[ad_1]
बरेली. उत्तर प्रदेश के बरेली मंडल में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन तलाश में पुलिस ने अब तक 173 संदिग्धों को हिरासत में लिया है. बरेली जिले में हाल ही में 51 और संदिग्धों को चिह्नित किया गया है, जिसके बाद जांच और सत्यापन की प्रक्रिया तेज कर दी गई है. बरेली मंडल की कमिश्नर सौम्या अग्रवाल ने बताया कि यह अभियान 25 मई से 10 जून तक बरेली मंडल के चार जिलों- बरेली, पीलीभीत, बदायूं और शाहजहांपुर-में चलाया जा रहा है. इस अभियान का उद्देश्य अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करना है.
बरेली पुलिस ने शासन के निर्देश पर 25 मई से ऑपरेशन तलाश शुरू किया, जिसके तहत जिले के सभी थाना क्षेत्रों में विशेष टीमें गठित की गई हैं. इन टीमों में एक सहायक उप-निरीक्षक और पुरुष व महिला सिपाहियों को शामिल किया गया है. ये टीमें सुबह और शाम के समय झुग्गी-झोपड़ियों, अस्थायी बस्तियों और संदिग्ध स्थानों पर छापेमारी कर रही हैं. बरेली के एसएसपी अनुराग आर्या के अनुसार, अब तक 83 स्थानों पर 775 लोगों की जांच की जा चुकी है, जिनमें से 173 को संदिग्ध मानते हुए हिरासत में लिया गया है.
बरेली में क्यों सबसे ज्यादा घुसपैठिए?
बरेली जिला उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख औद्योगिक और व्यापारिक केंद्र है. साथ ही इससे सटे जिले पीलीभीत की सीमाएं नेपाल से सटी हैं. जिसके कारण घुसपैठियों के छिपने लिए बरेली एक मुफीद जगह है. विशेषज्ञों का मानना है कि बरेली में सस्ते लेबर की उपलब्धता, रेल और सड़क नेटवर्क की सुगमता, और घनी आबादी के बीच छिपने की सुविधा के कारण घुसपैठिए यहां पहुंचते हैं. कई घुसपैठिए नकली आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों का उपयोग कर झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे हैं. पुलिस के अनुसार, भोजीपुरा, सीबीगंज और बहेड़ी जैसे क्षेत्रों में सबसे ज्यादा संदिग्ध मिले हैं, जहां 26 और 14 संदिग्धों की पहचान की गई.
आसपास के जिलों में घुसपैठ की स्थिति
बरेली मंडल के अन्य तीन जिलों—पीलीभीत, बदायूं और शाहजहांपुर—में भी घुसपैठिए बस्तियों में रह रहे हैं. इन जिलों में घुसपैठिए ज्यादातर मजदूरी, छोटे-मोटे व्यापार या घरेलू कामों में लगे हुए हैं. पुलिस ने बताया कि कई घुसपैठिए नकली दस्तावेजों के जरिए स्थानीय निवासियों के बीच घुलमिल गए हैं. पीलीभीत और बदायूं में सीमा से सटे होने के कारण घुसपैठ आसान हो जाती है, जबकि शाहजहांपुर में रेलवे और बस स्टैंड जैसे ट्रांजिट पॉइंट्स घुसपैठियों के लिए प्रवेश द्वार का काम करते हैं. इन जिलों में भी पुलिस टीमें संदिग्धों की पहचान और सत्यापन में जुटी हैं.
कमिश्नर का बयान
बरेली मंडल की कमिश्नर सौम्या अग्रवाल ने कहा, “ऑपरेशन तलाश के तहत चारों जिलों में गहन जांच की जा रही है. हमारा लक्ष्य अवैध रूप से रह रहे हर संदिग्ध की पहचान करना और उनके दस्तावेजों का सत्यापन करना है. जो लोग अवैध रूप से रह रहे हैं, उन्हें हिरासत में लेकर निर्वासन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.” उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान स्थानीय लोगों का भी सहयोग लिया जा रहा है, ताकि संदिग्धों की सटीक जानकारी मिल सके.
पुलिस की रणनीति और चुनौतियां
एसएसपी अनुराग आर्या ने बताया कि 58 विशेष टीमें बनाई गई हैं, जो स्थानीय खुफिया इकाई (एलआईयू) और सर्किल ऑफिसरों की निगरानी में काम कर रही हैं. पुलिस ने 1500 सीसीटीवी फुटेज की जांच की है और 600 नए कैमरे लगाए हैं ताकि संदिग्धों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके. इसके अलावा, मोबाइल डेटा और मतदाता सूची का विश्लेषण कर संदिग्धों की पहचान की जा रही है. हालांकि, नकली दस्तावेज और स्थानीय लोगों के बीच घुलमिल जाने के कारण सत्यापन में चुनौतियां आ रही हैं.
[ad_2]
Source link