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Animal Lover: बलिया के विक्रम का जानवरों की प्रति अटूट प्रेम देखते बनता है. हाल ही में इनका एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें विक्रम बंदर के दो बच्चों के साथ तड़प तड़प कर रोते नजर आ रहे है. विक्रम का बंदरो के ब…और पढ़ें

बेजुबानों को मानता था अपना बच्चा
बलिया: रोने की आवाज और गोद में मृतक बेजुबान की वीडियो सबके दिल को चीर कर रख दिया… समाज को एक अलग संदेश देने चला यह शख्स सभी को रुला दिया, खुद सात दिन तक डिप्रेशन में जाने के बाद समाज के लिए वीडियो वायरल किया, उद्देश्य था कि लोग बेजुबानों को समझे कि इंसान की तरह उन्हें भी दर्द होता है. हम बात कर रहे हैं मशहूर स्नेक सेवर विक्रम वर्मा की जिन्होंने पशु पक्षियों के प्रति प्रेम की अनोखी अलख जगाई है.
आपको बताते चले कि विक्रम बलिया जनपद के सागरपाली गांव के रहने वाले है. उनके परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी सांप पालने और जहर निकालने का काम होता आया है, जो फिलहाल बंद है. लेकिन विक्रम समय-समय पर प्रशासन के सहयोग के साथ अन्य जगह से भी सांप पकड़ कर जंगल में रिलीज कर देते है.
दोनों बच्चों की नहीं थी मां
लोकल 18 की टीम से विक्रम वर्मा की मुलाकात हुई. उन्होंने बताया कि वह बचपन से ही पशु पक्षियों में रह चुके है. वहीं, वायरल वीडियो पर उन्होंने कहा कि यह बंदर के बच्चे हैं, जिनकी मां बचपन में ही मर चुकी थी. एक की मां ऊंचाई से गिर गई तो दूसरे की मां को कुत्तों ने काट लिया था. सूचना मिलने पर देर रात जिले से बाहर जाकर इन बंदर के बच्चों को अपने पास लाए थे, तब से इन्होंने इन बेजुबानों को पाल रखा है. इन दोनों बच्चों की मां का भी अंतिम संस्कार विक्रम ने किया था. सुबह शाम आसपास के पेड़ पौधे पर यह घूमते हैं. इसी दौरान एक बच्चा बिजली की चपेट में आ गया जिसे दूसरा बचाने का प्रयास किया तो मौके पर ही दोनों बंदर के बच्चों की मौत हो गई.
बेजुबानों की मौत पर खूब रोए…
जब इस दृश्य को विक्रम देखे तो काफी भाव विभोर गए, यहां तक की इन बंदर के बच्चों के अंतिम संस्कार के समय विक्रम अपना आपा खो बैठे और खूब रोए. विक्रम ने बताया कि यह वीडियो 7 दिन पुराना है. डिप्रेशन में होने के कारण आज शाम को इसे स्टेटस में लगाए, ताकि लोग देख करके और पशु पक्षियों से प्रेम करें.
घायल बेजुबानों का मसीहा
विक्रम वर्मा न केवल बलिया जनपद में बल्कि, अन्य दूर-दूर तक जा करके घायल बेजुबानों को अपने यहां लाते है और पशु चिकित्सालय में डॉक्टर के परामर्श के अनुसार उसका इलाज करवाते है और स्वस्थ हो जाने पर पुनः वातावरण में रिलीज कर देते है. उन्होंने कहा कि इन मृतक दो बंदरो के बच्चों से उनका काफी लगाव हो गया था. इनको वह अपने बच्चों की तरह मानते थे.

काशी के बगल चंदौली से ताल्लुक रखता हूं. मुझे बिजेनस, सेहत, स्पोर्टस, राजनीति, लाइफस्टाइल और ट्रैवल से जुड़ी खबरें पढ़ना पसंद है. मैंने मीडिया में करियर की शुरुआत ईटीवी भारत से की थी. डिजिटल में पांच साल से ज्या…और पढ़ें
काशी के बगल चंदौली से ताल्लुक रखता हूं. मुझे बिजेनस, सेहत, स्पोर्टस, राजनीति, लाइफस्टाइल और ट्रैवल से जुड़ी खबरें पढ़ना पसंद है. मैंने मीडिया में करियर की शुरुआत ईटीवी भारत से की थी. डिजिटल में पांच साल से ज्या… और पढ़ें
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