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Do Women need more sleep?: महिलाएं पुरुषों की तुलना में अक्सर कम ही सोती हैं लेकिन क्या महिलाओं को नींद की ज्यादा जरूरत होती है. इस बारे में विज्ञान क्या कहता है और वास्तव में महिलाओं को कितनी नींद की जरूरत होत…और पढ़ें

हाइलाइट्स
- महिलाओं को औसतन पुरुषों से 20 मिनट ज्यादा नींद की जरूरत होती है.
- महिलाएं गहरी नींद में 23% समय बिताती हैं जबकि पुरुष 14 प्रतिशत ऐसा करते हैं.
- महिलाओं में नींद की गुणवत्ता सही नहीं होती, इसके कई स्वास्थ्य कारण है.
Do Women need more sleep?: नींद के बगैर हमारी जिंदगी नहीं चल सकती है. जब हम सो रहे होते हैं तो हमारा शरीर काम करता रहता है. हमारा मस्तिष्क सबसे ज्यादा सक्रिय होता है. इस समय एक-एक कोशिकाएं अपनी मरम्मत करती रहती है. लेकिन क्या आपको पता है कि एक व्यक्ति को नींद की कितनी जरूरत होती. हालांकि किसे कितनी नींद की जरूरत है यह लिंग,जीन, जीवनशैली, शरीर की स्थिति, काम करने की क्षमता आदि पर निर्भर करता है.नवाजत बच्चों को 18 से 20 घंटे नींद की जरूरत होती है जबकि वयस्क व्यक्ति को सामान्य तौर पर 7 से 8 घंटे की जरूरत होती है लेकिन क्या आपको पता है कि महिलाओं को नींद की ज्यादा जरूरत होती है.
सोने का पैटर्न अलग-अलग
टीओआई की खबर के मुताबिक महिलाएं के सोने का पैटर्न अलग-अलग है. हालांकि पश्चिमी देशों में महिलाएं थोड़ा ज्यादा सोती हैं. भारत में महिलाएं अमूमन देर रात सोती हैं और सवेरे जाग जाती है. इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है. पर किसको कितनी नींद की जरूरत होती है यह कैसे जानें. इसका सिंपल तरीका है अगर सुबह उठने पर थकान रहती है तो इसका मतलब है कि आपकी नींद सही से पूरी नहीं हुई. इसके बाद नींद की गुणवत्ता भी इसका कारण हो सकता है. यदि आप बीच में कई बार जाग-जाग कर सोएंगे तो गुणवत्ता खराब हो जाएगी. इसमें 12 घंटे भी सोएंगे तो नींद पूरी नहीं होगी. इसलिए कई चीजों की एक साथ जरूरत होती है. यह कारण है कि महिलाओं को ज्यादा नींद की जरूरत होती है क्योंकि वे सोने में कई तरह की गलतियां करती हैं.
टीओआई की खबर के मुताबिक महिलाएं के सोने का पैटर्न अलग-अलग है. हालांकि पश्चिमी देशों में महिलाएं थोड़ा ज्यादा सोती हैं. भारत में महिलाएं अमूमन देर रात सोती हैं और सवेरे जाग जाती है. इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है. पर किसको कितनी नींद की जरूरत होती है यह कैसे जानें. इसका सिंपल तरीका है अगर सुबह उठने पर थकान रहती है तो इसका मतलब है कि आपकी नींद सही से पूरी नहीं हुई. इसके बाद नींद की गुणवत्ता भी इसका कारण हो सकता है. यदि आप बीच में कई बार जाग-जाग कर सोएंगे तो गुणवत्ता खराब हो जाएगी. इसमें 12 घंटे भी सोएंगे तो नींद पूरी नहीं होगी. इसलिए कई चीजों की एक साथ जरूरत होती है. यह कारण है कि महिलाओं को ज्यादा नींद की जरूरत होती है क्योंकि वे सोने में कई तरह की गलतियां करती हैं.
किसे कितनी नींद चाहिए
यह तय करने में शरीर की बनावट,मानसिक स्वास्थ्य, जीवनशैली और सामाजिक भूमिकाएं बहुत अहम होती हैं. जब बात महिलाओं की आती है, तो यह कहानी और भी जटिल हो जाती है. चूंकि लोग अक्सर यह सही अंदाज़ा नहीं लगा पाते कि उन्होंने कितनी नींद ली, इसलिए विशेषज्ञ सटीक जानकारी के लिए स्लीप ट्रैकर या पॉलीसोमनोग्राफी का तरीका अपनाते हैं. इसमें सोते समय मस्तिष्क की गतिविधि, शरीर की हरकतें और सांसों की गति को मापा जाता है. अध्ययनों से पता चला है कि महिलाएं औसतन पुरुषों से लगभग 20 मिनट ज्यादा सोती हैं. 2022 के एक बड़े वैश्विक अध्ययन में करीब 70,000 लोगों के डाटा का विश्लेषण किया गया, जिसमें पाया गया कि हर उम्र में महिलाएं थोड़ी ज्यादा नींद लेती हैं. जैसे 40–44 की उम्र में यह अंतर लगभग 23 से 29 मिनट का था. स्लीप जर्नल में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन के अनुसार महिलाएं पुरुषों से औसतन 19 मिनट ज्यादा सोती हैं और गहरी, आरामदायक नींद में 23 प्रतिशत समय बिताती हैं जबकि पुरुष सिर्फ 14 प्रतिशत ही ऐसा कर पाते हैं.
