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अमेरिका में हर साल 12 दिसंबर को National Ding-a-Ling Day मनाया जाता है. इस दिन का मकसद है कि लोग आपस में मिले-जुले, खूब सारी गपशप करें, एक-दूसरे के साथ डांस करें, गेम्स खेले, डिनर करें और अपने सारे दुख को भुला दें. आज के वर्चुअल वर्ल्ड में लोगों से मिलना बेहद जरूरी हो गया है. दरअसल जब से मोबाइल का इस्तेमाल बढ़ा है, लोगों की दुनिया सिमट गई है. वह वर्चुअल चैट तो करते हैं लेकिन असल में बातचीत नहीं करते. सोशल मीडिया ने जहां दुनियाभर के लोगों को एक-दूसरे से कनेक्ट किया है, वहीं जो उनके अपने लोग हैं, उनसे दूर कर दिया है. अपने दोस्तों और परिवार के साथ वक्त बिताना एक थेरेपी है. अमेरिका की तरह भारत में भी यह दिन मनाना बेहद जरूरी है.
लोगों से मिलने का बहाना
National Ding-a-Ling Day के पीछे एक कहानी है. 1972 में फ्रेंकी हायले नाम के व्यक्ति ने एक विज्ञापन निकाला जिसमें उन्होंने एक एड्रेस के साथ लिखा कि मात्र 1 डॉलर में National Ding-a-Ling क्लब जॉइन करें. इस क्लब के 871 मेंबर बन गए. उन लोगों ने 12 दिसंबर की तारीख को Ding-a-Ling Day मनाने का फैसला किया. इस गेट-टुगर में वह अपने उन दोस्तों और रिश्तेदारों को बुलाते थे, जिनसे वह पूरे साल भर नहीं मिल पाते थे. धीरे-धीरे यह दिन पूरे अमेरिका में मशहूर हो गया.
क्या होता है Ding-a-Ling का मतलब
Ding-a-Ling फोन की घंटी की आवाज होती है. इसका मतलब है-लोगों के दिमाग में घंटी बजना. इस दिन का नाम घंटी की साउंड पर इसलिए रखा क्योंकि घंटी बजने से लोग आपस में बात करने लगते हैं और आपस में जुड़ जाते हैं. 4020 साल पहले चीन में घंटी का आविष्कार हुआ था. 1800 में अमेरिका में घंटी का इस्तेमाल लोगों के समूह को एक जगह इकट्ठा करने के लिए किया जाता था.
लोगों से मेलजोल बढ़ाने से व्यक्ति खुश रहता है (Image-Canva)
सोशल होने से मेंटल हेल्थ रहती दुरुस्त
मनोचिकित्सक मुस्कान यादव कहती हैं कि लोगों से मिलना-जुलना, उनसे आमने-सामने बातचीत करना मेंटल हेल्थ को दुरुस्त करने के लिए जरूरी है. जो व्यक्ति तनाव में रहते हैं, उनके लिए सोशल गैदरिंग एक दवा की तरह काम करती है. इससे स्ट्रेस दूर होता है और दिल खुश रहता है. लोगों से मिलने पर शरीर में हैप्पी हार्मोन डोपामाइन, ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन रिलीज होते हैं जिससे मूड अच्छा रहता है. जो लोग सामाजिक होते हैं उन्हें डिप्रेशन या एंग्जाइटी परेशान नहीं करती. ऐसे लोग जिंदगी को एंजॉय करने लगते हैं. वह अपनी जिंदगी का हर पल खुशी-खुशी जीने में विश्वास करते हैं. नेगेटिव ख्याल उन्हें ज्यादा समय के लिए परेशान नहीं करते.
कॉन्फिडेंस बढ़ता है
सोशल मीडिया पर चैट लोगों के आत्मविश्वास को कम करती है जबकि आमने-सामने की गई बातचीत इंसान को कॉन्फिडेंस देती है. लोगों से मिलने-जुलने पर इंसान का खुद पर विश्वास बढ़ता है. वह खुलकर अपने दिल की बात लोगों से शेयर करता है. इससे जहां लोगों के सामने उसकी पॉजिटिव इमेज बनती है, वहीं उसकी पब्लिक में एक वैल्यू भी बनती है. इस तरह से इंसान अपनी भावनाओं को खुलकर बताता है.
सोशल बॉन्डिंग मजबूत होती है
लोगों के साथ मेलजोल बढ़ाने से उनके बीच एक अच्छी अंडरस्टैंडिंग बनती है. बातचीत करने से उनकी एक जैसी पसंद-नापसंद भी सामने आती है. जब सोशल बॉन्डिंग मजबूत होती है तो इंसान को लोगों का साथ मिलता है. इससे जब भी वह परेशानी में फंसता है तो लोग उसकी मदद को हमेशा तैयार रहते हैं. ऐसा व्यक्ति लोगों को ही अपनी ताकत बना लेता है.
लोगों से मुलाकात इंसान को बुरी आदतों से बचाती है (Image-Canva)
कई बीमारियां रहती हैं दूर
अमेरिका की सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार लोगों से मिलना इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है. जब इंसान अपने दोस्तों या रिश्तेदारों से मिलता है तो उसे अकेलापन नहीं घेरता जिससे उसे दिल से जुड़ी बीमारी नहीं होती. सोशल होने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और अगर कोई बीमार है तो वह जल्दी ठीक होता है. लोगों से मेलजोल बढ़ाने से दिमाग भी दुरुस्त रहता है. रिसर्च में सामने आया कि जो बुजुर्ग व्यक्ति लगातार लोगों से मिलता है उनकी याददाश्त अच्छी रहती है और वह हकलाते नहीं है. ऐसे लोगो को डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी नहीं होती. सोशल कनेक्शन से नींद भी सुधरती है क्योंकि दिमाग शांत रहता है.
बुरी आदतें दूर रहती हैं
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की स्टडी में छपी नेशनल लोंगिट्युडिनल स्टडी ऑफ एडोलसेंट हेल्थ की स्टडी के अनुसार जो इंसान ज्यादा लोगों से मिलते हैं, उनसे दोस्ती करते हैं, उनमें बुरी आदतों की गुंजाइश बहुत कम होती है. ऐसे लोग स्मोकिंग, ड्रिंकिंग जैसी आदतों से दूर रहते हैं. वह अपनी सेहत के प्रति जागरूक होते हैं. उनका लाइफस्टाइल बाकी लोगों के मुकाबले ज्यादा हेल्दी होता है. वहीं ऐसे लोगों में प्रीमैच्योर डेथ का रिस्क भी 50% तक घट जाता है.
Tags: Global health, Health, Mental Health Awareness, Relationship, United States of America
FIRST PUBLISHED : December 12, 2024, 15:58 IST
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