मंगल बाजार में स्थित करोड़ों की इस जमीन पर कई वर्षों से विवाद चल रहा है. इस जमीन को रामलीला समिति अपना बताती है. रामलीला समिति का आरोप है कि यहां रहने वाले बहुत से लोगों ने रामलीला की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है.

जमीन के वैध और अवैध कब्जे का यह मामला तहसील से होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचा. संबंधित अधिकारियों ने इस जमीन को रामलीला समिति का बताते हुए वहां रह रहे लोगों को जमीन खाली करने का आदेश दिया. मौजूदा समय में इस बेशकीमती जमीन पर करीब एक दर्जन परिवार चार पुश्तों से रह रहे हैं. यहां रह रहे परिवारों के पास 1946 कि वह फसली रसीद भी मौजूद है जो उस समय के राजा जय बहादुर प्रताप सिंह द्वारा 63 पैसे लेकर नजराना दिया गया था.

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विवादित इस जमीन पर रहने वाले मनोज कुमार, मोनू जायसवाल, ध्रुव चंद जायसवाल, विष्णु जायसवाल, गुफरान, मोहम्मद हुसैन, मोहम्मद इदरीश के पास जमीन का बैनामा या पुराने जमाने में चलने वाले लगान की रसीद आदि भी मौजूद है. बावजूद इसके उनकी इस संपत्ति को प्रशासन ने अवैध घोषित करते हुए उसे खाली करने का फरमान जारी किया है.

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यहां के रहने वाले लोगों का कहना है कि यहां पर 1946 से उनके पुरखे रह रहे हैं. यह उन लोगों की चौथी पुश्त है. अब उनकी इस प्रॉपर्टी को अवैध बताते हुए यहां से हटाया जा रहा है. उनके समझ में नहीं आता कि वो अपने परिवार को लेकर कहां जाएं? पीड़ित परिवारों ने आरोप लगाया कि बांसी तहसील प्रशासन रामलीला समिति की जमीन की पैमाइश सही तरीके से नहीं कर रहा. उनकी मांग है कि जमीन नापने के लिए जो सरहद है, वहां से तहसील प्रशासन को नापना चाहिए. अगर उन लोगों की जमीन उसके बाद भी रामलीला समिति के हक में आती है तो वह खुशी-खुशी छोड़ने को तैयार हैं. उनका आरोप है कि हलके के लेखपाल और संबंधित अधिकारी मनमाने तरीके से जमीन की पैमाइश कर उनकी जमीनों को भी रामलीला समिति की जमीन बता रहे हैं.

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ठीक से पैमाइश न करने की बात कहना गलत : एसडीएम
इस मामले में बांसी एसडीएम शशांक शेखर राय ने बताया, ‘रामलीला समिति ने जमीन पर अवैध अतिक्रमण की शिकायत की थी. कई बार सुनवाई के बाद वहां रह रहे कई परिवारों और कई दुकानों को अवैध अतिक्रमण की श्रेणी में लाते हुए उन्हें वहां से अतिक्रमण खाली करने का नोटिस दिया गया. समयसीमा अब समाप्त हो चुकी है. कई बार नगर पालिका राजस्व की टीम ने वहां रह रहे लोगों की मौजूदगी में पैमाइश की है. पैमाइश के बाद अतिक्रमण पाए जाने पर निशानदेही भी कराई गई है. अब ठीक से पैमाइश न करने की बात कहना पूर्णतया गलत है.’

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UP News : खुद से अपना घर तोड़ रहे लोग, पीड़ित बोले – ‘जमीन परदादाओं की है पर…’

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