यह तय करने में शरीर की बनावट,मानसिक स्वास्थ्य, जीवनशैली और सामाजिक भूमिकाएं बहुत अहम होती हैं. जब बात महिलाओं की आती है, तो यह कहानी और भी जटिल हो जाती है. चूंकि लोग अक्सर यह सही अंदाज़ा नहीं लगा पाते कि उन्होंने कितनी नींद ली, इसलिए विशेषज्ञ सटीक जानकारी के लिए स्लीप ट्रैकर या पॉलीसोमनोग्राफी का तरीका अपनाते हैं. इसमें सोते समय मस्तिष्क की गतिविधि, शरीर की हरकतें और सांसों की गति को मापा जाता है. अध्ययनों से पता चला है कि महिलाएं औसतन पुरुषों से लगभग 20 मिनट ज्यादा सोती हैं. 2022 के एक बड़े वैश्विक अध्ययन में करीब 70,000 लोगों के डाटा का विश्लेषण किया गया, जिसमें पाया गया कि हर उम्र में महिलाएं थोड़ी ज्यादा नींद लेती हैं. जैसे 40–44 की उम्र में यह अंतर लगभग 23 से 29 मिनट का था. स्लीप जर्नल में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन के अनुसार महिलाएं पुरुषों से औसतन 19 मिनट ज्यादा सोती हैं और गहरी, आरामदायक नींद में 23 प्रतिशत समय बिताती हैं जबकि पुरुष सिर्फ 14 प्रतिशत ही ऐसा कर पाते हैं.
महिलाओं में नींद की गुणवत्ता सही नहीं
दिलचस्प बात यह है कि इसी अध्ययन में पाया गया कि उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों की नींद की गुणवत्ता घटती जाती है जबकि महिलाओं की नहीं घटती. इसका मतलब यह नहीं है कि हर महिला को रोज़ 20 मिनट ज्यादा नींद लेनी ही चाहिए. नींद की ज़रूरत हर व्यक्ति के लिए अलग होती है. कोई एक फॉर्मूला नहीं है. महिलाएं भले ही ज्यादा देर सोती हैं और गहरी नींद लेती हैं, फिर भी वे खराब नींद की शिकायत ज़्यादा करती हैं. नींद न आने की बीमारी की पहचान भी महिलाओं में अधिक होती है. इसके कई कारण हैं. पुरुषों और महिलाओं की नींद में फर्क किशोरावस्था में शुरू हो जाता है और गर्भावस्था व रजोनिवृत्ति के दौरान यह और बदल जाता है. इन चरणों में हार्मोन में गिरावट आती है, जिससे नींद बार-बार टूटती है. महिलाओं को प्रभावित करने वाले स्वास्थ्य समस्याएं भी इसका हिस्सा हैं. जैसे आयरन की कमी और थायरॉयड की समस्या, जो महिलाओं में आम हैं . ये दोनों ही नींद में खलल और थकान से जुड़ी होती हैं. मानसिक रूप से भी महिलाएं डिप्रेशन, एंग्ज़ायटी और ट्रॉमा से जुड़ी समस्याओं की अधिक शिकार होती हैं.
दिलचस्प बात यह है कि इसी अध्ययन में पाया गया कि उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों की नींद की गुणवत्ता घटती जाती है जबकि महिलाओं की नहीं घटती. इसका मतलब यह नहीं है कि हर महिला को रोज़ 20 मिनट ज्यादा नींद लेनी ही चाहिए. नींद की ज़रूरत हर व्यक्ति के लिए अलग होती है. कोई एक फॉर्मूला नहीं है. महिलाएं भले ही ज्यादा देर सोती हैं और गहरी नींद लेती हैं, फिर भी वे खराब नींद की शिकायत ज़्यादा करती हैं. नींद न आने की बीमारी की पहचान भी महिलाओं में अधिक होती है. इसके कई कारण हैं. पुरुषों और महिलाओं की नींद में फर्क किशोरावस्था में शुरू हो जाता है और गर्भावस्था व रजोनिवृत्ति के दौरान यह और बदल जाता है. इन चरणों में हार्मोन में गिरावट आती है, जिससे नींद बार-बार टूटती है. महिलाओं को प्रभावित करने वाले स्वास्थ्य समस्याएं भी इसका हिस्सा हैं. जैसे आयरन की कमी और थायरॉयड की समस्या, जो महिलाओं में आम हैं . ये दोनों ही नींद में खलल और थकान से जुड़ी होती हैं. मानसिक रूप से भी महिलाएं डिप्रेशन, एंग्ज़ायटी और ट्रॉमा से जुड़ी समस्याओं की अधिक शिकार होती हैं.
LAKSHMI NARAYAN
Excelled with colors in media industry, enriched more than 18 years of professional experience. L. Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. He professed his contribution in the…और पढ़ें
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